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जीवन में संतुलन और सुख की प्राप्ति के लिए जरुरी है आरोग्य और भक्ति

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भक्ति और आरोग्य जीवन के दो महत्वपूर्ण पहलू हैं जो आत्मिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य की दिशा में मार्गदर्शन करते हैं। भक्ति के माध्यम से हम मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करते हैं, जबकि आरोग्य शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बनाए रखने में मदद करता है। इन दोनों का संगम जीवन को संतुलित और सुखमय बनाता है। कुछ ऐसे ही विचार विश्व की हार्टफुलनेस मेडिटेशन के प्रचार प्रसार के लिए सक्रिय संस्था श्री राम चंद्र मिशन से प्रशिक्षक के रूप में जुड़े डॉ. राम नरेश शर्मा ने द ब्लैक इंक से साझा किये, पेश है उनसे हुई चर्चा के ख़ास अंश …

भक्ति और आरोग्य के बीच क्या संबंध है?
भक्ति और आरोग्य एक-दूसरे से गहरे जुड़े हुए हैं। भक्ति मानसिक शांति, सकारात्मक दृष्टिकोण और आत्मिक संतुलन प्रदान करती है, जो शारीरिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। भक्ति से शरीर में ऊर्जा का संचार होता है, जिससे हम स्वस्थ रहते हैं।

भक्ति का शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?
भक्ति के अभ्यास से मानसिक शांति मिलती है, जिससे तनाव और चिंता कम होती है। मानसिक शांति का शारीरिक स्वास्थ्य पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, क्योंकि यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।

भक्ति का आध्यात्मिक विकास से क्या संबंध है?
भक्ति आध्यात्मिक उन्नति की ओर ले जाती है, जिससे आत्मिक शांति और शारीरिक स्वास्थ्य दोनों में सुधार होता है। जब हम अपने जीवन में उद्देश्य और दिशा पाते हैं, तो हम शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहते हैं।

भक्ति के अभ्यास के लिए कौन-सी आदतें हमारी जीवनशैली में शामिल की जा सकती हैं?
प्रार्थना, ध्यान, और ईश्वर की उपस्थिति को महसूस करना कुछ सरल आदतें हैं जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती हैं। नियमित पूजा-पाठ और स्वस्थ आहार भी महत्वपूर्ण हैं।

पाठकों को भक्ति और आरोग्य के संबंध में क्या संदेश देना चाहेंगे?
भक्ति और आरोग्य को जीवन का अभिन्न हिस्सा बनाएं। भक्ति मानसिक शांति और संतुलन देती है, जबकि आरोग्य हमें शारीरिक स्वास्थ्य बनाए रखने में मदद करता है। दोनों का संगम जीवन को सुखमय बनाता है।