Home Business 37 साल की गीतांजलि किसानों के साथ मिलकर , चला रही ऑर्गेनिक...

37 साल की गीतांजलि किसानों के साथ मिलकर , चला रही ऑर्गेनिक खेती की कंपनी

1017
0

नई दिल्ली। एक ओर देश में खेती को लेकर जहां लोगों का लगाव कम हो रहा है। वहीं, बेंगलुरू की 37 साल की गीतांजलि राजामणि ऐसी महिला हैं, जो खेती में अलग तरीका अपनाकर अपने साथ-साथ अन्य किसानों की आमदनी भी बढ़ा रही हैं। इन्होंने 2017 में दो दोस्तों के साथ मिलकर स्टार्टअप कंपनी फार्मिजन शुरू की थी। इनकी कंपनी बेंगलुरू, हैदराबाद और सूरत में काम कर रही है।
एक तरफ यह किसानों से बराबरी की पार्टनरशिप कर उनसे जैविक खेती करवाती हैं। दूसरी तरफ उनके खेत को 600-600 वर्गफुट के आकार में बांटकर ग्राहकों को 2500 रुपए प्रति माह की दर पर किराए पर देती है। ग्राहक मोबाइल एप से चुने प्लॉट में पसंद की सब्जियां लगवाते हैं। सब्जियां तैयार होने पर फार्मिजन का वाहन ग्राहकों के घर तक पहुंचा देता है। इससे दो फायदे हो रहे हैं। पहला, ग्राहकों को 100% आॅर्गेनिक सब्जियां घर बैठे मिल रही हैं। दूसरा, किसानों की कमाई तीन गुना बढ़ गई है। तीन महीने पहले ही फार्मिजन ने जैविक फलों की डिलीवरी भी शुरू की है। इसके ग्राहकों की संख्या 3000 के आंकड़े को पार कर गई है। इसका सालाना टर्नओवर 8।40 करोड़ रुपए का है। गोल्डमैन साक्स और फॉर्च्यून ने पिछले साल अक्टूबर में गीतांजलि को ग्लोबल वुमन लीडर से नवाजा है।
गीतांजलि टीसीएम की नौकरी छोड़ चुकी हैं
14 जून 1981 को हैदराबाद में जन्मी गीतांजलि कहती हैं, जब मैं दो साल की थी पिता का सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। मां ने मेरी और बड़े भाई की परवरिश की। मैंने 2001 में उस्मानिया कॉलेज फॉर वुमन, हैदराबाद से बीएससी किया। इसके बाद 2004 में सेंट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ पांडिचेरी से इंटरनेशनल बिजनेस में एमबीए किया। करीब 12 साल क्लीनिकल रिसर्च कंपनियों में काम किया। 2014 में टीसीएस की जॉब छोड़ दी। कुछ अपना काम करने निर्णय लिया। प्लांटिंग-गार्डनिंग का शौक था। 2014 में ग्रीन माई लाइफ नाम की कंपनी शुरू की। यह रूफ टॉप गार्डनिंग, टैरेस गार्डनिंग डिजाइनिंग काम करती है। इसका सालाना टर्नओवर 6 करोड़ रुपए का है।

गीतांजलि को फार्मिजन का आइडिया कैसे आया?
गीतांजलि कहती हैं हम जो सब्जियां खाते हैं उनमें कीटनाशक भी होते हैं। यह शरीर के लिए घातक हैं। इसी को ध्यान में रखकर दो साल पहले फार्मिजन शुरू करने का आइडिया आया। हमारे घर के पास में एक किसान थे। सोचा उनसे कुछ जमीन किराए पर लेकर खुद सब्जियां उगाते हैं। किसान से कहेंगे सब्जियों पर कीटनाशक न डाले। दो दोस्त शमिक चक्रवर्ती और सुधाकरन बालसुब्रमणियन ने मदद की। कुछ और लोग भी जुड़े। हमने पाया कि 600 वर्गफुट से एक परिवार के जरूरत लायक सब्जियां पैदा हो सकती हैं। शमिक और सुधाकरण आईटी से हैं। हमने एप बनाया। जून 2017 में पहला खेत लॉन्च किया। अब हम बेंगलुरू, हैदराबाद और सूरत में 46 एकड़ में काम कर रहे हंै। सितंबर 2017 में वीसी फंड वेंचर हाईवे और चार एजेंल इन्वेस्टर से 34।50 लाख रुपए की फंडिंग मिली है। एंजेल इन्वेस्टर में व्हाट्सएप की कोर टीम के मेंबर रहे नीरज अरोरा भी शामिल हैं।
किसानों-ग्राहकों को मनाना बड़ी चुनौती थी
हमें एक अनुभवी किसान नारायण रेड्डी मिले जिनका खेत उर्वरकों और कीटनाशकों के इस्तेमाल से खराब हो रहा था। वे हमारे साथ काम करने को राजी हो गए। हमने ग्राहकों से कहा, बाजार में जो गोभी मिलती उन्हें ब्लीच कर सफेद किया जाता है। यह सही नहीं है। आप जैविक सब्जियां खाएं जिनमें कीट लगे हों। यदि जैविक गोभी कीड़ों के लिए सेफ है तो यह आपके लिए भी सेफ है। आप इसे खा सकते हैं। इसके बाद वे राजी होने लगे।

फार्मिजन का व्यवसाय प्रक्रिया ओला-उबर की तरह
फार्मिजन किसानों के साथ बराबरी की साझेदारी करता है। किसानों को जैविक खेती पर सलाह देता है। बीज-रोपे मुहैया कराता हं। छिड़काव के लिए नीम का तेल, अरंडी का तेल आदि मुहैया कराता है। किसान सब्जियां उगाते हैं। स्टार्टअप उपज की मार्केटिंग करता है। 600 वर्गफुट के लिए मिलने वाला 2,500 रु। मासिक किराया फार्मिजन और किसान आधा-आधा बांटते हैं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here