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कर्नल आशुतोष का बड़े भाई और पत्नी और मेजर अनुज का पिता ने किया अंतिम संस्कार

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जयपुर। कश्मीर के हंदवाड़ा में आतंकी हमले में शहीद हुए कर्नल आशुतोष शर्मा का मंगलवार को जयपुर में अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें पत्नी पल्लवी और बड़े भाई पीयूष ने मुखाग्नि दी। मुखाग्नि देते समय पत्नी के चेहरे पर गर्व की मुस्कान थी। इससे पहले कर्नल आशुतोष को मिलिट्री स्टेशन में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भी श्रद्धांजलि दी। वहीं, पंचकूला में मेजर अनुज सूद को उनके पिता सीके सूद ने मुखाग्नि दी।

मां और भाई ने पुष्पचक्र चढ़ाया
मंगलवार सुबह करीब 8.30 बजे कर्नल आशुतोष की पार्थिव देह को आर्मी कैंपस में रखा गया। यहां उनकी मां और भाई ने पुष्पचक्र चढ़ाया। इसके बाद सेना के अफसरों ने शहीद को श्रद्धांजलि दी। फिर एडीजे हेमंत प्रियदर्शी, पुलिस कमिश्नर आनंद श्रीवास्तव, कलेक्टर जोगाराम, सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौड़, मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास, लालचंद कटारिया ने पुष्प चढ़ाए। इसके बाद पार्थिव देह को मोक्षधाम ले जाया गया। पत्नी के साथ बेटी भी थीं। यहां पार्थिव देह पर पुष्पवर्षा की गई। अफसरों ने शहीद की पार्थिव देह पर लिपटा तिरंगा पत्नी को सौंपा।

पंचकूला में भी शहीद को अंतिम विदाई
पंचकूला में शहीद अनुज सूद का अंतिम संस्कार किया गया। उन्हें पिता ने मुखाग्नि दी। इससे पहले चंडीगढ़ में मेजर अनुज सूद की पार्थिव देह को आर्मी हॉस्पिटल से उनके पंचकूला स्थित घर ले जाया गया था तो पत्नी आकृति बिलख कर रो पड़ीं। ताबूत में अनुज को काफी देर तक टकटकी लगा कर देखती रहीं। अनुज की मां भी ताबूत के पास काफी देर तक बैठी रहीं। शहीद की बहन हर्षिता सेना में कैप्टन हैं, वे भी घर पहुंचीं। उन्होंने कभी अपनी मां को तो कभी भाभी को संभाला।

2 मई को शहीद हुए थे
आशुतोष 21 राष्ट्रीय राइफल्स में कमांडिंग अफसर थे। कश्मीर के हंदवाड़ा में घर में छिपे आतंकियों की सूचना मिलने पर आशुतोष ने घेराबंदी की। 18 घंटे चली मुठभेड़ में वे अपने चार अन्य साथियों समेत 2 मई को शहीद हो गए थे।

शहीद का पार्थिव शरीर सोमवार को जयपुर पहुंचा तो हर आंख भर आईं, गले रुंध गए। सेना के अधिकारियों ने आशुतोष का सामान और वर्दी पत्नी पल्लवी को दी। आशुतोष की यादों में गुंथे बड़े भाई पीयूष ने बताया कि उसका तो पहला प्यार वर्दी थी। एक ही धुन कि कंधे पर सितारे पहनना है। ग्रेजुएशन के बाद सेना में गए। आशुतोष कहता था कि आईपीएस बनकर समाज के लिए बहुत कुछ करना है। वे तो बेटी को भी आईपीएस बनने के लिए प्रेरित करते थे। आशुतोष तो तैयारी भी करा रहा था, लेकिन जम्मू-कश्मीर में ड्यूटी के कारण मौका नहीं मिल पाया। अब आशुतोष के सपने को पूरा करना हम सबकी जिम्मेदारी है। बेटी तमन्ना को आईपीएस बनाएंगे।

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