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देहरादून के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में पेड़ काटने व अवैध निर्माण की होगी सीबीआई जांच

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देहरादून। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने राज्य के कॉर्बेट बाघ अभयारण्य में बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई और अवैध निर्माण की जांच करने का सीबीआई को बुधवार को निर्देश दिया। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ ने दिया। खंडपीठ ने कहा कि आदेश की एक प्रति अनुपालन के लिए निदेशक सीबीआई, नई दिल्ली को भी भेजी जानी चाहिए।

अनियमितताओं की विभिन्न जांच के नतीजों और क्षेत्र निरीक्षणों का हवाला देते हुए, जिसमें उच्च पदस्थ वन अधिकारियों की संलिप्तता का संकेत मिला, अदालत ने अपने 16-पृष्ठ के आदेश में कहा कि वह मात्र तमाशबीन’’ नहीं बनी रह सकती। अदालत ने कहा, रिकॉर्ड पर मौजूद सामग्री, प्रथम दृष्टया मामले का खुलासा करती है, जिसमें सीबीआई द्वारा जांच की जरूरत है। इसलिए वर्तमान मामले को कानून के अनुसार उचित जांच के लिए सीबीआई को भेजा जाता है।’’

इसने राज्य के सभी अधिकारियों से मामले की निष्पक्ष जांच करने में जांच एजेंसी के साथ सहयोग करने को भी कहा। राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण द्वारा गठित एक समिति ने कॉर्बेट का एक क्षेत्रीय निरीक्षण किया था और पाया था कि वन अधिकारियों ने कॉर्बेट बाघ अभयारण्य के पाखरो वन विश्राम गृह और कालागढ़ विश्राम गृह के बीच सड़कें, पुल, इमारतें और जलाशयों के अवैध निर्माण की अनुमति देने के लिए सरकारी रिकॉर्ड में जालसाजी की थी।

आदेश में उद्धृत भारतीय वन सर्वेक्षण की रिपोर्ट के अनुसार, कॉर्बेट में बाघ सफारी परियोजना के लिए 6,000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे। मामले में राज्य सरकार की अब तक की कार्रवाई पर उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘राज्य के उच्च अधिकारियों पर लगे गंभीर आरोपों को देखते हुए महज कुछ अधिकारियों को निलंबित करना और उन्हें आरोपपत्र देकर मामले को लंबित रखना किसी भी तरह से ठोस कार्रवाई के दायरे में नहीं आता।