नई दिल्ली। विश्वभर में महामारी बनकर फैले कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। ऐसी भयानक स्तिथि के बीच भारत ने अपनी जिम्मेदारियों को समझते हुए संकट के समय पड़ोसी देशों को मदद करना शुरू कर दिया है। जल्द ही भारत अलग-अलग दल बनाकर श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान के सहायता के लिए भेजेगा।
मालदीव और कतर की भी सहायता
आपको बता दें कि पिछले महीने 14 सदस्यीय भारतीय दल मालदीव में कोरोना वायरस जांच प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए भेजा गया था। इस दल ने वहां स्थानीय स्वास्थ्यकर्मियों को कोरोना के खिलाफ लड़ाई के लिए प्रशिक्षित भी किया था। वहीं, इस महीने की शुरुआत में भारत ने सेना के 15 सदस्यीय एक दल को द्विपक्षीय सहयोग के तहत कुवैत भेजा था।
दक्षेस देशों में जाएंगे भारतीय दल
सूत्रों ने बताया कि मित्र देशों में महामारी से लड़ने के लिए सहायता प्रदान करने की नीति के तहत श्रीलंका, बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान भेजे जाने के लिए दलों को तैयार किया जा रहा है। दक्षेस क्षेत्र में महामारी से लड़ने के लिए साझा कार्यक्रम बनाने में भी भारत मुख्य भूमिका निभा रहा है। वर्तमान में दक्षेस के सभी सदस्य देश कोविड-19 महामारी का सामाजिक और आर्थिक दंश झेलने पर मजबूर हैं।
यूएस समेत 55 देशों को दी हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन
संकट के समय मित्र देशों की सहायता करने की नीति के तहत भारत ने अमेरिका, मॉरीशस और सेशेल्स समेत 55 देशों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दवा की आपूर्ति की है। सूत्रों ने बताया कि भारत ने पड़ोसी देशों अफगानिस्तान, भूटान, बांग्लादेश, नेपाल, मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका और म्यांमार को भी दवाएं भेजी हैं।
भारत ने दिया था आपात कोष का प्रस्ताव
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक वीडियो कांफ्रेंस में दक्षेस देशों में कोरोना वायरस संकट से निपटने के लिए एक साझा रणनीति बनाने की वकालत की थी। इसके साथ ही उन्होंने भारत की ओर से एक करोड़ डॉलर की शुरूआती राशि की पेशकश करते हुए एक आपात कोष बनाने का भी प्रस्ताव दिया था।