बिज़नेस डेस्क। इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट ने सर्कुलर ट्रेडिंग और गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) की चोरी के मामले में कई कंपनियों के प्रमोटरों को गिरफ्तार किया था। हालांकि इनमें से कई को मुंबई हाई कोर्ट से जमानत पर छोड़े जाने का आदेश आने के बाद डिपार्टमेंट को अपनी स्ट्रैटेजी पर दोबारा विचार करना पड़ सकता है।
इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट ने शेल कंपनियों को जाली इनवॉयस के जरिए कथित तौर पर टर्नओवर बढ़ाने के लिए इस वर्ष फरवरी में नोटिस जारी किए थे और कई कंपनियों के परिसर पर छापे मारे थे। सूत्रोंके अनुसार इनमें से कई प्रमोटरों ने बॉम्बे हाई कोर्ट से गुहार लगाई और कोर्ट ने उन्हें जमानत देने के साथ ही डिपार्टमेंट से स्पष्टीकरण मांगा है।
इंडस्ट्री के कुछ जानकारों का कहना है कि टर्नओवर बढ़ाने और सिस्टम में ब्लैक मनी वापस लाने के लिए सर्कुलर ट्रेडिंग का इस्तेमाल हो सकता है। हालांकि, टैक्स एक्सपर्ट्स का कहना है कि इसका मतलब टैक्स चोरी होना जरूरी नहीं है और कुछ वास्तविक कारोबारियों को भी इसमें मुश्किल का सामना करना पड़ा है।
खेतान एंड कंपनी ने की प्रमोटर्स की जमानत याचिका
लॉ फर्म खेतान एंड कंपनी के पार्टनर अभिषेक ए रस्तोगी ने कहा, ‘हमारी दलील है कि पूरा मुद्दा डिपार्टमेंट के यह मानने पर आधारित है कि गुड्स की सप्लाई के परिणाम में गुड्स का मूवमेंट होना चाहिए। अगर रेवेन्यू का कोई नुकसान नहीं है तो गैरजमानती कार्यवाही नहीं हो सकती।’ कुछ प्रमोटर्स की जमानत याचिकाओं की पैरवी खेतान एंड कंपनी ने की है। कानूनी जानकारों का कहना है कि टैक्स अधिकारियों ने पिछले कुछ महीनों में प्रमोटर्स को गिरफ्तार करने पर सख्ती बढ़ाई है। हाई कोर्ट के एडवोकेट सुजय एन कांटावाला ने बताया, GST अधिकारियों ने इंक्वायरी को अपनी मर्जी से आपराधिक मामलों में बदलकर प्रमोटर्स को गिरफ्तार किया है। पुराने टैक्स सिस्टम में ऐसा बहुत कम होता था।’ टैक्स डिपार्टमेंट की गिरफ्तार करने की शक्ति को चुनौती दी जा सकती है। कांटावाला ने कहा, ‘गिरफ्तारी से पहले वास्तविक टैक्स देनदारी को तय नहीं किया गया था। यह कोर्ट के फैसलों के स्पष्ट उल्लंघन के समान है।’
ईटी ने 6 मार्च को रिपोर्ट दी थी कि इनडायरेक्ट टैक्स अधिकारियों ने छापों के बाद सर्कुलर ट्रेडिंग के शक में प्रमोटर्स को गिरफ्तार करना शुरू किया है। GST कानून में टैक्स अधिकारियों को गिरफ्तारी की शक्ति देने वाले एक सेक्शन को कुछ एडवोकेट चुनौती देने पर विचार कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि इसे लेकर जल्द की एक याचिका दायर की जा सकती है।
इनडायरेक्ट टैक्स डिपार्टमेंट को शक है कि कई कंपनियां केवल जाली बिल का इस्तेमाल कर रही हैं जिससे उन्हें इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करने में मदद मिल रही है। डिपार्टमेंट का मानना है कि ये कंपनियां वास्तव में गुड्स की कोई खरीद या बिक्री नहीं कर रही हैं।