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अमित शाह ने कहा नागरिकता विधेयक में जगह नहीं, कहां जाएंगे अहमदी, शिया

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नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागरिकता (संशोधन) विधेयक को पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के बेहतर भविष्य का रास्ता बता चुके हैं। उधर, गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट कहा है कि इस विधेयक में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए मुसलमानों को जगह नहीं मिलेगी क्योंकि इन देशों में धार्मिक आधार पर मुसलमानों की प्रताड़ना की आशंका नहीं हैं। क्या शाह का यह कहना सही है। ।

अहमदिया मुसलमानों की प्रताड़ना जगजाहिर है
पाकिस्तान में अहमदिया मुसलमानों की प्रताड़ना जगजाहिर है। पाकिस्तान ने कानून बनाकर अहमदियों के मुसलमान नहीं होने का ऐलान कर दिया है। वे कुरान नहीं पढ़ सकते हैं और उनके मस्जिदों में नमाज पढ़ने पर पाबंदी है। साल 1984 में जब तानाशाह जिया-उल-हक के निर्देश पर अहमदिया समुदाय पर पाबंदियां लागू की गईं तब से पाकिस्तान में 400 से ज्यादा अहमदिया मुसलमानों की हत्या की जा चुकी है। जबकि भारत समेत तमाम दुनिया अहमदियों को मुसलमान मानता है। दरअसल, कुछ अहमदिया मुसलमानों ने पाकिस्तान से भागकर नेपाल में शरण ले रखा है जो एक हिंदू बहुल देश है।

मुसलमानों की आबादी 15 से 20 प्रतिशत है
पाकिस्तान में शिया समुदाय के मुसलमानों की आबादी 15 से 20 प्रतिशत है। बावजूद इसके वहां शियाओं पर अत्याचार होते हैं। विडंबना यह है कि पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना खुद शिया मुसलमान थे। कहा जाता है कि पाकिस्तान में शियाओं की प्रताड़ना भी 1980 के दशक में सैन्य तानाशाह जिया-उल-हक के शासन में शुरू हुई और 2001 से 2018 तक वहां 5 हजार से ज्यादा शिया मुसलमानों की हत्या की जा चुकी है। बांग्लादेश में भी शिया और अहमदिया समुदायों के मुसलमानों पर अत्याचार हो रहा है।

आतंकी उन्हें अक्सर अपना निशाना बनाते
अफगानिस्तान में हजारा मुसलमानों पर लगातार इतने जुल्म हुए कि देश की आबादी में उनका हिस्सा घटकर महज 15% तक सिमट गया है जो 19वीं सदी में 67% था। हजारा समुदाय, शिया मुसलमानों का ही एक अंग है। तालिबानी आतंकी उन्हें अक्सर अपना निशाना बनाते रहते हैं जो हजारा को मुसलमान नहीं मानते हैं। 2001 में अमेरिकी सेना के आगमन से पहले से अब तक अफगानिस्तान में तालिबान आतंकी दो हजार से ज्यादा हजारा मुसलमानों का नरसंहार कर चुके हैं। तालिबान और आईएसआईएस जैसे आतंकी संगठन आज भी उनकी मस्जिदों को निशाना बना रहे हैं। उन पर लगातार आत्मघाती हमले किए जा रहे हैं। बड़ी तादाद में हजारा मुसलमान अफगानिस्तान से भागकर पाकिस्तान, ईरान जैसे देशों में शरण ले चुके हैं। लेकिन, उन्हें इन देशों में भी भेदभाव का शिकार होना पड़ रहा है। बाद में प्रताड़ना के शिकार हजारों हजारा मुसलमान स्वीडन भाग गए।

श्रीलंका में तमिल हिंदुओं का क्या
पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश में प्रताड़ित अल्पसंख्यक मुसलमानों को छोड़ भी दिया जाए तो श्रीलंका में तमिल हिंदुओं का क्या? चूंकि सिटिशनशिप (अमेंडमेंट) बिल सिर्फ पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए शरणार्थियों पर ही लागू होगा, ऐसे में श्रीलंका से भारत आए हिंदू तमिल और म्यामांर से आए हिंदू रोहिंग्या शरणार्थियों का क्या होगा? हिंदू होने पर भी उन्हें नागरिकता (संशोधन) विधेयक का लाभ नहीं मिल सकेगा।

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