नई दिल्ली। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आते जा रहे हैं वैसे-वैसे चुनावी समीकरण भी बदलते हुए नजर आ रहे हैं। प्रियंका गांधी के आने के बाद यूपी में पार्टी के कार्यकतार्ओं का उत्साह बढ़ा है।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी कई दिनों से लखनऊ में हैं जहां वे लगातार नेताओं-कार्यकतार्ओं से मुलाकात कर रही हैं। दूसरी तरफ सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस के शामिल होने की उम्मीद भी प्रियंका के आने से बढ़ी है। सूत्रों के अनुसार, कांग्रेस पार्टी सपा नेतृत्व के संपर्क में है।
गठबंधन को लेकर प्रियंका कर सकती हैं अखिलेश से बात सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से सीधे बात करेंगी और सपा-बसपा गठबंधन में शामिल होने और कांग्रेस के लिए अधिक सीटों की मांग उनके सामने रखेंगी।
नाम ना छापने की शर्त पर सपा के एक नेता ने कहा कि अखिलेश यादव प्रियंका गांधी से बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन मायावती को लेकर दुविधा बनी हुई है। हालांकि दोनों दल गठबंधन को लेकर किसी तरह की बयानबाजी नहीं कर रहे हैं।
यूपी में बदल सकता है समीकरण कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि ये ऐसा मामला है जिसपर कोई टिप्पणी नहीं की जा सकती है। दरअसल, प्रियंका गांधी ने साल 2017 में यूपी चुनाव से पहले, सपा और कांग्रेस के बीच गठबंधन में अहम भूमिका निभाई थी, हालांकि इस चुनाव में सपा-कांग्रेस गठबंधन को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
इसके बावजूद अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ भविष्य में गठबंधन की संभावना से इनकार नहीं किया था। हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के दौरान मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सीटों के बंटवारे पर कांग्रेस के साथ बात नहीं बनी तब सपा ने अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया था।
सीटों को लेकर जारी अटकलों को सपा नेता ने किया खारिज मायावती और अखिलेश यादव की पार्टी यूपी में 38-38 सीटों पर चुनाव लड़ने पर सहमत हुई हैं। जबकि उन्होंने अमेठी-रायबरेली में कोई उम्मीदवार खड़ा ना करने का फैसला किया है। बदले हालात में अब कांग्रेस नेताओं को उम्मीद है कि अखिलेश यादव कांग्रेस को 8-10 सीटें देने पर सहमत हो सकते हैं। हालांकि कांग्रेस नेताओं के इस दावे को सपा नेता ने खारिज कर दिया है।
बसपा-सपा गठबंधन में कांग्रेस के शामिल होने को लेकर लगाई जा रहीं तमाम अटकलें उनका कहना है कि अगर पार्टी 28 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो ये सपा के लिए फायदेमंद नहीं होगा। सपा नेता ने कहा कि इसके लिए दोनों दलों को त्याग करना होगा। हालांकि उन्होंने कहा, अखिलेश यादव बीजेपी को हराने के लिए बेस्ट सिचुएशन चाहते हैं। वहीं अखिलेश यादव के आधिकारिक प्रवक्ता ने इस खबरों को काल्पनिक बताते हुए खारिज कर दिया।