नई दिल्ली। देश के चार राज्यों में कोरोना संक्रमण रफ़्तार पकड़ चुका है। देश में जिस तरह से एक बार फिर से कोरोना की दूसरी लहर ने दस्तक दी है, उसपर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अख्तियार किया है। कोरोना के लगातार बढ़ते मामलों और कोरोना से मरने वालों के शव के साथ मिसहैंडलिंग पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर करते हुए इस पूरे मामले का स्वत: संज्ञान लिया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात और असम सरकार से कोरोना संक्रमण की मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं उसकी जानकारी मांगी है। कोर्ट ने इन राज्यों से इस पूरे मामले में हलफनामा दायर करने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली बेंच ने गुजरात और दिल्ली सरकार को कोरोना संक्रमण के चलते खराब हुई स्थिति को लेकर फटकार भी लगाई है। गुजरात सरकार को फटकार लगाते हुए कोर्ट ने कहा कि कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद शादी और लोगों के इकट्ठा होने का दौर जारी है। दिल्ली और महाराष्ट्र के बाद गुजरात सबसे ज्यादा कोरोना से प्रभावित राज्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्यों से कोरोना से निपटने के लिए उठाए गए कदम की जानकारी मांगी है और एक स्टेटस रिपोर्ट फाइल करने को कहा है। कोर्ट ने कहा कि आने वाले समय में राज्य क्या कदम उठाने वाले हैं और उन्हें केंद्र सरकार से कोरोना से लड़ने के लिए क्या मदद चाहिए उसकी भी रिपोर्ट दायर करें। कोर्ट ने शुक्रवार तक राज्यों से रिपोर्ट दायर करने को कहा है। साथ ही कोर्ट ने कहा है कि राज्यों को दिसंबर और आने वाले महीनों के लिए तैयार रहने की जरूरत है क्योंकि स्थिति और भी खराब हो सकती है।
कोर्ट ने कहा कि असम में स्थिति बहुत ही खराब है, यहां स्थिति में सुधार नहीं आ रहा है, आईसीयू बेड की कमी की जानकारी पांच महीने पहले दी गई है। गुजरात की ओर से कोर्ट में पेश हुए वकील ने कहा कि वह कोर्ट के निर्देशानुसार स्टेटस रिपोर्ट को समय पर फाइल कर देंगी। दिल्ली सरकार की ओर से पेश हुए संजय जैन ने कहा कि फिलहाल सबकुछ नियंत्रण में है। सर्दी के चलते जहाँ कोरोना के बढ़ने के आसार हैं ऐसे में राज्य सरकारें क्या व्यवस्था अपना रही हैं और कैसे कोरोना के कहर को कम किया जय ये अहम है।