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जी20 समिट: प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन के साथ ही शिखर सम्मेलन की शुरुआत

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नई दिल्ली। भारत की अध्यक्षता में आज प्रगति मैदान में बनाये गये भव्य भारत मंडपम में जी-20 शिखर सम्मेलन का शुभारंभ हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बैठक की शुरुआत में दिये अपने संबोधन की शुरुआत कुछ देर पहले मोरक्को में आए भूकंप से प्रभावित लोगों के प्रति अपनी संवेदना प्रकट करके की। उन्होंने कहा कि हम प्रार्थना करते हैं कि सभी घायल लोग शीघ्र स्वस्थ हों। इस कठिन समय में पूरा विश्व समुदाय मोरक्को के साथ है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हम उन्हें हर संभव सहायता पहुंचाने के लिए तैयार हैं। हम आपको यह भी बता दें कि प्रधानमंत्री के आगे इंडिया की जगह भारत लिखा हुआ था।

इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आप सबकी सहमति से आगे की कार्रवाई शुरू करने से पहले मैं अफ्रीकन यूनियन अध्यक्ष को G20 के स्थाई सदस्य के रूप में अपना स्थान ग्रहण करने के लिए आमंत्रित करता हूं। इसके बाद विदेश मंत्री एस जयशंकर अफ्रीकन यूनियन अध्यक्ष को उनके लिए निर्धारित सीट तक लेकर आये। कोमोरोस संघ के अध्यक्ष और अफ्रीकी संघ (एयू) के अध्यक्ष, अज़ाली असौमानी ने G20 का स्थायी सदस्य बनने पर अपना स्थान ग्रहण किया।

इससे पहले प्रधानमंत्री ने जी20 शिखर सम्मेलन स्थल ‘भारत मंडपम’ पहुंचे विश्व नेताओं से हाथ मिलाकर उनका भारत मंडपम में स्वागत किया और इस दौरान पृष्ठभूमि में ओडिशा के पुरी स्थित सूर्य मंदिर के कोणार्क चक्र की प्रतिकृति ने स्वागत स्थल की शोभा बढ़ाई। प्रधानमंत्री ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान बिन अब्दुलअज़ीज़ अल सऊद, अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन, पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के प्रधानमंत्री ली कियांग, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज़ इनासियो लूला डी सिल्वा, इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैय्यप एर्दोगन, यूनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति सिरिल रामाफोसा और जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ का स्वागत किया।

जहां तक कोणार्क चक्र की बात है तो आपको बता दें कि कोणार्क चक्र का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम के शासनकाल में किया गया था। कुल 24 तीलियों वाले इस पहिये को तिरंगे में भी दर्शाया गया है। यह चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प उत्कृष्टता का प्रतीक है। इस चक्र का घूमना ‘कालचक्र’ के साथ-साथ प्रगति और निरंतर परिवर्तन का प्रतीक है। यह लोकतंत्र के पहिये का एक शक्तिशाली प्रतीक है, जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति को लेकर प्रतिबद्धता दर्शाता है।

यूक्रेन विवाद की छाया
हालांकि अभी यह बिल्कुल स्पष्ट नहीं हो पाया है कि नेताओं के घोषणा पत्र में यूक्रेन संकट का जिक्र होगा या नहीं। हम आपको बता दें कि चीन इस विवादास्पद मुद्दे पर मतभेदों को पाटने में मुख्य बाधा बनकर उभरता दिख रहा है। कई सूत्रों ने बताया कि विवादास्पद मुद्दे पर अभी तक कोई ठोस सहमति नहीं बन पाई है और जी20 शेरपा इसका सौहार्दपूर्ण समाधान खोजने के लिए गहन बातचीत कर रहे हैं। सूत्रों ने बताया कि जी7 देश यूक्रेन संघर्ष के संदर्भ के बिना किसी भी घोषणापत्र पर सहमत नहीं हुए, साथ ही अन्य पेचीदा मुद्दे भी हैं। एक सूत्र ने कहा, “लेकिन हमें उम्मीद है कि वे मान जाएंगे।” हम आपको बता दें कि जी20 समूह आम सहमति के सिद्धांत के तहत काम करता है और ऐसी आशंका रही है कि आम राय की कमी के कारण शिखर सम्मेलन में कोई संयुक्त बयान जारी न किया जाए।

पिछले साल इंडोनेशिया के बाली में हुए जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान रूस और चीन दोनों ने घोषणापत्र में यूक्रेन संघर्ष पर दो पैराग्राफ शामिल करने पर सहमति जताई थी, लेकिन इस साल वे इससे पीछे हट गए, जिससे भारत के लिए मुश्किलें पैदा हो गईं। इस बीच, यूरोपीय परिषद के अध्यक्ष चार्ल्स मिशेल ने पत्रकारों से कहा कि यूरोपीय संघ (ईयू) आम सहमति से घोषणापत्र को अंतिम रूप देने के भारत के प्रयासों का समर्थन करता है, लेकिन यूरोपीय संघ रूस की आक्रामकता के सामने यूक्रेन का समर्थन करने के लिए दृढ़ और एकजुट है। यूक्रेन संकट के कारण नेताओं के घोषणापत्र में रुकावट आने की आशंका के बारे में पूछे जाने पर मिशेल ने कहा, “मुझे नहीं पता कि यह संभव है या नहीं, अंतिम विज्ञप्ति पर सहमति बनेगी, हम देखेंगे। लेकिन हम अपने सिद्धांतों की रक्षा करेंगे और भारत द्वारा किए गए प्रयासों का भी समर्थन करेंगे।”