ट्रेवल डेस्क। पूर्वी हिमालय और बंगाल की खाड़ी के बीच बसा पश्चिम बंगाल प्राकृतिक सुंदरता का खजाना है। यहां देसी-विदेशी वन्यजीव, बर्फ से ढके पहाड़, घने और हरे-भरे जंगलों के साथ ही भीड़ भरे शहरों से लेकर ऐतिहासिक गांवों और कस्बों तक सब कुछ है। लेकिन क्या आपको पता है कि प्रकृति प्रेमियों के साथ ही, नए ट्रैकर्स से लेकर अनुभवी ट्रैकर्स के लिए भी पश्चिम बंगाल में बहुत कुछ है। यहां की कई पहाड़ियां जहां नए ट्रैकर्स के लिए मुफीद हैं तो कुछ पहाड़ियां अनुभवी ट्रैकर्स को चैलेंज भी करती हैं।।।
अनुभवी ट्रैकर्स को चैलेंज करतीं पहाड़ियां
पश्चिम बंगाल की सबसे ऊंची चोटी है सैंडकफू। यह नेपाल की सीमा के काफी नजदीक है और सिंगलाला रेंज की भी सबसे ऊंची चोटी है। दार्जिलिंग जिले में स्थित संदकफू ट्रेक सिंगालीला नेशनल पार्क के बहुत करीब स्थित है। पश्चिम बंगाल की सबसे ऊंची चोटी संदकफू पर पहुंचकर आप दुनिया की पांच सबसे ऊंची चोटियों में से चार का शानदार नजारा देख सकते हैं। ऐसा कहा जाता है कि ट्रैकिंग का सबसे अच्छा दृश्य कंचेंदज़ोंगा पर्वत से दिखता है। आप कार से या ट्रैकिंग करते हुए इस चोटी के शिखर तक पहुंच सकते हैं। मणिबंजन से शुरू होने वाली इस पहाड़ी का रास्ता करीब 51 किमी लंबा और खूबसूरत है। यहां हिमालयन कोबरा लिली की बहुतायत के कारण संदकफू को “जहरीले पौधों के पहाड़” के रूप में भी जाना जाता है। चूंकि यह एक कठिन ट्रैक है इसलिए यहां जाने से पहले अपनी फिटनेस का पूरा ध्यान रखें। शिखर तक पहुंचने से पहले ट्रेक कई अलग-अलग इलाकों से होकर गुजरता है, जिनमें चुनौतीपूर्ण घाटियां, रोडोडेंड्रोन, मैगनोलियास के साथ बनी जमीनों के हरे-भरे मैदान हैं।
घने जंगलों के बीच से ले जाता ट्रैक
बक्सा में एक और बहुत मजेदार ट्रैकिंग स्थल राजभक्तव में है। बक्सा से जयंती रिवरबेड तक 15 किमी की ट्रैक बहुत लोकप्रिय है। यहां आने वाले ट्रैकर्स को बहुत लुभाती है। यह ट्रैक आपको बक्सा के खूबसूरत घने जंगलों से लेकर जयंती तक ले जाएगा। जहां आप जयंती नदी के किनारे बैठकर भूटान हिमालय को देख सकते हैं। ढलते हुए सूरज के साथ इन पहाड़ियों की सुंदरता और भी अधिक होती जाती है।
दुर्गम चट्टानी बक्सा टाइगर रिज़र्व
बक्सा टाइगर रिजर्व, राजभक्तवा, पश्चिम बंगाल के पूर्वोत्तर में स्थित है। बक्सा टाइगर रिजर्व करीब 759 वर्ग किलोमीटर में फैला है। इस बाघ अभयारण्य को कई नदियों और उनकी सहायक नदियों द्वारा पार किया जाता है और यह एक बेहद रोमांचक सैर होती है। असलियत में यह चट्टानी इलाका इतना दुर्गम है कि इस रेंज के अधिकारी भी आज तक सभी रास्तों को एक्सप्लोर नहीं कर पाए हैं। यही कारण है कि इस रेंज में बहुत कुछ एकदम अनछुआ और दुर्लभ है।
भारत के प्रसिद्ध बाघ अभ्यारण्यों में शुमार
यह फोर्ट किसी समय में रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण किला था, जो सिन्चुला रेंज में 867 मीटर की ऊंचाई पर खड़ा है। इसका इस्तेमाल हमारे देश में स्वतंत्रता आंदोलन के संघर्ष के दौरान गृह बंदियों के लिए किया गया था। हालांकि यह किला अब उतना भव्य नहीं रहा है लेकिन इसका इतिहास और आस-पास का एरिया इसे दूसरे किलों से अलग बनाता है। इस बाघ अभयारण्य के बारे में एक और दिलचस्प तथ्य यह है कि यह भारत और भूटान के बीच हाथियों के प्रवास के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गलियारे के रूप में कार्य करता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि भूटान का फिप्सु वन्यजीव अभयारण्य बक्सा टाइगर रिजर्व के उत्तरी भाग से जुड़ा है। भारत के प्रसिद्ध बाघ अभ्यारण्यों में इसका नाम शुमार है।
खूबसूरत चाय बागानों से गुजरता बामनपोखरी जंगल ट्रैक
सिलीगुड़ी से लगभग 30 किमी दूर गरिधुरा से शुरू होने वाला यह ट्रेक बामनपोखरी के घने वन अभ्यारण्य से होकर निकलता है, जिसके ठीक बगल में रुंगसुंग नदी बहती है। यह अपेक्षाकृत छोटा ट्रेक है। अगर आप पहली बार ट्रेकिंग का अनुभव लेने जा रहे हैं तो यह ट्रेक आपके लिए एकदम परफेक्ट है। इस रास्ते में आपको भव्य चाय बागान और विभिन्न प्रकार के और दुर्लभ पक्षियों के दर्शन होते रहेंगे।
रोमांचित करता ये ट्रैक
फालुत ट्रेक एक 21 किमी लंबी पगडंडी है, जो सैंडकैफू से शुरू होती है और फालुत पर समाप्त होती है। नए ट्रेकर्स के लिए इस इलाके को पार करना आसान है। क्योंकि जिस ऊंचाई से इस ट्रेकिंग रूट की शुरुआत होती है, लगभग उसी ऊंचाई पर यह खत्म भी होती है। पाइंस, स्प्रेज़, ओक, चेस्टनट, मैगनोलिया और रोडोडेंड्रोन की झाड़ियों के साथ इस ट्रेक पर सघन वन के बीच से जाना होता है। इस दौरान सैलानी रोमांच से भर उठते हैं। यहां ट्रेकिंग करते हुए सैलानियों को माउंट एवरेस्ट की याद आती है। सामान्यतौर पर इसे पूरा करने में करीब 6 दिन लग जाते हैं।