बिज़नेस डेस्क। रियल एस्टेट सेक्टर को मंदी से उबारने की दिशा में दिल्ली-एनसीआर कई मोर्चों पर आगे चल रहा है। बीते 2 साल में मकानों की बिक्री की ग्रोथ यहां देश के किसी भी शहर के मुकाबले ज्यादा रही है, हालांकि इसका अनसोल्ड स्टॉक अब भी बड़े स्तरों पर बना हुआ है और इस दौरान कीमतें भी स्थिर रही हैं।
एक एजेंसी की ताजा रिसर्च रिपोर्ट में सेल्स ग्रोथ, इनवेंटरी, नई सप्लाई, प्राइस जैसे कुछ पैमानों पर देश के शीर्ष शहरों में सेक्टर की रिकवरी का जायजा लिया गया है। वैसे तो सभी पैमानों पर बेंगलुरु को मंदी से उबारने में सबसे आगे बताया गया है, लेकिन सेल्स ग्रोथ के मामले में एनसीआर सबसे ऊपर है।
रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 की पहली तिमाही में एनसीआर में 7,290 मकान बिके थे, जबकि 2019 की पहली तिमाही में 13,740 मकानों की बिक्री दर्ज हुई, जो दो साल पहले के मुकाबले 88% ज्यादा है। मुंबई, बेंगलुरू, पुणे, हैदराबाद में इस दौरान सेल्स ग्रोथ 76 से 80 पर्सेंट के बीच दर्ज की गई। इस दौरान पूरे देश में औसतन सेल्स ग्रोथ 71% रही।
बेंगलुरु स्टॉक सबसे अधिक घटा
अनसोल्ड स्टॉक निकालने में बेंगलुरु सबसे ऊपर रहा है, जहां दो साल में इनवेंटरी 44% तक घटी है, जबकि एनसीआर के हाउसिंग स्टॉक में 18% तक की कमी ही आई है। एनसीआर में दो साल पहले इनवेंटरी 2 लाख 19 हजार 998 यूनिटों की थी, जो जनवरी से मार्च 2019 में 1 लाख 80 हजार 999 यूनिट दर्ज की गई। इस दौरान यहां नई सप्लाई में भी 17% का ही इजाफा हुआ है। 2017 की पहली तिमाही में 6860 यूनिटें जुड़ीं, जबकि जनवरी-मार्च 2019 में यह तादाद 8030 तक पहुंची।
कीमतों में बढ़ोतरी नहीं
डिमांड और बिक्री में तेजी के बावजूद एनसीआर में मकानों की कीमतें दो साल पहले के स्तर पर बनी हुई है और औसतन 1 पर्सेंट की कमी ही दर्ज हुई है। 2017 की पहली तिमाही में एनसीआर में कीमतें 4625 रुपये प्रति वर्गफुट थीं, जो 2019 की पहली तिमाही में 4565 रुपये प्रति वर्ग फुट हो गईं। कई शहरों में दाम 6% तक बढ़े हैं।
एक वजह जीएसटी भी
एक एजेंसी के चेयरमैन अनुज पुरी ने बताया कि हाउसिंग सेल्स, स्टॉक क्लीयरेंस, प्राइस एप्रिसिएशन, नई सप्लाई सहित सभी मानकों पर देखने से पता चलता है कि बीते दो साल में इस सेक्टर को मंदी से उबारने में बेंगलुरु लीड कर रहा है। हालांकि हर शहर अपनी डिमांड और सप्लाई के हिसाब से कई मोर्चों पर अलग रुझान दिखा रहा है। सेल्स ग्रोथ के बावजूद कीमत नहीं बढ़ने के पीछे जीएसटी भी एक वजह रही है।