क्या है खास
नई दिल्ली उत्तर प्रदेश की वाराणसी लोकसभा सीट पर सबसे चर्चित प्रत्याशी हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
2014 चुनाव में मोदी यहां से चुनाव जीते थे, इस बार फिर यह सीट आकर्षण का केंद्र बनी
मोदी को टक्कर देने के लिए किसानों से लेकर नौकरी से निकाले गए बीएसएफ जवान तक
क्या है विशेष
देश की सबसे चर्चित यूपी की वाराणसी लोकसभा सीट पर भले ही पीएम नरेंद्र मोदी का जीतना तय लग रहा हो, लेकिन यहां का चुनावी माहौल जरूर दिलचस्प है। इसकी वजह यह है कि इस सीट पर कोई पीएम मोदी के विरोध में उतरा है तो कोई सरकार की नीतियों के खिलाफ संदेश दे रहा है। यहां पीएम मोदी के मुकाबले में पूर्व जवान, 111 किसान और एक पूर्व जज भी मैदान में हैं। साल 2014 के चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी यहां से चुनाव जीते थे। तब इस सीट पर अरविंद केजरीवाल के चुनाव लड़ने से खासी चर्चा थी, लेकिन अब कई अनोखे प्रत्याशियों ने यहां रोचकता बढ़ा दी है। पीएम मोदी को टक्कर देने के लिए तमिलनाडु के किसानों से लेकर नौकरी से निकाले गए बीएसएफ कॉन्स्टेबल तक हैं।
पूर्व जज भी हैं प्रत्याशी
कोलकाता हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज चिन्नास्वामी स्वामीनाथन कर्णन भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं। कर्णन पहले ऐसे जज हैं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना का दोषी करार दिया है। उन्हें 2017 में 6 महीने के लिए जेल भी जाना पड़ा था। अब वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई लड़ना चाहते हैं। उन्होंने 2018 में ऐंटी-करप्शन डायनैममिक पार्टी बनाई थी। 63 साल के पूर्व जज सेंट्रल चेन्नै से नामांकन भर चुके हैं और वाराणसी उनकी दूसरी सीट है।
तेज बहादुर भी हैं विरोध में
पिछले साल एक और नाम काफी चर्चा में रहा था। बीएसएफ कॉन्स्टेबल तेज बहादुर यादव का। यादव ने जवानों को दिए जाने वाले खराब क्वॉलिटी के खाने की आलोचना करते हुए एक विडियो सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था जो काफी वायरल हो गया था। हालांकि, कोर्ट ऑफ इंक्वायरी के बाद उनके आरोपों को गलत पाया गया था और यादव को नौकरी से निकाल दिया गया था। वह वाराणसी से निर्दलीय चुनाव लड़ेंगे। वह बताते हैं कि उन्होंने वाराणसी सीट को इसलिए चुना है क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल सीट है और भले ही वह हार जाएं, वह जवानों के मुद्दों पर रोशनी डालना चाहते हैं और लोगों के बीच संदेश पहुंचाना चाहते हैं।
दिल्ली के बाद तमिलनाडु के किसान वाराणसी उठाएंगे आवाज
पीएम मोदी के खिलाफ उतरने वाले प्रत्याशियों में तमिलनाडु के 111 किसान भी शामिल हैं। 2017 में राजधानी दिल्ली में इन किसानों ने विरोध प्रदर्शन किया था। 111 किसानों के इस समूह का नेतृत्व पी अय्यकन्नू कर रहे हैं। गौरतलब है कि 2017 में इन किसानों ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर कई दिन तक अलग-अलग तरीके से विरोध प्रदर्शन किया था ताकि उनकी समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान जाए।
दलित आंदोलन का चेहरा बने- चंद्रशेखर आजाद
पीएम के खिलाफ उतरे सबसे चर्चित प्रत्याशी शायद भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर आजाद। उन्होंने 30 मार्च को रोड शो में ‘मोदी की हार का काउंटडाउन’ तक शुरू कर दिया था। अपने तीखे भाषणों से वह दलित युवाओं के बीच चर्चित हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के खुद अस्पताल जाकर उनसे मिलने के बाद से वह और भी चर्चा में आ गए हैं।