नई दिल्ली। तमाम अटकलों और सस्पेंस के बाद आखिर वाराणसी को लेकर कांग्रेस की तस्वीर साफ हो ही गई। यहां से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के लड़ने की चर्चा थी, लेकिन अजय राय के नाम के ऐलान के बाद तय हो गया कि प्रियंका चुनाव नहीं लड़ेंगी। चर्चा है कि वह आने वाले समय में अमेठी से उपुचनाव के लिए मैदान में उतर सकती हैं।
पहले ही चुनाव में सता रहा है हार का डर
राहुल गांधी नहीं चाहते कि पहले ही चुनाव में वह हार का सामना करें। प्रियंका ने अपने चुनाव लड़ने के फैसले की बात राहुल गांधी पर छोड़कर इस मामले में गेंद अपने भाई व अध्यक्ष राहुल गांधी के पाले में डाल दी थी। सूत्रों के मुताबिक, प्रियंका गांधी मोदी से मुकाबले के लिए तैयार थीं, लेकिन पार्टी को लगता है कि पहले ही चुनाव में मोदी जैसे कद्दावर नेता से सामना करना आसान काम नहीं है। इसके पीछे सोच थी कि मोदी टीम से लेकर अनुभव तक हर मामले में प्रियंका और कांग्रेस से मजबूत हैं। अगर प्रियंका यहां से हार जातीं तो उनका राजनीतिक करियर शुरू होने से पहले ही खत्म हो जाता।
दूसरी ओर पार्टी के भीतर कहा जा रहा है कि प्रियंका के वाराणसी से लड़ने का प्रस्ताव हमेशा परिवार के बीच ही रहा। कभी किसी भी स्तर पर पार्टी के बीच नहीं आया। एक अहम सूत्र के मुताबिक, कांग्रेस की स्क्रिनिंग कमिटी से लेकर केंद्रीय चुनाव समिति तक किसी भी स्तर पर प्रियंका के नाम सामने नहीं आया। जिसके चलते पार्टी ने वाराणसी से अजय राय का सिंगल नाम ही आगे बढ़ाया है।
क्या गठबंधन को बचाने के लिए मैदान में नहीं उतरी प्रियंका
वंही सूत्रों के अनुसार माना जा रहा है कि कांग्रेस यूपी में गठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचाना चाहती हैं, इसलिए उसने प्रियंका को वहां से उतारने से बचने का फैसला लिया है। बताया जाता है कि कांग्रेस सहित गठबंधन का आकलन है कि अगर प्रियंका वाराणसी से मैदान में उतरतीं तो सिर्फ बनारस ही नहीं, बल्कि पूर्वी यूपी सहित लखनऊ तक की सीटों पर इसका असर होगा और लोग कांग्रेस की ओर आते तो इसका नुकसान बीजेपी को होने की बजाय गठबंधन को होता। इसलिए बीजेपी को रोकने के लिए कांग्रेस ने यह कदम उठाया है।