- केरल के साइरो मालाबार चर्च के पादरी फादर जिस जोस किजाक्केल का चयन नायब सूबेदार के रूप में हुआ है।
- वह 19 धर्मगुरुओं में से हैं, जो नैशनल इंटिग्रेशन इंस्टिट्यूट में जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए।
- उन्होंने 2018 में फिजिकल- मेडिकल टेस्ट पूरे किए, फिर एंट्रेस एग्जाम और इंटरव्यू के बाद उनका चयन हुआ।
कोच्चि। केरल के कोच्चि के साइरो-मालाबार चर्च के पादरी जिस जोस किजाक्केल जल्द ही एक नई जिम्मेदारी निभाते दिखेंगे। वह 19 धर्म गुरुओं में से एक हैं, जिन्हें 4 मई को पुणे में नेशनल इंटिग्रेशन इंस्टिट्यूट में जूनियर कमीशंड अधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया। उन्होंने बताया, ‘मैं पादरी बनने की प्रक्रिया पूरी करने के बाद कुछ अलग करना चाहता था। जब मुझे यूपीएससी वेबसाइट पर भारतीय सेना में धार्मिक गुरु के पद के बारे में मालूम हुआ तो मैंने अपने दोस्तों से इस पर चर्चा करने के बाद अप्लाई किया।’ उन्होंने 2018 में फिजिकल और मेडिकल टेस्ट पूरे किए। इसके बाद एंट्रेस एग्जाम और इंटरव्यू क्लियर करने के बाद उनका चयन हुआ।
ट्रेनिंग के बाद नायब सूबेदार के पद के लिए अधिकृत
भारतीय सेना में 7 हफ्ते तक फिजिकल ट्रेनिंग और 11 हफ्तों की सभी धर्मों के सिद्धांत, शिक्षा और अनुष्ठान की ट्रेनिंग के बाद नायब सूबेदार के पद के लिए अधिकृत किया जाता है। उनका कहना है कि, ‘एक पादरी के लिए एकमात्र यही नौकरी केंद्र सरकार की तरफ से दी जाती है।’ वह आगे कहते हैं, ‘मेरा मानना है कि सभी धर्मों को अच्छाई और भलाई के प्रचार करने के लिए आगे आना चाहिए।’ वह कहते हैं कि वह देवदूत बनने के साथ-साथ देश के लिए कुछ करना चाहते थे।
फादर का कहना वे अपनी यूनिट में सभी धार्मिक कार्यक्रम और त्योहार मनाएंगे
फादर किजाक्केल ने कहा कि, “वह सैनिकों के काम को लेकर दबाव और डिप्रेशन से अवगत हैं”। वह आगे कहते हैं, ‘इस जॉब के जरिए वह एक ही समय में पादरी और सैनिक दोनों हो सकते हैं, जो एक ही समय में देश और भगवान के लिए काम करेगा। 32 वर्षीय पादरी ने कहा, ‘एक धार्मिक गुरु का लक्ष्य उस यूनिट में राष्ट्रीय एकीकरण, धार्मिक और क्षेत्रीय सद्भाव सुनिश्चित करना है जिसके लिए वह नियुक्त किया गया है।’ सैनिकों को बाइबिल का ज्ञान देंगे, साथ ही उन्हें और उनके परिवार को उपदेश देने के साथ धार्मिक कार्यक्रम में मदद करेंगे। वह अपनी यूनिट में सभी धार्मिक कार्यक्रम और त्योहार भी मनाएंगे।