- सीएम योगी आदित्यनाथ के पास अफसरों को लेकर कई शिकायत आई है।
- विधानसभा में एक विधायक ने कहा कि अफसर उनका फोन नहीं उठाते हैं।
- योगी सरकार ने नेताओं का नंबर सेव करने के लिए 15 दिन का समय दिया है।
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अब जनप्रतिनिधियों का फोन न उठाना अधिकारियों को भारी पड़ सकता है। इसके लिए सरकार ने कड़ा संदेश देते हुए उन्हें संसद और विधानमंडल सदस्यों के प्रति शिष्टाचार और प्रोटोकॉल के पालन का आदेश दिया है। शासन की ओर से जारी आदेश में सभी विभागों के अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के कॉल उठाने या किसी विशेष परिस्थिति में कॉल न उठा पाने पर मैसेज के साथ बाद में उन्हें कॉल बैक करने की हिदायत दी है। ऐसा न करने वाले अधिकारियों पर एक्शन लिया जाएगा। शासन की ओर से अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के मोबाइल नंबर अपने फोन में सेव करने के लिए 15 दिनों का समय दिया गया है।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा में भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने एक सदस्य ने इस मुद्दे को उठाया था। इस पर वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने आश्वासन दिया था कि इस पर सख्त कदम उठाए जाएंगे। इसी क्रम में शासन की ओर से मंगलवार देर शाम सभी विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव को इस संबंध में समस्त अधीनस्थ अधिकारियों से आदेश का अनुपालन सुनिश्चित कराने को कहा गया है।
कॉलबैक सुनिश्चित किया जाए
आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों के प्रति प्रोटोकॉल के अनुपालन में अनेक आदेशों के बावजूद इसका पालन नहीं किया जा रहा है। समस्त विभागों के मंडलीय और जनपदीय अधिकारियों को आदेशित किया जाए कि वे अपने जिले के सांसद और विधानमंडल के सदस्यों के मोबाइल नंबर को अनिवार्य रूप से अपने मोबाइल में सेव करें। किसी महत्वपूर्ण बैठक या अदालत के समक्ष होने की स्थिति में उनकी कॉल आने पर रिसीव न कर पाने की स्थिति में जानकारी होने पर मैसेज के साथ ही उन्हें कॉलबैक किया जाना सुनिश्चित किया जाए।
आदेश में ये भी कहा गया है कि इसका अनुपालन नहीं करने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसमें ये भी निर्देश दिया गया है कि जनप्रतिनिधियों के मोबाइल नंबर सेव किए जाने की सूचना प्रत्येक अधीनस्थ अधिकारी और कर्मचारी अपने प्रभारी अधिकारी को और प्रभारी अधिकारी जिलाधिकारी को देंगे। जिलाधिकारी अपने जिले की सूचना मंडलायुक्त को एवं मंडलायुक्त अपनी सूचना शासन में संबंधित विभागों के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव या सचिव को देंगे। संबंधित विभाग के अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव व सचिव प्राप्त सूचना संकलित कर उसकी एक प्रति संसदीय शिष्टाचार व पत्राचार अनुभाग को उपलब्ध कराएंगे। इसके अलावा, जिलाधिकारी अपने जिले में संबंधित जनप्रतिनिधि (संसद सदस्य व विधान मंडल सदस्य) के मोबाइल नंबर कार्यालय के सूचना पटल पर प्रदर्शित करेंगे।