-पूरन डावर, सामाजिक चिंतक-विश्लेषक
सामान्यतः सभी भारतीय घरों में अच्छे हेल्परों की तलाश जीवन पर्यंत बनी रहती है और हरेक विशेषतौर पर ग्रहणी इस समस्या से जूझती हैं और उसके 1-2 घंटे रोज एक नौकर की तलाश और उसके लिये 4-6 कॉल, इसी इंतज़ार में बीतते हैं।
घर में हेल्पर हो, सफाई वाला (हाउसकीपिंग) हो, कुक या माली… हमें यह समझना ज़रूरी है कि उसका भी परिवार है, उसके भी बच्चे हैं जो 12 घंटे ड्यूटी देता है, 1 घंटा पहले घर से चलता है 1 घंटा लौटने में लगता है 14 घंटे हो जाते हैं, 8 घंटे कम से कम सोने के लिए भी चाहिये। न कूलर न पंखा करवटें बदलते रात निकलती है। बचे कुल 2 घंटे घर का सामान लाए, बीबी से बात करे, बच्चों से बात करे, गरीब के घर की 100 प्रॉब्लम उनको हल करे और आते ही, घर में घुसा नहीं हमारी डाँट शुरू ??
हर एक का कम से कम 4 व्यक्तियों का परिवार है और गरीबों में 6-8 का माँ भी पिता भी… घर का किराया, बच्चों के स्कूल, आना-जाना, खाना और हमारे जैसे लोगों के घर रह कर हमारा रहना-सहना देखना। उनकी इच्छा भी बच्चों के लिए अच्छा करने की, पढ़ाने की होती है, तो कम से कम जरूरत के लिये इतना पैसा तो चाहिए। घरों में लगभग वही काम करते है जिनके आईक्यू की कमी है, जिन्हें फैक्ट्री या होटल में नौकरी नहीं मिलती क्योंकि घर में ग्रहणी को काम सुबह सात से लेकर रात को दस बजे तक चाहिये और तनख्वाह न्यूनतम वेतन से कम… इतने पैसों में सीमित बुद्धि का व्यक्ति मिलता है उसके साथ सारा दिन जूझना ही पड़ेगा। ये बात दीगर है बहुत सी महिलाओं के पास समय काटने के साधन नहीं हैं ऐसे गधे पाल कर अपना समय काट सकती हैं लेकिन घर के अन्य सदस्यों की ज़िंदगी कैसे ख़राब कर सकते हैं और घर टूटने का सबसे बड़ा कारण आज यही है। लाखों रुपये बिना ज़रूरत की चीजों पर खर्च किए जाते है महँगे से महँगे बर्तन क्राकरी, कपड़े, बिस्तर, मशीन और उसे सम्भालने वाले गधे, गधे इसलिये कि सारी बचत वहीं करनी है। आपको तय करना है केवल गधे को पालना है या उसे घोड़ा बनाकर उसकी सवारी कर चैन से नैया पार करनी है।
फैक्ट्री में 9-10 हज़ार अनस्किल्ड हेल्पर को मिलते है 8 घंटे काम के सुबह 9 बजे आता है ठीक 6 बजे छुट्टी, लेट करता है तो ओवरटाइम, इसीलिए घर में 2-4 लोगों की खोज ज़िंदगी भर होती है। फैक्ट्री मे 2 हज़ार मिल जाते है समय से काम ओवरटाइम, ईएसआई से इलाज, पीएफ, पेंशन। घर में कुछ नहीं सारा दिन किट-किट, लेट क्यों आया, ये क्यों किया, ये क्यों नहीं किया। होटलें भी चलती है सफ़ाई वाले, कुक, सर्विस वाले सभी होते है समय से आते है समय से जाते हैं। जीवन ठीक करना है बच्चों को सुबह 6 बजे स्कूल के लिए नाश्ता देना है, 6 बजे 2 बजे तक और 2 बजे से 10 बजे रात तक 1 कुक और 1 हेल्पर रखने ही होंगे। न्यूनतम वेतन देना ही होगा और सीखा हुआ कुक है सीखा हुआ माली है तो सेमिस्किल्ड की और समय के साथ स्किल्ड का वेतन यह समझ लें। घर पर काम करने वाले की योग्यता आम फैक्ट्रीवर्कर से बेहतर होनी चाहिए। इस वेतन के अतिरिक्त घर में काम करने वाले का हेल्थ बीमा और हो सके तो पीएफ में रजिस्ट्रेशन अवश्य करायें यूनिक आईडी होने पर जिस घर में भी कम करेगा पीएफ चालू रहेगा।
यदि आप सक्षम हैं और ईश्वर ने सब कुछ दिया है क्यों न हों, 4 को रोज़गार मिलेगा सब खुश। 2 सुबह के 2 शाम के। समय से आयें समय से जायें… किसी को सिखाना है तो प्रेम से… दिन में एक बार घर में घूम कर इंस्पेक्शन करो, कहीं गंदा है तो भाई ये साफ़ कर दो… आगे मुझे न मिले… फिर भी कहीं न कहीं रह जाएगा कुछ न कुछ अवश्य रहेगा बस बताना है इसे ठीक करो और ध्यान रखो कि मुझे फिर टोकना न पड़े, चाहे सफ़ाई का या किचन का या रख-रखाव का। 1/2 घंटा क्लास लेने में बर्बाद करते हैं ऐसा क्यों किया वैसा क्यों नहीं किया। घर की मेड सर्वेंट हैं, ख़ास तौर पर लेडी घर की बच्चों की, वाहन की समस्या के कारण 1/2 ऊपर नीचे हो ही सकता है।
ध्यान रखें कि आपके मन में जो है, आप जो चाहते हैं, पहले से ही जानने और करने की क्षमता उसमें होती तो वह यह नौकरी नहीं करता आप जैसा मालिक होता।