नई दिल्ली। ई-कॉमर्स साइट्स पर रोजाना मिलने वाले लुभावने ऑफर्स के चलते फ्रॉड करने वालों के लिए भी लोगों को फंसाना आसान हो गया है। आसानी से लोग ऑफर्स या लॉटरी पर अब भी यकीन कर लेते हैं और ऐसे फ्रॉड करने वालों की बड़ी जमात है जो चंद मिनट्स में हजारों रुपये जीतने का मौका दे रही है। यह स्कैम करने वाले प्रॉडक्ट डिलीवर होने के बाद अपना काम शुरू करते हैं। ज्यादातर इसका शिकार उन लोगों को बनाया जाता है, जो महंगे टीवी, घरेलू उपकरण या स्मार्टफोन्स ऑनलाइन खरीदते हैं। एक बार प्रॉडक्ट डिलीवर होने के बाद स्कैम शुरू होता है।
ऐसे होता हैं ऑनलाइन स्कैम
एक बार महंगा प्रॉडक्ट डिलीवर होने के बाद फ्रॉडस्टर आपको ऑनलाइन शॉपिंग वेबसाइट का कर्मचारी बनकर फोन करता है। उदाहरण के लिए, अगर आपने फ्लिपकार्ट से कुछ खरीदा है तो फ्रॉड करने वाला आपको फ्लिपकार्ट का कर्मचारी बनकर फोन करेगा। इसे फीडबैक कॉल बताते हुए स्कैमर कस्टमर से उसे मिली सर्विस और प्रॉडक्ट के बारे में पूछताछ करता है। आपसे पूछा जाएगा कि डिलिवरी में कितना वक्त लगा या फिर क्या आप मिली सेवाओं को लेकर संतुष्ट हैं। इसी बीच स्कैमर कस्टमर से कहता है उसने प्रॉडक्ट से जुड़े किसी ऑफर के चलते ’15 लाख रुपये या एक एक्सयूवी 500 कार’ जीती है।
स्कैमर इसके बाद फोन पर ही अड्रेस के अलावा ऑर्डर आईडी, नाम और मोबाइल नंबर जैसे डीटेल्स खुद बताकर वेरिफाइ करता है। यही वह मौका है, जब लोगों को लगा है कि कॉल वाकई ऑनलाइन शॉपिंग साइट की ओर से आई है क्योंकि फोन करने वाले को सभी डीटेल्स पहले से पता होते हैं। अब स्कैमर कस्टमर से कहता है कि उसे लकी ड्रॉ गिफ्ट पाने के लिए रजिस्ट्रेशन करना होगा और प्रोसेसिंग फीस के तौर पर 1,500 रुपये जमा करने होंगे। कॉल को सच मानकर कस्टमर मोबाइल वॉलेट की मदद से बताई गई रजिस्ट्रेशन फीस चुका देते हैं।
स्कैम्स से बचने के कारगार तरीके
कई बार ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स सोशल मीडिया पेजेस पर भी कस्मटमर्स को ऐसे फ्रॉड्स से बचने को कहती हैं। यह समझना जरूरी है कि शॉपिंग प्लैटफॉर्म्स बड़े लकी ड्रॉ जैसे कॉम्पिटीशन नहीं करते और किसी भी स्थिति में कॉल पर ऐसे किसी इनाम की सूचना नहीं देते। अगर आपको कोई भी ऐसा कॉल आता है तो बिना इसे कन्फर्म किए और ई-कॉमर्स साइट को अपनी ओर से कॉल किए, किसी तरह का कोई पेमेंट न करें। यही ऐसे स्कैम्स से बचने का कारगार तरीका है।