नई दिल्ली। सांसद अमृतपाल सिंह ने अपनी मां बलविंदर कौर के बयान से खुद को अलग कर लिया है। अमृतपाल के शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों के सवाल का जवाब देते हुए उनकी मां ने कहा था कि अमृतपाल सिंह खालिस्तान समर्थक नहीं हैं। पंजाब के अधिकारों के लिए आवाज उठाना और युवाओं की बेहतरी के लिए काम करना किसी को खालिस्तान समर्थक नहीं बनाता। उन्होंने भारतीय संविधान के दायरे में चुनाव लड़ा था। अब उन्होंने संविधान की शपथ भी ली है। ऐसे में उनका उल्लेख संविधान के दायरे में नहीं किया जाना चाहिए।
मां बलविंदर कौर के बयान के वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सिख कट्टरपंथियों ने उनकी आलोचना करना शुरू कर दिया। हालाँकि, बाद में बलविंदर ने सिख समुदाय से उनके बयान को गलत नहीं लेने की अपील की। इसके बाद अमृतपाल ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट करते हुए खुद को अपनी मां के बयान से अलग कर लिया। उन्होंने अपनी मां के बयान पर दुख भी जताया।
एक्स पर शनिवार रात किए अपने पोस्ट में लिखा, ‘जब मैंने आज माता जी के कल दिए गए बयान को पढ़ा तो मुझे बहुत दुख हुआ। हालांकि मेरा मानना है कि माता जी ने अनजाने में ऐसा कहा, लेकिन ऐसा बयान मेरे परिवार या मेरा समर्थन करने वाले किसी भी व्यक्ति की ओर से नहीं आना चाहिए।’ उन्होंने आगे लिखा, ‘खालसा राज का सपना देखना सिर्फ अधिकार ही नहीं बल्कि बहुत गर्व की बात है। इस सपने के लिए अनगिनत सिखों ने अपनी जान कुर्बान की है और हम इस पवित्र मार्ग से पीछे हटने की कल्पना भी नहीं कर सकते। मैंने कई बार मंचों से कहा है कि अगर कभी पंथ और अपने परिवार के बीच चुनाव करने की नौबत आई तो मैं बिना किसी हिचकिचाहट के पंथ को ही चुनूंगा।’
अमृतपाल ने आगे लिखा, ‘इस संबंध में इतिहास का वह वाक्य बहुत सटीक बैठता है जहां बंदा सिंह बहादुर के साथ सिंह शहीद हो रहे थे, एक 14 वर्षीय युवक की मां ने उसे बचाने के लिए कहा कि अगर यह युवक सिख नहीं होता तो उसे मार दिया जाता। युवक ने आगे कहा कि अगर यह महिला कहती है कि मैं गुरु का सिख नहीं हूं, तो मैं कहता हूं कि वह मेरी मां नहीं है। मैं अपने परिवार को नसीहत देता हूं कि सिख राज्य से समझौता करने के बारे में कभी न सोचें। यह कहना दूर की बात है कि भविष्य में सोचते समय ऐसी गलती नहीं करनी चाहिए।’ बता दें कि अमृतपाल सिंह ने पंजाब की खडूर साहिब सीट से लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज की है।