Home Sports हार के सवालों से परेशान हैं विराट

हार के सवालों से परेशान हैं विराट

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खेल डेस्क। रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए इंडियन प्रीमियर लीग 2019 की शुरुआत बेहद खराब रही है। टीम को अगर प्लेऑफ में जगह बनानी है तो उसे अपने बाकी बचे सभी मैच जीतने होंगे। कोहली ऐंड कंपनी के लिए यह हिमालय पर्वत चढ़ने जैसा है। खेल के किसी भी आयाम में टीम संतुलित नजर नहीं आ रही है। एक मैच को छोड़ दें तो विराट और एबी की बल्लेबाजी भी शांत ही रही है। एक कप्तान के तौर पर कोहली के सामने कई अहम सवाल हैं-

किया नुक्सान हुआ कोहली को ?

विराट कोहली को इस समय दुनिया का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज कहा जाता है। वह अपने पूरे आईपीएल करियर में किसी और टीम के लिए नहीं खेले हैं। लेकिन यह कोई नहीं जानता कि इस समय रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के कप्तान विराट कोहली क्या सोच रहे होंगे? अगर आप आईपीएल 2018 से हिसाब लगाएं तो RCB लगातार सात मैच हार चुकी है। यह टूर्नमेंट में उनकी हार का सबसे लंबा सिलसिला है। इस साल टीम ने लगातार छह मैच हारे हैं। और ऐसा पहली बार नहीं हुआ है। साल 2008 में खेले गए पहले सीजन में भी टीम के साथ कुछ ऐसा हुआ था। दरअसल, बैंगलोर ने 2013 में दिल्ली के उस भुला देने वाले रिकॉर्ड की बराबरी की है जिसमें उसे सीजन की शुरुआत में लगातार छह मैचों में हार मिली थी।

क्या किसी और को मिली है इतनी हार?

कोहली आईपीएल में 100 मैचों में कप्तानी करने वाले तीन कप्तानों में शुमार हैं। उनसे ज्यादा महेंद्र सिंह धोनी (166) और गौतम गंभीर (129) ने ही कप्तानी की है। आईपीएल खिताब जीतना तो दूर की बात है उनका जीत का औसत भी 45।45 प्रतिशत है। यह 50 या उससे ज्यादा मैचों में कप्तानी करने वाले खिलाड़ियों में दूसरा सबसे खराब रेकॉर्ड है। बैंगलोर के लिए अभी तक पांच खिलाड़ियों ने कप्तानी की है। इनमें अनिल कुंबले (57।69%) और डेनियल विटोरी (54।54%) का जीत प्रतिशत काफी अधिक है। हालांकि उन्होंने काफी कम मैचों में ही कप्तानी की है। यहां यह बात भी ख्याल रखने वाली है कि बिना आईपीएल टाइटल जीते कोई भी खिलाड़ी इतने साल तक कप्तान नहीं रहा है जितने साल तक यह जिम्मेदारी कोहली को दी गई है। अब यह सवाल उठने लगे हैं कि ट्रोफी जीते बिना कोहली कब तक इस भूमिका को निभाते रहेंगे?

क्या जा सकती है कप्तानी?
2012 में कोहली ने डेनियल विटोरी के स्थान पर कुछ मैचों के लिए कप्तानी की थी। इसके बाद 2013 में कोहली को फुल-टाइम कप्तान बना दिया गया। 2015 और 2016 को छोड़ दें तो बैंगलोर की टीम बाकी चार साल में एक भी प्ले-ऑफ में नहीं पहुंच पाई है। लेकिन RCB प्रबंधन के लिए उन्हें कप्तानी से हटाने का फैसला काफी मुश्किल होगा (लगभग असंभव)। आखिर कोहली पर काफी अधिक जिम्मेदारियां हैं। फ्रैंचाइजी कमिटमेंट्स, बड़े स्पॉन्सरशिप डील्स और चिन्नास्वामी स्टेडियम में भारी संख्या में आने वाले दर्शकों की उम्मीदें भी उनसे जुड़ी हुई हैं। और क्या उन्हें स्वयं ही कई आईपीएल कप्तानों की तरह पद छोड़ देना चाहिए और रणनीति और चयन की जिम्मेदारी किसी और (शायद एबी डि विलियर्स) के लिए छोड़ देनी चाहिए।

भारत को क्या नुकसान?
हार से काफी नुकसान होता है। और जब वर्ल्ड कप आने ही वाला है, क्या टीम इंडिया अपने कप्तान और सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज के मन में दुविधा पैदा कर सकती है? कप्तानी से (और हारने की आदत) ब्रेक लेकर कोहली विश्व क्रिकेट के सबसे टूर्नमेंट के लिए अपनी बैटरी चार्ज कर सकते हैं। और या फिर वह आईपीएल के बाद एक दो सप्ताह के लिए आराम कर सकते हैं। लेकिन मुख्य बात यही है: कोहली को वर्ल्ड कप के लिए न सिर्फ फिट और फॉर्म में बल्कि सकारात्मक मानसिकता के साथ जाना होगा। आज कोहली की टीम का सामना चंडीगढ़ में किंग्स इलेवन पंजाब के साथ होगा और कोहली को थका या हारा हुआ नहीं लगना चाहिए। वह इससे काफी बेहतर हैं।

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