अयोध्या। राम मंदिर आंदोलन के गति पकड़ने और राजनीतिक मुद्दा बनने के बाद शायद ऐसा पहली बार हो रहा है कि इस मुद्दे को लेकर चुनाव में कोई गहमागहमी नहीं है। बीजेपी ने राम मंदिर निर्माण को इस बार भी अपने घोषणापत्र में जगह दी है, लेकिन उसके कैंपेन का यह हिस्सा नहीं है। यहां तक कि किसी नेता ने राम मंदिर के मसले पर चुनावी माहौल में कोई बयान तक नहीं दिया है।
लोकसभा चुनाव प्रचार में न तो राम मंदिर आंदोलन की चर्चा हो रही है और न ही इसे कोई राजनीतिक रैलियों में उठा रहा है। रामनवमी की पूर्व संध्या पर अयोध्या में भी ‘मंदिर वहीं बनाएंगे’ का नारा लगाता कोई नहीं दिखा। जिस राम राज्य रथ को पिछले साल रवाना किया गया था, वह शुक्रवार को अयोध्या पहुंच गया। इस राम राज्य रथ से भी लोगों में बहुत उत्साह नहीं जगा और मात्र कुछ मंदिर समर्थक ही वहां पहुंचे। अवध विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रफेसर रामशंकर त्रिपाठी कहते हैं, ‘बालाकोट का मुद्दा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए ज्यादा भावोत्तेजक है।
‘मंदिर नहीं अब राष्ट्रवाद है मुद्दा‘
अयोध्या से बीजेपी के प्रत्याशी और वर्तमान सांसद लल्लू सिंह खुले तौर पर इसे स्वीकार करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मंदिर नहीं, राष्ट्रवाद मुद्दा है। मंदिर कभी मुद्दा था ही नहीं। हम तो मोदी के नाम पर जीतेंगे।’ उधर, कारसेवकपुरम में पत्थरों के गढ़ने का काम जारी है। यहां गुजराती शिल्पकार पत्थरों से मंदिर के विभिन्न हिस्सों को आकार दे रहे हैं। कारसेवकपुरम में वीएचपी के पदाधिकारी राजेंद्र पंकज राम मंदिर के चुनावी मुद्दा नहीं बनने पर कहते हैं, ‘राष्ट्रवाद ही राम हैं।’
वर्ष 1989 में राजीव गांधी ने कांग्रेस के चुनाव प्रचार को यहां से शुरू किया था। तब से लेकर अब तक कोई भी प्रधानमंत्री अयोध्या नहीं आया है। स्थनीय निवासी भोलेनाथ पांडेय कहते हैं, ‘हम अपेक्षा कर रहे थे कि राम भक्त मोदी एक बार यहां पर आएंगे लेकिन उन्होंने भी यहां आना मुनासिब नहीं समझा।’ यही नहीं राम मंदिर आंदोलन से जुड़े नेताओं को भी बीजेपी बहुत ज्यादा महत्व नहीं दे रही है।
विनय कटियार भी नाराज!
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े विनय कटियार कहते हैं कि उन्हें अभी तक पार्टी ने चुनाव प्रचार के लिए नहीं कहा है। उधर, बाबरी-रामजन्मभूमि केस में वादी इकबाल अंसारी की इस मामले में दूसरी राय है। वह कहते हैं, ‘रामलला मंदिर पहले से ही विवादित स्थल पर है जहां 5 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन पूजा करते हैं। यह बीजेपी का चुनावी मुद्दा क्यों होगा?’ उधर, अयोध्या से गठबंधन के प्रत्याशी आनंद सेन दावा कर रहे हैं कि सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए अयोध्या एक और गोरखपुर होने जा रहा है। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बीजेपी को करारी शिकस्त मिलने जा रही है।