नई दिल्ली। एनडीए में शामिल दो दलों के बीच बुर्के पर बैन को लेकर बयानबाजी शुरू हो गई है। शिवसेना ने कहा है कि श्रीलंका में जिस तरह बुर्के को बैन किया गया है, वैसा ही भारत में भी किया जाना चाहिए। वहीं, एनडीए के एक और घटक दल रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (आरपीआई) ने इसका विरोध किया है।
21 अप्रैल को ईस्टर पर्व के दौरान श्रीलंका में आतंकी हमला हुआ था। 253 लोग मारे गए थे। जांच के दौरान सामने आया कि हमले में शामिल कुछ महिलाएं बुर्के में थीं। इसके बाद वहां की सरकार ने देश में किसी भी तरह से चेहरा ढंकने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, श्रीलंका सरकार के आदेश में कहीं भी साफतौर पर बुर्का शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है।
रावण की लंका में चेहरे ढके जाते हैं, राम की अयोध्या में नहीं
शिवसेना ने बुधवार को अपने मुखपत्र ‘सामना’ के संपादकीय में लिखा- ये तो (चेहरा ढंकने की परंपरा) रावण की लंका में होता था। राम की अयोध्या में ये कैसे हो सकता है? प्रधानमंत्री के अयोध्या दौरे को देखते हुए हम ये सवाल उनसे पूछना चाहते हैं।
‘क्यों नहीं बुर्के पर बैन’
“संपादकीय में आगे लिखा गया- वर्तमान सरकार ने मुस्लिम महिलाओं के शोषण को रोकने के लिए तीन तलाक पर कानून बनाया। श्रीलंका में आतंकी हमला हुआ। वहां की सरकार ने बुर्के और इसके अलावा चेहरा ढंकने वाले हर तरीके पर रोक लगा दी। वहां के राष्ट्रपति ने साफ तौर पर कहा है कि यह फैसला राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लिया गया है। हम प्रधानमंत्री से मांग करते हैं कि भारत में बुर्का और चेहरा ढंकने के दूसरे तरीकों को फौरन बैन करें। देशहित में श्रीलंका सरकार के इस कदम का हमें भी अनुसरण करना चाहिए।”
बुर्का,नकाब पारंपरिक नहीं- संजय राउत
शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, “बुर्का और नकाब भारत में पारंपरिक परिधान नहीं हैं। इन पर दुनियाभर में बैन लगाया जा चुका है। अगर कुछ लोग इसे धर्म और इस्लाम से जोड़ते हैं तो उन्होंने कुरान ही नहीं पढ़ी होगी। उन्हें ये ध्यान से पढ़ना चाहिए।”
अठावले इससे असहमत
शिवसेना भले ही देश में बुर्के पर बैन की मांग कर रही हो लेकिन मोदी सरकार में शामिल आरपीआई इस मांग से सहमत नहीं है। उसने एक बयान में कहा- बुर्का देश की परंपरा का हिस्सा है। इस पर बैन लगाना सही नहीं होगा।