नई दिल्ली। चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम से जुड़े अनुमानों की सोमवार को तब पुष्टि हो गई, जब इसरो के एक अधिकारी ने कहा कि लैंडिंग के दौरान विक्रम गिरकर तिरछा हो गया है, लेकिन टूटा नहीं है। वह सिंगल पीस में है और उससे संपर्क साधने की पूरी कोशिशें जारी हैं। इससे पहले इसरो के हवाले से आई खबरों में भी लैंडर के पलट जाने का अनुमान जताया गया था, लेकिन वह टूटा है या नहीं, इसकी जानकारी सामने नहीं आई थी।
लैंडर विक्रम चांद तय स्थान से काफी उतरा नजदीक: इसरो
इसरो के अधिकारी से एक और नई जानकारी सामने आई है कि लैंडर विक्रम चांद की सतह पर उतरने के लिए तय स्थान से काफी नजदीक उतरा। उसकी लैंडिंग काफी मुश्किलों भरी रही। चंद्रमा की कक्षा में मौजूद चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर से इसरो को यह जानकारी मिली है। 7 सितंबर को चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई थी। तब सतह को छूने से सिर्फ 2।1 किमी पहले लैंडर का इसरो से संपर्क टूट गया था।
ऑर्बिटर नेचाँद की सतह पार लैंडर विक्रम की तस्वीरें लीं
मिशन के लैंडर और रोवर की लाइफ एक ल्यूनर डे यानी पृथ्वी के 14 दिन के बराबर है। शनिवार को इसरो के चेयरमैन के सिवन ने कहा था कि हम अगले 14 दिन तक लैंडर और रोवर से संपर्क साधने की कोशिशें जारी रखेंगे। इसके बाद रविवार को चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगा रहे ऑर्बिटर ने चांद की सतह पर लैंडर की कुछ तस्वीरें (थर्मल इमेज) ली थीं।
लैंडर से संपर्क की कोशिश जारी, लेकिन यह आसान नहीं
अधिकारियों का कहना है कि लैंडर से दोबारा संपर्क आसान नहीं है और इसकी संभावना बहुत कम है। इसरो के एक वैज्ञानिक ने कहा कि हमारी कुछ सीमाएं हैं। संपर्क टूटने पर हमें जियोस्टेशनरी ऑर्बिट में स्पेसक्राफ्ट से लिंक स्थापित करने का अनुभव है। लेकिन विक्रम के मामले में परिस्थितियां अनुकूल नहीं हैं। यह चांद की सतह पर तिरछा पड़ा है। हम इसे सीधा नहीं कर सकते हैं। इसके एंटीना भी ग्राउंड स्टेशन और ऑर्बिटर की ओर नहीं हैं। ऐसे ऑपरेशन बहुत कठिन होते हैं।
इसरो के अधिकीरी ने बताया कि चंद्रयान के ऑर्बिटर का वजन 2,379 किलोग्राम है और इसे एक साल की लाइफ के हिसाब से डिजाइन किया गया है। इसे लेकर जाने वाले रॉकेट की परफॉर्मेंस की वजह से इसमें मौजूद अतिरिक्त फ्यूल सुरक्षित है। ऐसे में ऑर्बिटर की लाइफ अगले 7 साल होगी।