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जम्मू-कश्मीर भारत का आंतरिक मसला-रूस

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इंटरनेशनल ङेस्क। रूस ने एक बार फिर दोस्ती निभाते हुए जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर भारत को समर्थन जताया। रूस के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे में बदलाव और उसे दो हिस्सों में बांटकर केंद्र शासित प्रदेश बनाने का फैसला भारत के संविधान के दायरे में लिया गया। रूस ने उम्मीद जताई कि जम्मू-कश्मीर का मुद्दा भारत और पाकिस्तान में किसी भी तरह से हालात बिगड़ने नहीं देगा। बयान में कहा गया है कि रूस हमेशा भारत-पाक के बीच सामान्य रिश्तों का पक्षधर रहा है और उम्मीद है कि दोनों देश किसी भी विवाद को राजनीतिक और राजनयिक संवाद और द्विपक्षीय तरीकों से सुलझाएंगे।

शिमला समझौते के अनुसार तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता
जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) को चिट्ठी लिखकर हस्तक्षेप की मांग की थी। हालांकि, यूएन महासचिव गुटेरेस ने शिमला समझौते का जिक्र करते हुए कहा कि इस मुद्दे पर कोई भी तीसरा पक्ष मध्यस्थता नहीं कर सकता। उनके प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने कहा कि महासचिव जम्मू-कश्मीर की स्थिति पर नजर रखे हुए हैं। उन्होंने दोनों देशों को शांति बनाए रखने को कहा है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर के अनुसार, जम्मू-कश्मीर को लेकर कोई भी फैसला शांतिपूर्ण तरीकों से ही किया जाना है।
वहीं अमेरिका ने भी दोहराया था कि कश्मीर को लेकर उसकी नीति में कोई बदलाव नहीं हुआ है। वह भारत और पाकिस्तान के साथ मुद्दों को सुलझाने पर करीब से नजर रख रहा है। यह भी कहा कि कश्मीर मुद्दे को बिना किसी तीसरे पक्ष की मध्यस्थता के भारत और पाक के बीच द्विपक्षीय रूप से हल किया जाना चाहिए। इससे पहले संयुक्त अरब अमीरात ने जम्मू-कश्मीर को भारत का आंतरिक मुद्दा बताते हुए इस पर बोलने से इनकार कर दिया था।

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