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भारत-अमेरिका की दोस्ती मजबूत होती देख तिलमिलाया ड्रैगन

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नई दिल्ली। जी-20 सम्मेलन में भारत की चमक और धमक पूरी दुनिया देख रही है। वसुधैव कुटंबकम के सिद्धांत पर आगे बढ़ रहा भारत, रिश्तों की एक नई इबारत लिख रहा है। जो पड़ोसी देश चीन को टेंशन दे रहा है। भारत की अमेरिका से मजबूत होती दोस्ती, मीडिल ईस्ट पर भारत के बढ़ते कदम चीन को कांटे की तरह चुभ रहे हैं। भारत की बढ़ती ताकत और रुतबा चीन को हजम नहीं हो रहा है, इसलिए बुरी तरह से बौखलाया ‘ड्रैगन’ अब प्रोपेगेंडा फैलाते हुए भारत के खिलाफ जहर उगल रहा है। दरअसल प्रधानमंत्री मोदी ने जी-20 समिट में भारत, मध्य पूर्व और यूरोप के एक मेगा इकोनॉमिक कॉरिडोर के लॉन्च का ऐलान किया था।

इकोनॉमिक कॉरिडोर पर तिलमिलाया चीन
कॉरिडोर को लेकर पीएम मोदी ने कहा था हम एक अहम और ऐतिहासिक पार्टनरशिप पर पहुंच गए हैं, आने वाले समय में ये भारत, पश्चिम एशिया और यूरोप के बीच आर्थिक सहयोग का एक बड़ा माध्यम होगा। इस आर्थिक गलियारे से चीन तिलमिला गया है। चीनी मीडिया ग्लोबल टाइम्स ने इस प्रस्ताविक कॉरिडोर को चीन के लिए घेराबंदी मानते हुए बौखलाहट दिखाई है। ग्लोबल टाइम्स में लिखा गया है कि ये आर्थिक कॉरिडोर सिर्फ कागजों में रहेगा। चीन ने अमेरिका पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि ये ब्रिक्स को प्रभावित करने की कोशिश है।

दरअसल जो काम अब तक G-20 का कोई देश नहीं कर पाया वह भारत ने कर दिखाया है। समिट के पहले दिन नई दिल्ली जी-20 डिक्लेरेशन को मंजूरी मिली तो चीन तिलमिला गया। साफ है कि G-20 में भारत की कूटनीतिक जीत से पड़ोसी देश चीन बौखला गया है। दरअसल पहले अफ्रीकन यूनियन को स्थायी सदस्यता फिर मिडल ईस्ट देशों से कनेक्टिविटी पर भारत के बढ़ते कदम ने चीन की नींद उड़ा दी है।

BRI-CPEC को लेकर चिंतित है चीन
भारत, यूरोप और मिडिल ईस्ट यानी खाड़ी देशों के बीच हुई इकोनॉमिक कॉरिडोर डील से चीन बुरी तरह से तिलमिला गया है। ये डील चीन के दो प्रोजेक्ट का जवाब माना जा रहा है। बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव और चाइना-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर। अब दिल्ली में तो चीन के नेता अपनी कोई छाप छोड़ नहीं पाए ऐसे में G20 समिट में इंटरनेशनल लेवल के बड़े प्रोजेक्ट्स के ऐलान से भड़के ड्रैगन ने एक बार फिर ग्लोबल टाइम्स से हमला बोला है।

‘मिडिल ईस्ट’ में चीन को अलग-थलग करने की चाल
चीन ने कहा कि ये आर्थिक कॉरिडोर मिडिल ईस्ट में चीन को अलग-थलग करने की अमेरिका की चाल कामयाब नहीं होगी। चीन दावा कर रहा है कि मिडिल ईस्ट पर अमेरिका का असर कम हुआ है। चीन ने कहा कि सऊदी अरब और UAE ब्रिक्स में शामिल हैं। इस डील को चीन के खिलाफ भारत की डिप्लोमैटिक बढ़त माना जा रहा है। साथ ही भारत की ‘धमक’ और अमेरिका से मजबूत होती दोस्ती से चीन को ‘सदमा’ लगा है।

डील को समझिए

  • 8 देश इस इकोनॉमिक कॉरिडोर का हिस्सा।
  • 10 साल में कम्प्लीट करने का टारगेट।
  • ग्लोबल साउथ में कनेक्टिविटी गैप खत्म होगा।
  • मिडिल ईस्ट भारत और यूरोप के साथ जुड़ेंगे।
  • रेल मार्ग और पोर्ट के जरिए कनेक्टिविटी होगी।

चीन का सपना टूटा
वहीं इस डील से चीन की नींद इसलिए उड़ी हुई है कि क्योंकि उसे अपने मंसूबे पर पानी फिरता दिख रहा है। दरअसल चीन की कोशिश रही है कि वो UAE और सऊदी अरब में दबदबा बढ़ाकर अमेरिका और भारत को यहां कमजोर करे, लेकिन अब भारत और अमेरिका की दोस्ती से उसे ऐसा मुमकिन होता नहीं दिख रहा है।

चीन की नींद उड़ी
यहीं वजह है कि समिट शुरू होने से पहले ही उसने अमेरिका को रंग में भंग डालने वाला बता दिया था। दुनिया में इस वक्त भारत की बात हो रही है। जिससे चीन की छाती पर सांप लोट रहे हैं। भारत और अमेरिका में रिश्तों की नई इबारत लिखी जा रही है, तो चीन की नींद उड़ी हुई है। अमेरिका से भारत की करीबी, ड्रैगन पचा नहीं पा रहा है। इसलिए अब वो नए-नए हथकंडे अपना रहा है।

भारत के दांव से चीन को लगी पटखनी
अपनी चालबाजी के लिए मशहूर चीन G-20 सम्मेलन को लेकर तरह-तरह के प्रोपेगेंडा चला रहा है। भारत की चमक को कम करने के लिए पैतरेबाजी कर रहा है। भले ही चीन, भारत की छवि धूमिल करने के लिए कई चालाकियां चल रहा है, लेकिन G20 में भारत अपने दांव से ड्रैगन को लगातार पटखनी दे रहा है।

भारत के कदम जितनी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं। चीन की चिंता और ब्लड प्रेशर भी उतना बढ़ता जा रहा है। पूरी दुनिया भारत की क्षमता और सामर्थ्य का लोहा मान रही है तो कुछ लोग बौखला गए हैं। यही वजह है कि बीजिंग की ओर से भारत की छवि धूमिल करने के नए-नए प्रोपेगेंडा चलाया जा रहा हैं। हालांकि ऐसी हर चालबाजी का भारत कूटनीतिक तरीके से सटीक जवाब दे रहा है।