एंटरटेनमेंट डेस्क। मुंबई मायानगरी ने पिछले सात दशकों से बड़े उतार-चढ़ाव देखे हैं। फिल्म अभिनेत्री अमृता राव का कहना है कि साल 2002 में उनके करियर की शुरुआत से लेकर अब तक तुलना करने पर कलाकारों के लिए विजिविलिटी की अवधारणा ने सोशल मीडिया और टैलेंट मैनेजमेंट फर्मों को बदल दिया है। अमृता ने कहा, “हम इन दिनों जो सोशल मीडिया और पीआर मशीनरी देख रहे हैं, इस युग से पहले एक कलाकार की लोकप्रियता और सेलिब्रिटी की स्थिति अभिनेता या अभिनेत्री की प्रतिभा की बाइप्रो़डक्ट थी। जब मैंने एक किशोरी के रूप में उद्योग में प्रवेश किया और ‘इश्क विश्क’, ‘मस्ती’, और ‘मैं हूं ना’ जैसी फिल्मों में दिखाई दी तो लोगों ने मेरे प्रदर्शन के कारण मुझे देखा, हालांकि ‘मैं हूं ना’ जैसी फिल्मों में शाहरूख खान और सुष्मिता सेन जैसे सुपरस्टार हैं।
उन्होंने आगे कहा, “सोशल मीडिया पर लोकप्रिय हस्ती बनने में कोई बुराई नहीं है, बस एक बड़ा बदलाव हुआ है। मैंने ट्रांजिशन पीरियड के दौरान उद्योग में प्रवेश किया। इससे पहले, प्रतिभा का होना महत्वपूर्ण था और एक कलाकार के रूप में, हम अपने कौशल को बेहतर करते थे। अब टैलेंट मैनेजमेंट जैसी चीजें भी हैं। एक तरह से यह एक अच्छा सांस्कृतिक परिवर्तन है जो कलाकारों को नौकरी के अवसर के साथ अधिक सुरक्षित महसूस कराता है।”
आज के दौर में देखा जाय तो हर चीज के मायने ही बदल गए हैं। अब कला कम टेलेंट मैनेजमेण्ट और डिजिटलाइजेशन ने सबकुछ बदल दिया है। बहुत कुछ बदलने के पीछे दर्शकों की डिमांड भी है। दर्शक क्या देखना पसंद करते हैं, निर्माता और निर्देशक इस चीज को ध्यान में रखकर उस पर वर्क करते हैं। अगर सच्चाई पर नजर डालें तो आज के प्रोडक्शन का स्तर पहले से काफी कम है।