Home Entertainment हिट है इम्तियाज अली की नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज “शी”

हिट है इम्तियाज अली की नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज “शी”

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रिपोर्ट : राजकुमार उप्पल। मूवी रिव्यु में आज हम बात करेंगे आरिफ अली और अविनाश दास द्वारा निर्देशित नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई वेब सीरीज “शी” की, इसको लिखा है इम्तियाज अली ने और मुख्य भूमिका निभाई हैं अदिति पोहनकर, विजय वर्मा, विश्वास किनी, शिवानी रंगोले, अजय जाधव, साकिब अयूब, परितोष और किशोर कुमार ने। सबसे पहले बात करते हैं बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर, प्रोडूसर और स्किप्ट राइटर इम्तियाज अली की।

इम्तियाज अली और साइको क्राइम थ्रिलर दोनों का कोई तोड़ नहीं है। लेकिन कहानी का ये तोड इम्तियाज अली के दिमाग में उनके मुताबिक फिल्म “जब वी मेट” से पहले का है। इस कहानी का जो कॉन्सेप्ट उनके दिमाग में रहा, वह उन्हें भारतीय सेंसर बोर्ड के हिसाब से सिनेमा में उतारने की हिम्मत नहीं दे पाया। और जब ओटीटी में उन्हें मौका मिला तो पहली सर्विस उन्होंने सीधे ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर पर दे मारी। वो शेर है ना, बड़ा शोर सुनते थे पहलू में दिल का, जो चीरा तो इक क़तरा-ए-ख़ूँन निकला।

वेब सीरीज “शी” की कहानी है भूमिका परदेसी के नाम पर केंद्रित है जोकि मुंबई पुलिस में कंधे पर बिना फीते वाली सीनियर कांस्टेबल है। पति ने उसे इसलिए छोड़  दिया क्योंकि उसे अपनी बीवी में औरत जैसा कुछ नहीं मिला वहीं उसकी छोटी बहन बन ठन कर रहती है और एक  होटल चलाने वाले हेमंत से चोंच लड़ाती है और बदले में उसे मिलता है महंगा फोन।

मां घर पर बीमार है और, भूमि खुद दफ्तर में अपने काम से लाचार है। एसीपी फर्नांडिस को उसमें एक खास बात नजर आती है और वह उसे सस्या नाम के एक गैंगस्टर के जरिए ड्रग डीलर ‘नायक’ को पकड़ने के एक सीक्रेट मिशन पर लगा देते है। कहानी सुनने में अच्छी लगती है। बिल्कुल क्राइम थ्रिलर जैसी। भूमिका परदेसी को पहली बार अपनी देह में उठने वाली तरंगों का एहसास तब होता है जब वह सस्या के चंगुल में होती है। फिर,अपने इस नए ज्ञान को वह कभी छोटी बहन के बॉयफ्रेंड पर आजमाती है तो कभी होटल में रिसेप्शन पर बैठने वाले छोकरे पर, इसके साथ-साथ खुद एसीपी को भी वह इसकी झलक दिखाने से बाज नहीं आती। वह झिझकती है, बिदकती है और फिर सीरीज के आखिरी एपीसोड तक आते आते बदलती भी है। ड्रग माफिया नायक जब उसके नीचे होता है तो वह अपनी नई पहचान का ऐलान करती है और शीशे में देख खुद पर इतराने लगती है।

इम्तियाज अली के बाद अगर किसी वजह से ये सीरीज दर्शकों की तारीफ़ बटोरने में कामयाब रही तो वह हैं फिल्म गली बॉय से मशहूर हुए विजय वर्मा। गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले सस्या के किरदार में विजय काबिले तारीफ अभिनय किया है बोलने का उनका हैदराबादी लहजा खूब जमता है।  मराठी फिल्म “लय भारी” में अपने किरदार से हिंदी सिनेमा का अपनी और ध्यान खींचने वाली अदिति का किरदार भी ख़ास प्रभावित् करता है।

भूमिका एक घरेलू लड़की ड्यूटी करते करते खुद से प्यार करने लगती है। उसे एहसास हो जाता है कि उसके पास जो है उससे वह जहान जीत सकती है। उसके बदले रंग पर हर कोई फिदा है और वह इन्हीं नए रंगों से एक नई तस्वीर बनाने निकल पड़ी है। उसका किरदार जहां आकर रुकता है वह सीरीज के दूसरे सीजन की दस्तक देता है।

सीरीज के आखिरी दो एपीसोड में आकर कहानी का असली विलेन सामने आता है।  नायक के किरदार में कन्नड़ कलाकार किशोर कुमार साउथ के मशहूर विलेन रहे रघुवरन की याद दिलाते हैं। वैसा ही ठंडा दिमाग और वैसा ही क्रूर अंदाज। उसने पूरा गेम साल के दिन, हफ्ते और महीनों की संख्या में बुना है। पुलिस विभाग के लिए वह एक मिथ रहा है लेकिन भूमिका इस सोच को बस एक बार हमबिस्तर होकर न सिर्फ तोड़ देती है बल्कि उसको हजम भी कर जाती है। बस अब आपसे गुजारिश कि इस वेब सीरीज को देखिये और इसके सस्पेंश और थिलर का मज़ा लूटिये ।

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