Home National अब दिल्ली में भी होगा प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज

अब दिल्ली में भी होगा प्लाज्मा थेरेपी से कोरोना का इलाज

881
0

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ प्लाज्मा थेरेपी तकनीक का इस्तेमाल अब ट्रायल बेसिस पर दिल्ली में भी इस्तेमाल किया जा सकता है। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने कोरोना संक्रमण के लिए हुई बैठक के बाद इस बारे में ट्वीट कर कहा कि COVID-19 के गंभीर मरीजों की जान बचाने के लिए अब दिल्ली में भी प्लाज्मा तकनीक का इस्तेमाल होना चाहिए। साथ ही यह भी कहा है कि केंद्र सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन और एसओपी व प्रोटोकॉल का गंभीरता से पालन किया जाना चाहिए।

  • केरल के बाद अब दिल्ली में भी कोविड-19 के मरीजों पर प्लाज्मा थेरेपी का होगा ट्रायल।
  • एलजी अनिल बैजल ने मीटिंग के बाद इसके बारे में ट्वीट कर दी जानकारी।
  • प्लाज्मा थेरेपी में वायरस से ठीक हो चुके व्यक्ति के खून को दूसरे मरीज में चढ़ाया जाता है।

आईसीएमआर ने पहले ही केरल में प्लाज्मा तकनीक के इस्तेमाल को हरी झंडी दे दी है। वहां पर इस पर आगे का काम जारी है। जब कि एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने कहा कि यह तकनीक पुरानी है और पहले भी इसका इस्तेमाल होता रहा है। इस तकनीक में ठीक हुए मरीज को ब्लड डोनेट करने की जरूरत होती है, जब वो ब्लड डोनेट करते हैं, तभी इसका इलाज संभव है। उन्होंने कहा कि यह कुछ हद तक कारगर है, लेकिन सबसे जरूरी है कि जो मरीज ठीक हो रहे हैं, उन्हें ब्लड डोनेट के लिए प्रेरित करना होगा।

यही नहीं, मरीज की ब्लड डोनेशन से पहले जांच की जाती है, जिससे कि उनमें कोई दूसरा इंफेक्शन न हो, फिर उसके ब्लड से प्लाज्मा निकाल कर दूसरे गंभीर मरीजों में चढ़ाया जाता है। ऐसे समय में जब पूरी दुनिया में इस वायरस के खिलाफ न दवा है और न ही कोई वैक्सीन, इसमें यह तकनीक एक बड़ी उम्मीद बनकर सामने आई है।

क्या है प्लाज्मा थेरेपी
मूलचंद के डॉक्टर श्रीकांत शर्मा ने बताया कि इस थेरपी में एक प्रकार से एंटीबॉडी का इस्तेमाल किया जाता है, इसलिए इसे प्लाज्मा थेरपी के अलावा एंटीबॉडी थेरपी भी कहते हैं। किसी खास वायरस या वैक्टीरिया के खिलाफ शरीर में एंटीबॉडी तभी बनता है, जब इंसान उससे पीड़ित होता है। अभी कोरोना वायरस फैला हुआ है, जो मरीज इस वायरस की वजह से बीमार हुआ और वह ठीक हो जाता है तो उसके शरीर में इस कोविड वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनता है। इसी एंटीबॉडी के बल पर मरीज ठीक होता है। जब कोई मरीज बीमार रहता है तो उसमें एंटीबॉडी तुरंत नहीं बनता है। उसके शरीर में वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनने में देरी की वजह से वह सीरियस हो जाता है। ऐसे में जो मरीज अभी-अभी इस वायरस से ठीक हुआ है, उसके शरीर में एंटीबॉडी बना होता है। वही एंटीबॉडी उसके शरीर से निकालकर दूसरे बीमार मरीज में डाल दिया जाता है। वहां जैसे ही एंटीबॉडी जाता है मरीज पर इसका असर होना शुरू हो जाता है और वायरस कमजोर होने लगता है, इससे मरीज के ठीक होने की संभावना ज्यादा बढ़ जाती है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here