नोएडा। दवा से ज्यादा असर तो मोहब्बत में होता है। ये बात आपने खूब सुनी होगी। मिसाल देखनी हो तो कभी सेक्टर-30 के जिला अस्पताल का चक्कर लगा लीजिए। 18-20 साल का एक युवक मरीजों की मदद करता मिल जाएगा। नर्स अगर दवा लेकर पहुंचती है तो वह पानी का ग्लास लेकर खड़ा हो जाता है। नया मरीज आता है तो नर्स के पहुंचने से पहले बेडशीट लेकर आ जाता है। भैया, दीदी, साहब बोलकर अभिवादन करता है।
तीन महीने पहले जख्मी और मानसिक तौर पर बीमार इस युवक को पुलिस यहां छोड़ गई थी। डॉक्टरों ने दवा दी तो स्टाफ ने दुलारा। मोहब्बत की डोज इतनी कारगर हुई कि अब युवक का ठिकाना ही अस्पताल बन गया है।
अपना नाम केवल विनय बताने वाले इस युवक को घर का पता नहीं मालूम। शरीर पर लगे जख्म तो भर गए हैं, लेकिन मानसिक तौर पर अभी भी अस्वस्थ है। बस इतना बता पाता है कि कोई दोस्त नौकरी लगवाने के लिए नोएडा लेकर आया था। फिर उसे किसी के घर में छोड़ दिया।
मालिक गाय-भैंस के गोबर साफ कराता। ठीक से खाना नहीं देता और गलती करने पर बहुत पीटता था। इसी वजह से विनय का दिमागी संतुलन बिगड़ गया। एक दिन वह घर से निकला तो भटकते हुए जख्मी हालत में रोड किनारे बेसुध होकर गिर गया। वहां से गुजर रहे पुलिसकर्मियों ने जिला अस्पताल में पहुंचा दिया।