गोंदिया। वैश्विक स्तर पर पूरी दुनियां ईरान के राष्ट्रपति की हेलीकॉप्टर क्रैश दुर्घटना से स्तब्ध है, बात यहीं तक नहीं रुकी इनके साथ वित्त, विदेश मंत्री की भी मृत्यु हुई जबकि उस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए तीन हेलीकॉप्टर निकले थे, इनमें से दो की सफल लैंडिंग हो गई जबकि तीसरा हेलीकॉप्टर जिसमें राष्ट्रपति और उनके दो मंत्री शामिल थे वह क्रैश हो गया, तो मानवीय बौद्धिक क्षमता का जोर तो इस पर चलेगा ही कि ऐसा क्यों हुआ यह दुर्घटना है या घटना, साजिश है या प्लान, कुदरत है या मानव मेड, इन सभी सवालों का मानवीय मस्तिष्क में उभरना लाजमी भी है, मेरा मानना है कि इसी को ध्यान में रखते हुए ही ईरान में एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है जो इस पूरे मामले पर ध्यान रखेगी, क्योंकि अभी कुछ समय में ईरानी राष्ट्रपति काफी चर्चा में थे, क्योंकि इजराइल पर हमला हुए थे उससे खटास, अमेरिका द्वारा उन पर लंबे समय से प्रतिबंध लगा दिया गया है, उधर हमास के समर्थन में खुलेआम उतरना, यह तो स्वाभाविक रूप से विश्व की पर्दे के पीछे सोच पर ध्यान जाएगा ही? हालांकि किसी ने भी खुलकर इस विषय को उठाया नहीं है, परंतु 21 मई 2024 को ईरान के पूर्व विदेश मंत्री ने उनके मौत के लिए अमेरिका को संभावित जिम्मेदार बताया है, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों के कारण ईरान को आधुनिक विमान सुविधा उपलब्ध नहीं हो पा रही थी, जिसके कारण पुरानी तकनीकी के हेलीकॉप्टर प्रयोग में लाते थे जिससे खतरा हमेशा बना रहता था, क्योंकि अमेरिकी प्रतिबंधों के करण लेटेस्ट तकनीकी से लैस विमान व चॉपर्स नहीं थे। दशकों पुराने अन अपडेटेड हेलीकॉप्टरों का संज्ञान कनेक्शन संभव हो सकता है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, ईरानी राष्ट्रपति हेलीकॉप्टर क्रैश में संभवत अमेरिकी कनेक्शन की चर्चा जोरों पर है और अगले राष्ट्रपति पर सस्पेंस कायम है।
साथियों बात अगर हम हेलीकॉप्टर क्रैश में संभावित अमेरिकी कनेक्शन की चर्चा करें तो ईरान के राष्ट्रपति की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत हो गई है। उनकी मौत में संभवत अमेरिका कनेक्शन ईरान पर बैन के रूप में सामने आया है। उनकी मौत में अमेरिका भले ही सीधे तौर पर जिम्मेदार न हो, मगर यह हादसा उसकी वजह से जरूर हो सकता है, जो कड़ियां सामने आई हैं, उससे यह स्पष्ट है कि वे कैसे अमेरिकी प्रतिबंधों की भेंट चढ़ गए। जिस हेलीकॉप्टर क्रेश में ईरान के राष्ट्रपति थे, वह आउटडेटेड और बेसिक चॉपर था। चूंकि ईरान पर अमेरिका ने दशकों से प्रतिबंध लगा रखा है, ऐसे में उसके पास लेटेस्ट तकनीक से लैस विमान और चॉपर्स नहीं हैं। यही वजह है कि रईसी को आउटडेटेड हेलीकॉप्टर में सवार होना पड़ा, जिसका निर्माण दशकों पहले बंद हो चुका है। दरअसल, 1979 की क्रांति के बाद से ईरान पर प्रतिबंधों की मार पड़ी। इन प्रतिबंधों ने ईरान को बड़े पैमाने पर अमेरिका या यूरोपीय सप्लायर्स से नए विमान या एयरक्राफ्ट कंपोनेंट को खरीदने से रोक दिया। इसकी वजह से ईरान के मिलिट्री और सिविलियन दोनों ऑपरेटरों को अमेरिकी एयरक्राफ्ट कंपनी बोइंग कंपनी और यूरोपीय एयरक्राफ्ट कंपनी एयरबस एसई से विमान खरीद पर बैन है और इसलिए पिछले कुछ दशकों से ईरान को पुराने और किसी तरह काम चलाने वाले एयरक्राफ्ट हेलीकॉप्टर पर निर्भर रहना पड़ा है। बता दें कि दुर्घटना में बेल 212 हेलीकॉप्टर में सवार सभी आठ लोगों की मौत हो गई, जिसे ईरान ने 2000 के दशक की शुरुआत में खरीदा था। परंतु इसके जवाब में अमेरिकी अधिकारी ने कहा 45 साल पुराने हेलीकॉप्टर को खराब मौसम में उड़ाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए ईरान की सरकार ही जिम्मेदार है। बेल हेलीकॉप्टरों का निर्माण संयुक्त राज्य अमेरिका में किया गया था। इसने पहली बार 1968 में उड़ान भरी थी। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, ईरानी एयरलाइंस दुनिया के कुछ सबसे पुराने विमानों का संचालन करती है, जिनके बेड़े की औसत आयु 25 वर्ष से अधिक है। ईरान में अब भी कुछ ऐसे विमान उड़ान भर रहे हैं, जो दुनिया के बाकी हिस्सों में रिटायर हो चुके हैं।यानी दुनिया के बाकी हिस्सों में जिन विमानों की अब कोई पूछ नहीं, ईरान अब भी ऐसे विमानों से काम ले रहा है। इनमें मैकडॉनेल डगलस एमडी-83 और एयरबस ए300 और ए310 शामिल हैं। मैकडॉनेल डगलस को लगभग 27 साल पहले अमेरिकी कंपनी बोइंग ने अधिग्रहित कर लिया था।
साथियों बात अगर हम अगले ईरानी राष्ट्रपति की चर्चा की करें तो, ईरानी राष्ट्रपति कीहेलिकॉप्टर क्रैश में सोमवार को मौत हो गई। उनकी ऐसे वक्त में मौत हुई है, जब मिडिल ईस्ट क्षेत्र में शांति और स्थिरता में तेहरान की भूमिका पर जोर दिया जा रहा है। अब भारत समेत पूरी दुनिया की नजर इस बात पर होगी कि आखिर ईरान का अगला राष्ट्रपति कौन और कैसा होगा? इब्राहिम रईसी के उत्तराधिकारी को लेकर ईरान के मन में क्या चल रहा है, नया राष्ट्रपति उनकी की तरह ही कट्टर छवि वाला होगा या फिर हसन रूहानी जैसा उदार, इस पर भारत की पूरी नजर है और वह काफी करीब और सावधानी से देख रहा है।दरअसल, सुप्रीम लीडर अली खामेनेई ईरान की सत्ता में सबसे शक्तिशाली शख्स हैं और अब इब्राहिम रायसी के आकस्मिक निधन से पैदा हुए हालात को ठीक करने के लिए उन्हें कदम उठाना होगा। 63 वर्षीय इब्राहिम रईसी अगस्त 2021 से ही राष्ट्रपति थे। उन्हें कट्टरपंथी छवि का नेता माना जाता था। उनको ही ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई का उत्तराधिकारी माना जाता था। अब चूंकि उनकी मौत हो चुकी है, ऐसे में सभी की निगाहें फिर से सुप्रीम लीडर पर होंगी और राष्ट्रपति पद के लिए शीर्ष दावेदारों में से एक सुप्रीम लीडर के बेटे हो सकते हैं, उनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने अपनी जिंदगी को काफी लो प्रोफाइल बना रखा है। इतना ही नहीं, उनके पास प्रशासनिक अनुभव की भी कमी है। मगर इब्राहिम रईसी की के चले जाने के बाद ईरान में राष्ट्रपति पद के लिए रेस में वह सबसे आगे रहेंगे। हाल के महीनों में ईरान पर सबका ध्यान 7 अक्टूबर के बाद से हुई घटनाओं के कारण रहा है। 7 अक्टूबर को हमास ने इजरायल पर हमला कर दिया था और इसके बादइजरायल ने गाजा पलटवार कर कत्लेआम मचा दिया। राष्ट्रपति की अचानक मौत पर उप-राष्ट्रपति संभालेंगे पद, 50 दिन में होंगे चुनाव। ईरान में राष्ट्रपति को सरकार का हेड जबकि सुप्रीम लीडर को हेड ऑफ स्टेट कहा जाता है। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान में अगर राष्ट्रपति की अचानक मौत होती है तो संविधान के हिसाब से उप-राष्ट्रपति को पद सौंपा जाता है। इसके लिए सुप्रीम लीडर अप्रूवल देंगे। ईरान में मोहम्मद मुखबेर उप-राष्ट्रपति हैं। उनके पद संभालने के बाद ईरान में अगले 50 दिन के अंदर राष्ट्रपति चुनाव कराने होंगे।
साथियों ईरान भारत रिश्तों हितों की बात करें तो ईरान संग क्यों जुड़ा रहा भारत, ईरान में भले ही रईसी के नेतृत्व में कट्टरपंथी सरकार थी, मगर भारत अपने हितों को सुरक्षित करने के लिए उनके और उनके शासन के साथ सक्रिय रूप से जुड़ा हुआ था। अगस्त 2023 में भारतीय पीएम ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के मौके पर जोहान्सबर्ग में राष्ट्रपति से मुलाकात की थी। इस मुलाकात में अन्यद्विपक्षीय मुद्दों के अलावा दोनों नेताओं ने चाबहार पोर्ट पर लंबित दीर्घकालिक अनुबंध पर चर्चा की थी और चाबहार डील को अंतिम रूप देने और हस्ताक्षर करने के लिए एक स्पष्ट राजनीतिक दिशा दी थी। बता दें कि पिछले हफ्ते नई दिल्ली और तेहरान के बीच चाबहार बंदरगाह को लेकर 10 साल के लिए डील हो गई है, जब ईरान ने भारतीय नाविकों को रिहा किया वहीं, जब एक पुर्तगाली जहाज पर सवार भारतीय नाविकों को ईरानी नौसेना ने कैद कर लिया था, तब विदेश मंत्री ने बैठकों और फोन कॉल के माध्यम से ईरानी विदेशी मंत्री के साथ भी बातचीत की थी और उनकी रिहाई सुनिश्चित करवाई थी। यह भारतीय हितों को सुरक्षित करने के लिए महत्वपूर्ण था। भारत और ईरान के बीच परस्पर संबंधों का एक लंबा इतिहास रहा है और हाल के दिनों में दोनों देशों के बीच समकालीन संबंध और बेहतर हुए हैं। रईसी और पीएम की पहली मुलाकातहाल के सालों में 2016 में पीएम की द्विपक्षीय यात्रा और 2018 में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति की पारस्परिक यात्रा की वजह से दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए। पीएम और रईसी ने पहली बार सितंबर 2022 में उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ प्रमुखों के शिखर सम्मेलन के मौके पर मुलाकात की थी, जिसके दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय सहयोग, विशेष रूप से व्यापार और कनेक्टिविटी के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई थी, मगर क्योंकि ईरान पर पश्चिमी प्रतिबंध है, जिसकी वजह से भारत 2018 से ही ईरान से तेल खरीदने में सक्षम नहीं है।
लेखक, विचारक एड. किशन सनमुखदास भावनानी कर विशेषज्ञ एवं स्तंभकार हैं।