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MSME की नीतियों से खुलेंगे उद्योग जगत में कामयाबी के नए रास्ते

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आगरा। जहां कोरोना काल ने उद्योगों की कमर तोड़ दी हैऔर उद्योगों का बजट बिगड़ा हुआ है। बहुत से उद्योग शुरू ही नहीं हो पा रहे हैं। जो शुरू हो चुके हैं, उनमें उत्पादन मुश्किल से 40 से 50 फीसद तक ही हो रहा है, जबकि राज्य को सर्वाधिक राजस्व इस प्रदेश से दिया जाता है।

कॉरपोरेट काउंसिल फॉर लीडरशिप एंड अवेयरनेस, एफमैक एवं रावी इवेंट द्वारा भारत सरकार के एसएमएमई मंत्रालय के सहयोग से आयोजित वेबीनार 2020 में देश प्रदेश के उद्यमियों, उद्योग विभाग से जुड़े अधिकारियों और उद्योगपतियों ने भाग लिया। जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि उद्योगों को सफल बनाने व उद्योगों के विकास के लिए केंद्र व प्रदेश की सरकारों को रियायत बरतनी होगी।

इस वेबिनार में उद्योगपतियों का कहना था कि उद्योगों की गाड़ी को पटरी पर दौड़ाने के लिए सरकार को जरूरी कदम उठाने ही होंगे। हम तो अपने स्तर पर कोशिश कर ही रहे हैं। राज्य सरकार अगर सचमुच में उद्योगों को पटरी में लाना चाहती है तो सस्ती बिजली देनी होगी।

महाराष्ट्र सरकार ने तो बिजली के दाम 15 फीसद घटा दिए हैं। इसी प्रकार तेलंगाना, गुजरात, एमपी में भी राहत दी गई है। उद्योगों की खस्ता हालत को देखते हुए इन राज्यों की सरकारों ने डिमांड चार्ज में भी छूट प्रदान कर दी है, लेकिन प्रदेश में अभी तक किसी भी प्रकार से राहत नहीं दी गई है।

फिलहाल उद्योगों में क्षमता से आधा यानी 40 से 50 फीसद ही उत्पादन हो पा रहा है। उद्योगपतियों का कहना है कि इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कुशल मजदूरों का यहां से पलायन कर जाना है। हालांकि उपलब्ध मजदूरों को धीरे-धीरे प्रशिक्षित किया जा रहा है।

उद्योगपतियों के अनुसार इन दिनों ऐसी समस्या आ रही है कि अगर मशीनमैन है तो माल ले जाने वाला कोई गाड़ी वाला नहीं मिल रहा है। उत्पादन में मजदूर हैं तो माल की लोडिंग के लिए मजदूर नहीं है। इसके चलते काफी दिक्कत आ रही है। उत्पादन पर इसका असर पड़ रहा है।

कई चुनौतियों का करना पड़ रहा है सामना
इस कोरोना काल में उद्योगों को कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।-

  • उद्योगों के सामने सबसे बड़ी दिक्कत बिजली की बढ़ी हुई दर।
  • डिमांड चार्ज में कोई राहत नहीं मिली।
  • प्रवासी मजदूरों के जाने के कारण उद्योगों में कुशल श्रमिकों की कमी।
  • सभी क्षेत्रों में आवागमन शुरू नहीं हुआ जिसके कारण डिमांड नहीं के बराबर है।
  • लॉकडाउन के चलते उद्योगों के पास लिक्विडिटी नहीं है।
  • रॉ मटेरियल भी पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हो रहा है। कोयले की कीमत भी काफी अधिक है।
  • बैंकों की ईएमआइ बढ़ाई गई, लेकिन ब्याज दरों में कोई राहत नहीं।
  • प्रदेश के स्टील व लौह उत्पादों की 80 फीसद खपत बाहरी राज्यों में है, यदि केवल छत्तीसगढ़ 20 फीसदी उत्पाद कर भी लें तो इनकी बिक्री कहां की जाएगी।

उद्योगों को ये हैं उम्मीदें

  • मिनिमम डिमांड चार्ज न लिया जाए।
  • मार्च में जितने दिन प्लांट चले हैं और बिजली सप्लाई हुई है उतने ही दिन के लोड फैक्टर की गणना कर संशोधित बिजली बिल दिया जाए।
  • बिजली बिल जमा कराने के लिए देयक तारीख आगे बढ़ाई जाए।
  • फोर्स मेजर क्लास के तहत सभी को मिनिमम डिमांड चार्ज से मुक्ति दी जाए।
  • मिनी स्टील प्लांटों को 2 रुपये प्रति यूनिट की छूट का अनुदान मिले।
  • पिछले साल के विद्युत टैरिफ को रोल ओवर कर 2020-21 के लिए किया जाए।
  • मिनी स्टील प्लांटों का डिमांड चार्ज लॉकडाउन के बाद 3 साल के लिए आधा कर दिया जाए।
  • रॉ मटेरियल की पर्याप्त उपलब्धता हो और कोयले की कीमत में कमी की जाए।

इस ओर भी दिया जाए ध्यान

  • लॉकडाउन के दौरान उद्योगों ने अपने कर्मचारियों और अन्य के भुगतान कर दिए हैं। सरकार को चाहिए कि किसी न किसी रूप में इसकी वापसी की जाए।
  • यहां का लेबर कानून 60 से 70 साल पुराना है, इसमें सरलीकरण किया जाए।
  • कुशल मजदूरों की कमी को देखते हुए बाहर से आने वाले मजदूरों की रिपोर्ट जल्दी दी जाए। जो पूरी तरह से स्वस्थ है, उन्हें काम पर जाने दिया जाए।
  • लॉकडाउन की अवधि में किसी भी प्रकार का ब्याज न लिया जाए।
  • उद्योगों को वास्तविक राहत दी जाए।

अनुदान नहीं सहयोग चाहिए
कोविड संकट में उद्यमियों ने चुनौतियों के बीच अवसरों को ढूंढा है। लैंड बैंक पर भी सरकार को ध्यान आकर्षित करने की जरूरत है क्योंकि उद्योगपति अपने उद्योगों की जमीन को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं, जमीन की अनुपलब्धता भी कहीं न कहीं उद्योग के विस्तार को रोकती है। हमें सरकार से अनुदान नहीं सहयोग चाहिए।
-पूरन डावर, अध्यक्ष, एफमैक

उद्यमी और बैंक के बीच तालमेल जरूरी
उद्यमियों और बैंक के बीच पारस्परिक तालमेल और विश्वसनीयता की बुनियाद को मजबूत करने के लिए जरूरी है बैंकों द्वारा स्थानीय उद्यमी संघटनों और एमएसएमई विभाग के साथ तालमेल बनाकर एक कमेटी गठित की जानी चाहिए। यह कदम छोटे उद्यमियों के लिए एक सार्थक कदम साबित हो सकता है। साथ ही कोविड-19 संकट में बैंकर को भी हमें एक योद्धा के रूप में देखना चाहिए उनके प्रति सहानुभूति रखनी चाहिए, संकट के इस दौर में उनका ग्राहकों के प्रति बेहद सकारात्मक रुख देखा गया है।
-गुरुस्वरूप श्रीवास्तव, सदस्य, भारतीय खाद्य निगम, भारत सरकार

उद्यमियों के साथ करेक्शन नहीं कनेक्शन पर विश्वास जरूरी
बैंक और कस्टमर के बीच पारस्परिक तालमेल बहुत जरुरी है आज हमारे जिले में एसएमई समर्पित शाखायें उद्यमियों की सेवा में निरंतर सक्रिय हैं। कोविड संकट में आरबीआई के निर्देशों का पालन करते हुए एक बड़ी राशि लोन के रूप में हमारे द्वारा एसएमई को दी गई है। मेरा मानना है कि उद्यमियों के साथ करेक्शन नहीं कनेक्शन पर विश्वास बहुत जरूरी है।
-श्री शैलेन्द्र कुमार, उप महाप्रबंधक (DGM), भारतीय स्टेट बैंक

उद्योग जगत के लिए खुले कामयाबी के रास्ते
भारत सरकार की नीति और नियत उद्योग जगत के लिए बिल्कुल स्पष्ट है। कोरोना काल में जहां कुछ देश सिर्फ जिंदा रहने के लिए जद्दोजहद में लगे हैं वहीं ऐसे में भारत सरकार के प्रधानमंत्री मोदी जी के नेतृत्व में उद्योग जगत के लिए न सिर्फ कामयाबी के रास्ते खोले हैं बल्कि किसान और मजदूरों को भी आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया है।
-किशोर खन्ना, एमडी, रोमसंस ग्रुप

तीन लाख करोड़ की स्कीम उद्योग जगत के लिए संजीवनी
कोविड-19 संकट के बाद देश के प्रधानमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने एमएसएमई सेक्टर में खास ध्यान आकर्षित किया है। इसके प्रोत्साहन के लिए लिए तीन लाख करोड़ की स्कीम की जो घोषणा की, वह उद्योग जगत के लिए संजीवनी साबित हो रही है। कई स्कीम सीधे तौर पर उद्यमियों के लिए उद्योग को गति देने में अहम भूमिका निभा रही हैं। कुल मिलाकर संकट के इस समय ने कहीं न कहीं कामयाबी के नए रास्ते खोले हैं।
-टी.आर. शर्मा, निदेशक, एमएसएमई

जमीनी हकीकत से रूबरू हो सरकार
जो भी सरकार के उपक्रम उद्यमियों के उत्थान और प्रोत्साहन के लिए कार्य कर रहे हैं उनको जरूरत है कि वह वित्तीय संगठनों के साथ आपसी तालमेल के साथ काम करें ताकि सरकार जमीनी हकीकत से रूबरू हो सके। एमएसएमई का सीसीएलए के साथ यह प्रयास इस मायने में मील का पत्थर साबित होगा।
-अजय शर्मा, महासचिव, सीसीएलए

संकट को समय को बेहद ही प्रयोगात्मक तरीके से समझे सरकार
कोविड-19 के चलते उद्योगों और उद्यमियों के बीच आए संकट को बेहद ही प्रयोगात्मक तरीके से सरकार को समझने की आवश्यकता है निरंतर विभिन्न सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थानों और संगठनों द्वारा कोविड-19 संकट के बीच लगातार वेबीनारों के माध्यम से संवाद स्थापित हो रहे हैं जोकि प्रयोगात्मकढंग से उद्यमियों की समस्याओं को समझने का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है।
-मनीष अग्रवाल, वेबीनार संचालक

नए उद्यमियों के लिए अलग से आर्थिक पैकेज की हो घोषणा
नए उद्यमियों को कोविड-19 से मिलीं चुनौतियां किस तरह प्रभावित कर रही हैं इस बात की गंभीरता को सरकार को समझना होगा इसके लिए सरकार के फाइनेंशियल इंस्टिट्यूशन और उद्यमियों को एक मंच पर बैठकर अपनी समस्याएं साझा करनी होंगी। सरकार को नए उद्यमियों के लिए एक आर्थिक पैकेज की भी घोषणा करनी होगी जिनके नए स्टार्टअप कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं और बंद होने के कगार पर हैं।
-बृजेश शर्मा, संयोजक सीसीएलए

आने वाला समय उद्योग के लिए रीड की हड्डी
संकट के बीच संवाद और मंथन का वेबीनार एक सशक्त माध्यम बनकर उभरे हैं सीसीएलए, एफमैक और रावी इवेंट का एमएसएमई के साथ यह प्रयास निश्चित रूप से एक सकारात्मक दिशा को जन्म देगा, जो आने वाले समय में उद्योग के लिए रीड की हड्डी साबित होगा। मुझे लगता है आने वाला समय उद्योग जगत में फिर से अपनी रफ्तार पकड़ेगा।
-डॉ. आरएन शर्मा, एमडी, डिसेंट हॉस्पिटेलिटी

योजनाएं व्यवहारिक रूप से धरातल पर आएं नज़र
सरकार की एमएसएमई मंत्रालय की योजनाएं व्यवहारिक रूप से धरातल पर नज़र आनी चाहिए। एमएसएमई डिपार्टमेंट और बैंकों का व्यापारियों के बीच एक पारस्परिक सामंजस्य होना चाहिए ताकि उद्योगों को गति मिल सके। लगातार यह भी देखा गया है कि कई अच्छी योजनाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह जाती हैं।
-जितेंद्र त्रिलोकानी, चेयरमैन, डर्बी एक्सपोर्ट्स

माइक्रो लेवल से करें इंडस्ट्री की शुरुआत
ऐसे उद्यमी जो उद्योग जगत में प्रारंभिक रूप से पदार्पण कर रहे हैं उनके लिए जरूरी है कि वह माइक्रो लेवल से इंडस्ट्री की शुरुआत करें। आज देश में जितनी भी इकाइयां एमएसएमई स्तर पर चल रही हैं वह सभी में सूक्ष्म स्तर से ही शुरुआत हुई थीं। सुक्ष्म व माइक्रो इकाइयों के लिए कम जगह की और कम पूंजी की जरूरत होती है।
-बीके यादव, उप निदेशक, एमएसएमई, आगरा

सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें
कोरोना संकट काल में सरकार की भूमिका लगातार सराहनीय रही है बस उद्योग और उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए आज सबसे अधिक जरूरत इस बात की है कि आर्थिक पैकेज के रूप में सरकार ने जो घोषणा की हैं, उनको व्यवहारिक रुप से धरातल पर लाना चाहिए। आज यह बहुत जरुरी है कि हम सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें और संकट की इस घड़ी में एक-दूसरे के साथ डटकर खड़े रहें।
-मोहित जैन, एमडी, अरहम स्टील्स

उद्योग को जिंदा रखने का है समय
आज सिर्फ हिंदुस्तान ही नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व इस महामारी से जूझ रहा है भारत उन सौभाग्यशाली देशों में शुमार है जहां इतनी बड़ी जनसंख्या होने के बावजूद इसको बेहतर तरीके से मैनेज किया गया। सरकार के प्रयास हर कदम पर प्रशंसनीय और वंदनीय हैं मुझे लगता है कि यह साल हमारे लिए सिर्फ स्वयं को और अपने उद्योग को जिंदा रखने का है। बस सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ें यह हमारे लिए जरुरी है।
-रोहित जैन, निदेशक, अहिंसा ग्रुप ऑफ कंपनीज

उद्योगों से ही भारत की विश्व गुरु बनने की परिकल्पना जिन्दा
लॉकडाउन की विषम परिस्थितियों के चलते उद्यमियों के लगातार अकाउंट एनपीए हो रहे हैं ऐसे में सरकार को आगे आकर सकारात्मक सोच के साथ उद्यमियों की मदद करनी चाहिए। सरकारें अपनी नीति और नीयत को यदि स्पष्ट रखेंगीं तो देश का उद्योग जिन्दा रहेगा और भारत को विश्व गुरु बनाने की परिकल्पना जिन्दा रहेगी अन्यथा हम विकसित देशों की शृंखला में पहुंचना तो दूर विकासशील होने का हक भी खो देंगे।
-मुकेश अग्रवाल, एमडी, किरनोटिक्स इंडिया प्रा. लि.

स्कीमों को जरूरतमंदों तक पहुंचाने की जरूरत
सीसीएलए का यह सराहनीय कदम है, एमएसएमई सेक्टर लगातार 10% की ग्रोथ दे रहा है और देश के विकास में 40% निर्यात करता है। एमएसएमई सबसे अधिक 14% उत्तर प्रदेश में है इसमें बैंक और एमएसएमई विभाग को आपसी तालमेल बनाना होगा, जिससे कि प्रोजेक्ट लगाने में देरी ना हो और रूरल एरिया में एमएसएमई की स्कीम जरूरतमंदों तक पहुंचाने की जरूरत है।
-दीपक माहेश्वरी, कर एवं वित्तीय सलाहकार

जरूरी है युवाओं के कौशल का विकास
किसी भी इंडस्ट्री की कामयाबी के लिए सबसे जरूरी विषय है क्वालिफाइड मैनपावर, उद्योग मंत्रालय और मानव संसाधन विकास मंत्रालय को चाहिए कि आपसी तालमेल के साथ काम करें, क्योंकि यदि हम यह सपना देख रहे हैं कि भारत विश्व गुरु बने तो इसके लिए सबसे जरूरी है कि युवाओं के कौशल का विकास। आज के प्रतिस्पर्धा और तकनीकी युग में विकसित देशों के सामने खुद को यदि विजेता साबित करना है तो यह वर्तमान समय की आवश्यकता है। –डॉ. प्रशांत शर्मा, ग्लोबल इंस्टिट्यूट ऑफ वोकेशनल एजुकेशन एंड स्किल डेवलपमेंट

उद्योगों के लिए बिजली हो सस्ती
राज्य सरकार अगर सचमुच में उद्योगों को पटरी पर लाना चाहती है तो सस्ती बिजली देनी होगी। महाराष्ट्र सरकार ने तो बिजली के दाम 15 फीसद तक घटा दिए हैं। इसी प्रकार तेलंगाना, गुजरात, एमपी में भी राहत दी गई है। उद्योगों की खस्ता हालत को देखते हुए इन राज्यों की सरकारों ने डिमांड चार्ज में भी छूट प्रदान कर दी है, लेकिन उत्तर प्रदेश में अभी तक किसी भी प्रकार से राहत नहीं दी गई है।
-धर्मेन्द्र आर्य, निदेशक, आरएल लैब

50 फीसद ही हो पा रहा है उत्पादन
फिलहाल उद्योगों में क्षमता से आधा यानी 40 से 50 फीसद ही उत्पादन हो पा रहा है। इसके पीछे सबसे बड़ा कारण कुशल मजदूरों का यहां से चला जाना है। हालांकि उपलब्ध मजदूरों को धीरे-धीरे प्रशिक्षित किया जा रहा है। उद्योगपतियों के अनुसार इन दिनों ऐसी समस्या आ रही है कि अगर मशीनमैन है तो माल ले जाने वाला कोई गाड़ी वाला नहीं मिल रहा है। उत्पादन में मजदूर हैं तो माल की लोडिंग के लिए मजदूर नहीं है। उत्पादन पर इसका असर पड़ रहा है।
-अंकित जैन, निदेशक, डॉक्टर सोप

उद्यमियों को नहीं मिल रहा लाभ
सरकार को यदि वास्तव में उद्योग और उद्यमियों की फिक्र है तो जरूरत इस बात की है कि उसको अपनी योजनाओं को जमीनी हकीकत के साथ उद्यमियों के सामने लाना होगा आमतौर पर देखा जा रहा है कि कई सारी स्कीम्स के लाभ सीधे तौर पर उद्यमियों को नहीं मिल पा रहे हैं जब तक यह सरकारीकरण पुराने रवैया पर रहेगा तब तक न नए उद्योग स्थापित हो सकते और ना ही पुराने उद्योगों का उत्थान होगा।
-संजय सिंह, श्री काशीराम आईटीआई कॉलेज, आगरा

वेबीनार में इनकी रही भूमिका
वेबीनार में बतौर मुख्य अतिथि फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया भारत सरकार के सदस्य एवं उद्योगपति गुरु स्वरुप श्रीवास्तव रहे अध्यक्षता एमएसएमई आगरा के निदेशक टीआर शर्मा ने की वहीं बतौर विशिष्ट अतिथि एफमैक के अध्यक्ष पूरन डाबर रहे। वेबीनार का संचालन रावी इवेंट्स के निदेशक मनीष अग्रवाल ने किया. इस मौके पर एमएसएमई की ओर से निदेशक टीआर शर्मा और उपनिदेशक बीके यादव ने विभागीय स्कीमों की जानकारी उद्यमियों को दी. इस मौके पर मुख्य वक्ता के रूप में एमएसएमई सहायक निदेशक डॉ. मुकेश शर्मा, एवं सीडीओ सुशील यादव मौजूद रहे।

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