बिज़नेस डेस्क। कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) पर केरल हाईकोर्ट के फैसले से खुश होने वाले निजी क्षेत्र के ईपीएफओ अंशधारकों के लिए बुरी खबर है। कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की योजना बना रहा है।
मौजूदा नियमों के तहत, ईपीएफओ अंतिम सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन देता है और इसने पेंशन कैलकुलेशन के लिए 15,000 रुपये मासिक की बेसिक सैलरी लिमिट तय कर रखी है। केरल हाईकोर्ट ने ईपीएफओ को पेंशन कैलकुलेट करने के लिए सैलरी की इसी 15 हजार की सीमा को खत्म करने और कर्मचारी की पूरी सैलरी के आधार पर पेंशन भुगतान करने का निर्देश दिया था।
ईपीएफओ के अधिकारियों का तर्क है कि ईपीएस में मासिक योगदान कम है, जिसके कारण यह अधिक पेंशन का भार सहन नहीं कर पाएगा। उन्होंने कहा कि नकदी की किल्लत के कारण ही ईपीएफओ को पहले ही न्यूनतम पेंशन 1,000 रुपये से बढ़ाकर 2,000 रुपये करने की योजना को स्थगित करना पड़ा।
फिलहाल, ईपीएफओ में कवर्ड कर्मचारी अपनी सैलरी का 12 फीसदी प्रविडेंट फंड में और इतनी ही रकम नियोक्ता को भी इस मद में भुगतान करना पड़ता है। कर्मचारियों द्वारा 12 फीसदी के योगदान में से 8।33 फीसदी ईपीएस (एंप्लॉई पेंशन स्कीम) में चला जाता है। लेकिन इस रकम पर मासिक 1,250 रुपये की लिमिट है।