नई दिल्ली. एस्सार स्टील की कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स (सीओसी) ने आर्सेलरमित्तल कंपनी के साथ गुप्त तरीके से सौदेबाजी की, इसलिए उसे नुकसान हुआ, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने बताया है। बैंक ने कहा कि यह तरीका अवैध था। सीओसी के ऐसा करने से बोली की राशि कम हो गई और उसके हितों को नुकसान पहुंचा। दिवालिया प्रक्रिया के तहत एस्सार स्टील को खरीदने के लिए आर्सेलरमित्तल ने 42,000 करोड़ रुपए का प्रस्ताव दिया था।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक ने नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) में कहा कि सीओसी ने उससे भेदभाव किया। एस्सार स्टील के रेजोल्यूशन प्लान के तहत उसे अपनी बकाया राशि का सिर्फ 1.7 फीसदी हिस्सा देने का प्रस्ताव दिया गया। जबकि दूसरे फाइनेशियल क्रेडिटर्स को 85% तक मिल रहा था। एस जे मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली एनसीएलएटी की दो सदस्यीय बेंच ने एस्सार स्टील के बड़े शेयरधारकों के प्रति सख्त रुख दिखाया। एस्सार स्टील की प्रमोटर कंपनी एस्सार स्टील होल्डिंग्स लिमिटेड (ईएसएएचएल) ने पिछले दिनों आर्सेलरमित्तल की बोली को चुनौती दी। उसका कहना था कि आर्सेलरमित्तल के प्रमोटर लक्ष्मी मित्तल के उनके भाइयों की डिफॉल्टर कंपनियों के साथ रिश्ते थे। एनसीएलएटी ने बताया है कि ईएसएएचएल ने दखल देने के लिए यह मौका क्यों चुना जबकि वो पूरी प्रक्रिया में शामिल थी। ट्रिब्यूनल ने कहा कि हम अंतहीन प्रक्रिया से बचना चाहते हैं। इसी महीने सुनवाई पूरी कर ली जाएगी ताकि फैसला सुनाया जा सके।