भोपाल। ‘देश का दिल’ कहे जाने वाले मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के चुनावी जंग पर देशभर की नजरें टिक गई हैं। एक तरफ जहां कांग्रेस के दिग्गज नेता और 10 साल तक राज्य के मुख्यमंत्री रहे दिग्विजय सिंह कांग्रेस टिकट पर चुनाव रहे हैं, वहीं बीजेपी ने अपने इस ‘किले’ को बचाने के लिए अपने भगवा चेहरे साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मैदान में उतार दिया है। कट्टर हिंदू छवि वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर वर्ष 2008 में हुए मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी रह चुकी हैं और उन्हे दिग्विजय सिंह का धुर विरोधी माना जाता है।
विश्लेषकों का मानना है किभाजपा की तरफ से कट्टर हिंदुत्व का चेहरा कही जाने वाली साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मैदान में उतरने से भोपाल में चुनावी जंग सॉफ्ट हिंदुत्व बनाम हार्डलाइन हिंदुत्व की हो गई है। ऐसे में यहां पर आस्था, धर्म और राष्ट्वाद जैसे मुद्दे विकास के नारे को पीछे ढकेल सकते हैं। भोपाल सीट पर बीजेपी और आरएसएस की विचारधारा बनाम कांग्रेस के सॉफ्ट हिंदुत्व के बीच लड़ाई हो गई है। हाल ही में दिग्गी राजा के मंदिरों के दौरे ने बीजेपी और आरएसएस को मजबूर कर दिया कि वह इसकी काट के रूप में साध्वी प्रज्ञा को ‘हिंदुत्व के चेहरे और ‘राष्ट विरोधी ताकतों’ के खिलाफ ‘देशभक्त ‘ के रूप में पेश करे।
‘हिंदू आतंक’ के बारे में आरएसएस ने बताया
आरएसएस-बीजेपी के पदाधिकारी अनिल सौमित्र कहते हैं,की संघ कभी भी आतंक की विचारधारा नहीं रखता। ‘संघ और बीजेपी की एक विचारधारा है और उसका प्रतिनिधत्व प्रज्ञा ठाकुर करती हैं।वास्तव में बीजेपी के सबका साथ, सबका विकास के नारे का मतलब राष्टीय और सांस्कृतिक सुरक्षा, महिलाओं की सुरक्षा और संपूर्ण विकास।’ भोपाल सीट से साध्वी की उम्मीदवारी के ऐलान के बाद आरएसएस ने अपने प्रचारकों को राष्टवाद और कांग्रेस द्वारा उछाले गए ‘हिंदू आतंक’ के बारे में बताया था।
सूत्रों के मुताबिक लोकसभा चुनाव से करीब एक महीने पहले ही साध्वी को चुनावी मैदान में उतारने की तैयारी हो गई थी। साध्वी प्रज्ञा की उम्मीदवारी ने बीजेपी को पूरे देश में ‘हिंदुत्व ‘ के मुद्दे को उठाने में मदद की। बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘आरएसएस विधानसभा चुनाव में हार के बाद इस चुनाव को बड़ी चुनौती के रूप में ले रही है। प्रज्ञा को टिकट देने का फैसला आरएसएस से सहमति के बाद लिया गया है, इसलिए पूरे संघ परिवार की यह जिम्मेदारी कि साध्वी की जीत सुनिश्चित हो।’
‘कांग्रेस ने समाज को बांट दिया’
दिग्गीराजा के हालिया मंदिर दौरों और चुनाव प्रचार के दौरान अपनी नर्मदा परिक्रमा को उठाने से भगवा ब्रिगेड को कांग्रेस पर हमला बोलने का मौका दे दिया है। बीजेपी ने दावा किया है कि हिंदू वोटों के चककर में कांग्रेस पार्टी अपने मुस्लिम वोटों से भी हाथ धो बैठेगी। भोपाल सीट पर करीब 4 लाख मुस्लिम वोटर हैं। बीजेपी ने कहा कि कांग्रेस का दोहरा मापदंड अब जनता के सामने आ गया है। अल्पसंख्यक समुदाय को समर्थन देकर कांग्रेस ने समाज को बांट दिया है। उधर, कांग्रेस पार्टी ने साध्वी को दक्षिणपंथी अतिवादी करार दिया है जो मालेगांव आतंकी हमलों में कथित रूप से शामिल रही हैं। कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को केंद्र में रखकर ‘भोपाल घोषणापत्र’ अभियान शुरू किया है। सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय सिंह 20 अप्रैल को पर्चा दाखिल करेंगे जबकि साध्वी 23 अप्रैल को अपना नामांकन करेंगी। भोपाल में 12 मई को छठवें चरण में मतदान होगा।
भोपाल सीट की अहमियत
भोपाल सीट बीजेपी का गढ़ रही है और इसलिए कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को मैदान में उतारा है। शुरुआती अनिइच्छा के बाद दिग्गी राजा ने यहां चुनाव लड़ना स्वीकार कर लिया। यहां बीजेपी का किस कदर वर्चस्व रहा है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि कांग्रेस ने यहां अपना आखिरी संसदीय चुनाव 1984 में जीता था। तब से लगातार बीजेपी यहां जीत रही है। 1989 से रिटायर्ड आईएएस सुशील चंद्र वर्मा चार बार यहां से चुने गए। इसके बाद उमा भारती, कैलाश जोशी (दो बार) सांसद बने।
भोपाल लोकसभा सीट पर कुल 19,56,936 वोटर हैं जिसमें 4 लाख मुसलमान हैं। यहां पर करीब सवा लाख सिंधी वोटर भी हैं। यह दोनों ही चुनाव नतीजों पर बड़ा प्रभाव डालेंगे। पिछले चुनाव में यहां से बीजेपी के आलोक संजर को जीत मिली थी। उन्हें कुल 714178 वोट मिले थे। कांग्रेस के पीसी शर्मा 343482 वोट पाकर दूसरे नंबर पर रहे थे। दो से ढाई लाख कायस्थ वोटर हैं। करीब 40 फीसदी वोटर ओबीसी हैं। वर्तमान सांसद आलोक संजर कायस्थ हैं। इस बार उनका टिकट काट दिया गया है। प्रज्ञा ठाकुर और दिग्विजय सिंह दोनों ही राजपूत हैं। इस तरह भोपाल में ठाकुर बनाम ठाकुर की लड़ाई होगी।