चण्डीगढ़। हरियाणा में विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं और भाजपा और कांग्रेस राज्य में सामाजिक दरार को प्रबंधित करने की कोशिश कर रही हैं। किसानों और महिला पहलवानों द्वारा कई आंदोलन के साथ-साथ विवादास्पद सैन्य भर्ती योजना के खिलाफ गुस्सा भी देखा गया है। लोकसभा चुनावों में भाजपा और कांग्रेस ने 5-5 से जीत हासिल की, जिसमें भगवा पार्टी ने पांच लोकसभा सीटें छीन लीं, जो राज्य में जाटों और किसानों के खिलाफ बढ़ते गुस्से के बीच चुनावी हार से बचने में कामयाब रही। अब इन्हें दुरुस्त करने की कोशिश में बीजेपी की सरकार लग गई है। हरियाणा की नायब सिंह सैनी सरकार ने अग्निवीर के मुद्दे पर एक बड़ा फैसला लिया है।
हरियाणा सरकार ने ऐलान किया है कि अग्निवीरों को पुलिस भर्ती, माइनिंग गार्ड भर्ती में 10 फीसदी आरक्षण मिलेगा। साथ ही राज्य की ग्रुप सी और डी भर्ती में भी उम्र सीमा में भी छूट दी जाएगी। वहीं, अपना बिजनेस करने के लिए बिना ब्याज के लोन भी दिया जाएगा। लोकसभा चुनाव के बाद बीजेपी धीरे धीरे सुलगते मुद्दों को काउंटर करने में लगी है। अगर लोकसभा के आंकड़ों पर नजर डाले तो राज्य चुनाव में दोनों पक्ष कांटे की टक्कर की ओर बढ़ते नजर आए। जिसमें कांग्रेस 46 विधानसभा सीटों पर और बीजेपी 44 सीटों पर आगे है, जबकि इनेलो और जेजेपी मुख्य पार्टियों के आसपास भी नहीं हैं।
वर्तमान में कांग्रेस के पास 29 और बीजेपी के पास 41 सीटें हैं। तीन निर्दलीय और जेजेपी (10) ने बीजेपी से समर्थन वापस ले लिया था। लोकसभा नतीजों से एक संदेश गया है जिससे दोनों पक्ष आशान्वित हैं, गुटों में बंटी कांग्रेस बेरोजगारी परिदृश्य, अग्निवीर और किसानों के मुद्दों को उजागर करेगी, जबकि भाजपा कानून और व्यवस्था बनाए रखने और अपने कार्यों पर अपने रिकॉर्ड के साथ मतदाताओं के पास जाएगी। इसके साथ ही साथ भ्रष्टाचार के खिलाफ, पिछली कांग्रेस सरकार पर निशाना भी साधा।