प्रयागराज। केन्द्र सरकार के ‘हमारा संविधान, हमारा सम्मान’ अभियान के यहां दूसरे क्षेत्रीय सम्मेलन में केंद्रीय कानून एवं न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अर्जुन राम मेघवाल ने देश में 1975 में लगे आपातकाल को याद दिलाते हुए मंगलवार को कहा कि इसी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों ने संविधान को आघात से बचाया। यहां एएमए के प्रेक्षागृह में आयोजित कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मेघवाल ने कहा, “यह इलाहाबाद उच्च न्यायालय ही था.. इस संविधान पर 1975 में ही सबसे ज्यादा चोट पड़ी थी। अदालत के न्यायाधीश जगमोहन लाल सिन्हा के साहस को सभी याद करते हैं। संविधान पर आघात की कोशिश जरूर हुई होगी,लेकिन न्यायमूर्ति सिन्हा और न्यायमूर्ति एच आर खन्ना ने संविधान का सम्मान बराबर रखा।”
उन्होंने कहा कि भारत के आसपास कई देश हैं जहां सेना के हाथ सत्ता गई, गृह युद्ध भी हुए। लेकिन भारत अपने संविधान के 75वें वर्ष में प्रवेश कर गया और लोग सुरक्षित रहे। इसका एक ही कारण है भारत का संविधान। मेघवाल ने कहा, “भारत के इसी संविधान के तहत कार्यपालिका, विधायिका, न्यायपालिका और मीडिया ने काम किया और आज हम विकसित देश बनने की दिशा में अग्रसर हैं।” उन्होंने कहा, “25 नवंबर, 1949 को संविधान के रचयिता डाक्टर भीमराव अंबेडकर ने एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा था कि हम एक विरोधाभासी युग में प्रवेश करने जा रहे हैं जहां हमे राजनीतिक समानता तो मिलेगी, लेकिन आर्थिक और सामाजिक क्षेत्र में असमानता रहेगी।
लेकिन कानूनी सहायता की अवधारणा ने समाज में असमानता को कम करने का काम किया है।” कानून मंत्री ने कहा, “कई देशों में स्वतंत्रता सबसे महत्वपूर्ण है, लेकिन बाबा साहेब ने समानता को पहली प्राथमिकता दी और सबसे पहले समानता का अनुच्छेद रखा और इसके बाद स्वतंत्रता का अनुच्छेद रखा।”
इस अवसर पर देशभर से विभिन्न प्रतियोगिताओं जैसे संविधान क्विज, पंच प्राण अनुभव रील, पंच प्राण रंगोत्सव के विजेता छात्र छात्राओं को सम्मानित किया और मंत्री द्वारा हमारा संविधान, हमारा सम्मान अभियान पोर्टल का उद्घाटन किया गया। कार्यक्रम को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और यूपी सालसा के कार्यकारी चेयरमैन न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम में न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा, न्यायमूर्ति संगीता चंद्रा, न्यायमूर्ति सरला श्रीवास्तव, न्यायमूर्ति गौतम चौधरी और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्तागण, विधि के छात्र आदि शामिल हुए।