विपक्ष बार-बार बेरोजगारी पर प्रश्न क्यों करता है? क्योंकि वह जानते हैं पेड़ बेरोजगारी के लगाये हैं तो फल तो बेरोजगारी के ही होंगे।
डिग्री बेस अंग्रेज़ी शिक्षा जिनके हाथ में काम का पारंपरिक का हुनर था उनसे हुनर छीन कर मात्र डिग्री और आरक्षण का झुनझुना दे दिया गया। नये पेड़ लगाने पर हाई ब्रिड भी लगायें, पूरे फल आने में लंबा समय लगेगा। लेकिन हाई ब्रिड वृक्षों पर फल आना तेज़ी से शुरू हो गये हैं। इंफ़्रा और मैन्यूफ़ैक्चरिंग सेक्टर में तेज़ी से रोज़गार आ रहे हैं।
कुछ क्षेत्र ऐसे हैं जिनमें सुधार के साथ बेरोज़गार भी होने है, तकनीकि भी अनेकों को बेरोजगार करेगी। सरकारी सुधार ऑनलाइन व्यवस्था शुरू होती है जहाँ पारदर्शिता बनेगी, आसानी भी होगी लेकिन रोजगार घटेंगे।सीधे सरकारी नौकरियाँ बढ़नी नहीं कम होनी हैं, कम हुई हैं विपक्ष इसी को उठा रहा है।
रोजगार स्वरोजगारों से आ सकते हैं, मेक इन इंडिया से आ सकते हैं, उन पर बड़े प्रयास हो रहे हैं। आज 500 से अधिक कम्पनियाँ प्रतिदिन रजिस्टर हो रही हैं बड़ी संख्या में नए स्टार्टअप खड़े हो रहे हैं। हर 10 दिन में एक यूनिकॉर्न कंपनी खड़ी हो रही है। विदेशी निवेश बढ़ रहा है, आज देश ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स यहाँ तक कि डिफ़ेंस उपकरण हथियार भी निर्यात कर रहा है। एक ओर कंज्यूमर गुड्स का आयात घट रहा है दूसरी ओर कैपिटल गुड्स का आयात बढ़ रहा है। कुल मिलाकर बैलेंस ऑफ ट्रेड कमोबेश बड़ा अंतर प्रेम दृष्टया दिखाई नहीं दे रहा। लेकिन कैपिटल गुड्स का आयात निश्चित रूप से मैन्यूफ़ैक्चरिंग के क्षेत्र में बड़ी छलांग की ओर बढ़ रहा है और यही रोजगार ला सकता है।
कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार सहायता, तकनीकि के प्रयोग आम खेती को व्यवस्थित खेती में बदलने के प्रयास खेती की दशा और दिशा बदल सकते हैं। लेकिन कृषि क्षेत्र में अंतर सबसे धीमा है, विडंबना यह है किसानों के बेटे पढ़-लिखकर अपनी खेती में सुधार व व्यवस्थित न करके डिग्री लेकर नौकरी की तरफ भाग रहे हैं और बेरोजगारों की लाइन में लग रहे हैं।
दूसरा मुद्दा आम आदमी के लिये मंहगाई का होता है जो विपक्ष जोर-शोर से उठाता है जब देश में इंफ्रास्ट्रक्चर खड़ा होगा, जीडीपी बढ़ेगी तो साथ ही मुद्रास्फीति यानी महंगाई बढ़ेगी। हालाँकि जिस तरह से वैश्विक परिस्थिति कोरोना और युद्ध से विश्व की अर्थव्यवस्था जूझ रही है उससे पूरा विश्व महंगाई और मन्दी से जूझ रहा है। भारत विश्व में सबसे बेहतर स्थिति में है। सीमित मुद्रास्फीति के साथ आगे बढ़ रहा है।
देश की इमेज में बड़ा अंतर आया है और तेज़ी से भारत के प्रति विश्वास बढ़ रहा है। स्पेस और न्यूक्लियर में भी दबदबा बढ़ा है। देश इस क्षेत्र में बड़ी भूमिका की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।आज भारत के अपने सेटेलाइट बड़ी संख्या में हैं। चन्द्रयान 3 की सफलता स्पेस के क्षेत्र में एक बड़ी छलांग लगा सकती है।