कोलकाता। पश्चिम बंगाल की 8 में से 4 लोकसभा सीटों- मेदिनीपुर, झारग्राम, बांकुरा और पुरुलिया में कड़ी सुरक्षा के बीच सुबह 7 बजे से मतदान हो रहा है। ये सभी सीटें जंगलमहल के उस इलाके से आती हैं, जहां कभी ममता बनर्जी का दबदबा होता था। हालांकि, पिछले एक साल में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने यहां अपनी जड़ें फैलाने का काम किया है। बीजेपी लंबे समय से मेदिनीपुर के खड़गपुर और आसपास के इलाकों में अपनी सियासी जमीन मजबूत करने की कोशिश में जुटी है।
दिलीप घोष ने राम नवमी का जुलूस निकाला था
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष ने यहां राम नवमी का जुलूस भी निकाला था। इससे पहले 2016 में खड़गपुर के गोल बाजार में मुहर्रम के जुलूस के दौरान सांप्रदायिक झड़प हो गई थी। मेदिनीपुर में इस बार घोष और टीएमसी के राज्यसभा सदस्य मानस भूनिया के बीच प्रतिष्ठा की लड़ाई है। पश्चिम मेदिनीपुर के तामलुक और कांठी को ‘अधिकारियों’- राज्यमंत्री सुवेंदु अधिकारी और उनके पिता शिशिर अधिकारी का इलाका माना जाता है।
बीजेपी ने ज्यादा सीटें हासिल करके सबको हैरान किया
घाटाल में तृणमूल और बीजेपी के बीच सीधी लड़ाई है जबकि बांकुरा में मुकाबला त्रिकोणीय है। राज्य में पिछले साल हुए ग्राम पंचायत चुनावों में बीजेपी ने पुरुलिया में सबसे ज्यादा सीटें हासिल करके सबको हैरान कर दिया था। पार्टी ने झारग्रााम और पश्चिम मेदिनीपुर में भी अच्छा प्रदर्शन किया था। इससे अनुसूचित जातियों और आदिवासियों के बीच पार्टी की पैठ बढ़ने का संकेत मिला था। पार्टी ने जंगलमहल में भी सीटें जीती थीं।
लेफ्ट और बीजेपी से कहीं ज्यादा रहा, तृणमूल का वोट शेयर
2014 के आम चुनाव और 2016 के विधानसभा चुनाव में तृणमूल का वोट शेयर लेफ्ट और बीजेपी से कहीं ज्यादा रहा था। हालांकि, 2018 के बाद बीजेपी ने अपना आधार मजबूत कर लिया है, खासकर झारखंड से सटे पुरुलिया में। पार्टी ने 644 ग्राम पंचायत सीटें जीती थीं और लोगों का भारी समर्थन भी मिल रहा है। बांकुरा में ममता बनर्जी कैबिनेट के सीनियर नेता सुब्रत मुखर्जी के सामने सीपीएम के सीनियर नेता अमीय पात्रा और बीजेपी के सुभाष सरकार मैदान में हैं।
बीजेपी ने बढ़ाई अपनी पैठ
लेफ्ट क्षेत्र में अपना वोट शेयर बचाने की कोशिश कर रहा है। बीजेपी को उम्मीद है कि सरकार के खिलाफ नाराजगी का फायदा उसे मिलेगा। वहीं घाटाल में पश्चिम मेदिनीपुर की पूर्व एसपी भारती घोष अपनी लोकप्रियता के बल पर ऐक्टर से नेता बने तृणमूल प्रत्याशी देव को हराने की कोशिश करेंगी। घोष को क्षेत्र की काफी जानकारी है और वह तृणमूल की चुनावी रणनीति से भी परिचित हैं क्योंकि एक समय में वह ममता बनर्जी की करीबी रह चुकी हैं। वहीं, देव की लोकप्रियता भी लोगों के बीच अच्छी-खासी है।