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सितंबर में असम के आदिवासी उग्रवादी समूहों के साथ शांति समझौते पर कर हस्ताक्षर सकती है केन्द्र सरकार

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असम। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने मंगलवार को कहा कि केन्द्र सरकार सितंबर में असम के आदिवासी उग्रवादी समूहों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है। कैबिनेट की बैठक के बाद यहां संवाददाता सम्मेलन में मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य में आधार कार्ड को राशन कार्ड से जोड़ने के दौरान सरकार को 50 लाख लाभार्थियों का अंतर मिला है। शर्मा ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार सितंबर में असम के आदिवासी उग्रवादी समूहों के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है।’’

इस संबंध में विस्तृत जानकारी दिए बगैर मुख्यमंत्री ने कहा कि यह प्रक्रिया केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह की पहल के तहत पूरी की जा रही है। असम पुलिस मुख्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई/भाषा’ को बताया कि पांच उग्रवादी समूहों के शांति समझौते पर हस्ताक्षर करने की संभावना है। ये समूह हैं… ‘ऑल आदिवासी नेशनल लिबरेशन आर्मी’, ‘आदिवासी कोबरा मिलिटेंट ऑफ असम’, ‘बिरसा कमांडो फोर्स’, ‘संथाल टाइगर फोर्स’ और ‘आदिवासी पीपुल्स आर्मी’।

अधिकारी ने बताया, ‘‘अभियान (ऑरेशन) के निलंबन की घोषणा करने के बाद उक्त समूह वर्षों से संघर्षविराम में हैं। इनके कैडर (सदस्य) पुलिस सुरक्षा में तय शिविरों में रहते हैं।’’ केन्द्र सरकार ने जनवरी 2020 को ‘नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के साथ बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर किये थे। आधार कार्ड और राशन कार्ड को जोड़े जाने पर लाभार्थियों की संख्या में अंतर सामने आने के संबंध में शर्मा ने कहा, ‘‘(आधार और राशन कार्ड को) जोड़ने के अभियान के बाद, हमें पता चला है कि करीब 50 लाख लाभार्थी (सेवा लेने के लिए) नहीं आए हैं।

कुछ लोगों की संभवत: मृत्यु हो गई होगी जबकि कुछ लोग विवाह और अन्य कारणों से दूसरी जगह चले गए होंगे। दुर्भाग्य की बात यह है कि कुछ फर्जी नाम भी मिले हैं।’’ कैबिनेट की बैठक के बाद संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि इन लापता लाभार्थियों के कारण सरकार के पास काफी धन की बचत होगी जिसका उपयोग वह सही लोगों को सूची में जोड़ने के लिए करेगी। उन्होंने बताया, ‘‘हम राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून (एनएफएसए) के तहत नये 50 लाख लोगों को शामिल करेंगे। आज कैबिनेट की बैठक में इन बिन्दुओं पर चर्चा हुई।’’

शर्मा ने पत्रकारों को बताया कि ‘अरुनोदोई’ योजना के तहत करीब 62,000 लोग अपात्र पाये गए जबकि 2,000 लोगों ने स्वेच्छा से इस योजना के तहत लाभ लेने से मना कर दिया। राज्य सरकार इस योजना के तहत करीब 20 लाख लाभार्थी परिवारों को पहले मासिक 1,000 रुपये की राशि देती थी जिसे अक्तूबर से बढ़ाकर प्रतिमाह 1,250 रुपये कर दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘अरुनोदोई माह 20 सितंबर को समाप्त हो रहा है। हमें वास्तविक संख्या का ज्ञान तभी होगा। मैं आशा करता हूं कि जिन्हें बाहर किया गया है, उनके स्थान पर एक लाख नये लाभार्थी जोड़े जाएंगे।’’

कैबिनेट ने बैठक में राज्य में दंगों के कारण विस्थापित हुए आदिवासी, बोडो और कूच-राजबोंगशीस समुदायों के लोगों के लिए वित्तीय पैकेज को भी मंजूरी दी। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ‘कमतापुर स्वायत परिषद’ और ‘राभा हसोंग स्वायत परिषद’ जैसी निर्वाचित संस्थाओं को और अधिकार देने के पक्ष में है। उन्होंने कहा, ‘‘हमें बीटीआर (बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन) और राभा हसोंग स्वायत परिषद क्षेत्र को छोड़कर, कामतापुर स्वायत परिषद को भूमि अधिकार देने की जरूरत है। लेकिन, हम असम का विभाजन करके पृथक कामतापुर राज्य के गठन के पक्ष में नहीं हैं, जैसा कि कुछ लोग मांग कर रहे हैं।’’

मुख्यमंत्री ने कहा कि सरकार ने यह भी फैसला लिया है कि अगले शिक्षण सत्र से वह 12वीं तक की परीक्षाओं में छात्रों को बोडो में उत्तर लिखने की अनुमति देगी। फिलहाल बोडो में उत्तर लिखने की अनुमति 10वीं तक के छात्रों को ही है। कैबिनेट की बैठक में अन्य मुद्दों पर हुई चर्चा के संबंध शर्मा ने पत्रकारों से कहा, अगले दो वित्त वर्षों में बीटीआर (बोडोलैंड टेरीटोरियल रीजन) में सड़क संपर्क विकसित करने के लिए ‘मुख्यमंत्री गुडविल परियोजना’ के तहत 500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे।

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