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भोपाल से चुनाव लड़ सकती हैं- साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, बीजेपी में हुईं शामिल

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  • साध्वी प्रज्ञा ने बीजेपी के भोपाल दफ्तर पहुंचकर पार्टी की सदस्यता ली
  • साध्वी का दिग्विजय के खिलाफ चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है
  • मीडिया से साध्वी प्रज्ञा ने कहा कि वह चुनाव लड़ेंगी और जीतेंगी भी
  • 2008 के मालेगांव ब्लास्ट में 9 साल तक जेल में रही थीं प्रज्ञा

भोपाल। भोपाल से चुनाव लड़ने की अटकलों के बीच साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर बीजेपी में शामिल हो गई हैं। बुधवार को साध्वी बीजेपी कार्यालय पहुंचीं और पार्टी के नेताओं के साथ भोपाल दफ्तर में बैठक की। बताया जा रहा है कि अब भोपाल सीट से उनका चुनाव लड़ना लगभग तय माना जा रहा है। साध्वी की उम्मीदवारी का ऐलान बुधवार शाम तक किया जा सकता है। इस बीच साध्वी के बीजेपी में शामिल होने पर मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने सवाल उठाए हैं।
साध्वी प्रज्ञा ने मीडिया से बातचीत में कहा कि वह चुनाव लड़ेंगी और जीतेंगी। अगर वह भोपाल से चुनाव लड़ती हैं तो उनका मुकाबला कांग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह से होगा। भोपाल बीजेपी दफ्तर में साध्वी प्रज्ञा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, रामलाल और प्रभात झा के साथ बैठक की। बताया जा रहा है कि बैठक में प्रदेश स्तर से लेकर केंद्र स्तर तक चर्चा हुई।

मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ से जब मीडिया ने साध्वी प्रज्ञा की बीजेपी में एंट्री पर सवाल पूछा तो उन्होंने कहा कि साध्वी का बीजेपी में शामिल होना पार्टी की मनोदशा को दिखाता है।
अन्य दिग्गजों के नाम की थी चर्चा
साध्वी प्रज्ञा ने मीडिया से बातचीत में कहा, ‘मैंने औपचारिक रूप से बीजेपी की सदस्यता ले ली है। मैं चुनाव लड़ूंगी और जीतूंगी भी। मेरे पास शिवराज सिंह चौहान का समर्थन है।’ बता दें कि भोपाल सीट से दिग्विजय सिंह को टिकट मिलने के बाद से ही बीजेपी खेमे में चर्चा तेज हो गई थी। भोपाल सीट से बीजेपी की तरफ से शिवराज सिंह चौहान, उमा भारती और नरेंद्र सिंह तोमर तक का नाम सामने आ रहा था।
विपक्ष को हमले का मिलेगा मौका
कहा जा रहा है कि साध्वी प्रज्ञा को टिकट देने के बारे में बीजेपी काफी विचार कर रही हैं। साध्वी प्रज्ञा हिंदुत्व का चेहरा मानी जाती हैं इसलिए भोपाल सीट से उन्हें टिकट देने पर पार्टी नफा-नुकसान के बारे में सोच रही है। यदि ऐसा होता है तो भोपाल सीट पर काफी ध्रुवीकरण देखने को मिल सकता है। 2008 में मालेगांव ब्लास्ट में आरोपी साध्वी प्रज्ञा को पिछले साल ही एनआईए कोर्ट ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था।
एक तरफ दिग्विजय सिंह पर ‘हिंदू आतंकवाद’ शब्द को जन्म देने और दिल्ली के बटला हाउस एनकाउंटर को फर्जी बताने का आरोप है, जिसमें इंडियन मुजाहिद्दीन के आतंकी मारे गए थे। वहीं साध्वी के अनुभवी न होने के कारण भी कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं। यदि साध्वी को उम्मीदवार बनाया जाता है तो विपक्ष को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि बीजेपी हिंदू असामाजिक तत्वों को बढ़ावा देती है।
विपक्ष को करुँगी परास्त
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने पिछले दिनों हमारे सहयोगी टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में कहा था, ‘दुश्मन को परास्त करने के लिए पूरी तरह तैयार हूं।’ उनका इशारा दिग्विजय सिंह की तरफ था, जिन्होंने साध्वी पर आतंकवादी होने का टैग लगाया था। साध्वी ने कहा, ‘मेरी कुछ स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें हैं, जिनके लिए दिग्विजय सिंह जिम्मेदार हैं। मैं कभी उन धब्बों को नहीं भूल सकती, जो उन्होंने मेरी जिंदगी पर लगाए हैं।’
कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर पहली बार तब चर्चा में आईं, जब 2008 के मालेगांव ब्लास्ट केस में उन्हें गिरफ्तार किया गया था। वह 9 सालों तक जेल में रही थीं।
साध्वी प्रज्ञा 2007 के आरएसएस प्रचारक सुनील जोशी हत्याकांड में भी आरोपी थीं, लेकिन कोर्ट ने उन्हें सभी आरोपों से बरी कर दिया। साध्वी प्रज्ञा का जन्म मध्य प्रदेश के भिंड जिले के कछवाहा गांव में हुआ था। हिस्ट्री में पोस्ट ग्रैजुएट प्रज्ञा का शुरुआत से ही दक्षिणपंथी संगठनों की तरफ रुझान था। वह आरएसएस की छात्र इकाई एबीवीपी की सक्रिय सदस्य भी रह चुकी हैं।

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