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जानिए, भारत के महान गुरुओं के बारे में जिन्होंने दुनिया को सिखाया योग

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एजुकेशन डेस्क। 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाता है। भले ही साल 2015 से योग का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आयोजन शुरू हुआ है लेकिन यह इंसान को स्वस्थ रखने की हजारों साल पुरानी पद्धति है। इसके प्रचार-प्रसार में कई लोगों ने बड़ा योगदान दिया है। आज हम उन महान योग गुरुओं के बारे में जानेंगे जिन्होंने दुनिया को योग और इसके विभिन्न लाभों से अवगत कराया।

आदि योगी
योग विद्या में शिव को पहले योगी या आदि योगी तथा पहले गुरु या आदि गुरु के रूप में माना जाता है। कई हजार वर्ष पहले हिमालय में कांति सरोवर झील के तटों पर आदि योगी ने अपने प्रबुद्ध ज्ञान को अपने प्रसिद्ध सप्त ऋषि को प्रदान किया था। सप्तऋषियों ने योग के इस ताकतवर विज्ञान को एशिया, मध्यम पूर्व, दक्षिण अफ्रीका एवं दक्षिण अमेरिका सहित दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में पहुंचाया। अगस्त्य नाम के सप्तिऋषि जिन्होंने पूरे भारतीय उप महाद्वीप का दौरा किया, ने योगिक तरीके से जीवन जीने के इर्द-गिर्द इस संस्कृति को गढ़ा।

पतंजलि
पतंजलि को योग का जनक माना जाता है। भारतीय संस्कृति में पतंजलि कई भूमिकाओं में देखे जाते हैं। वह व्याकरण के विद्वान, संगीतकार, गणितज्ञ और एक खगोलविद भी थे। लेकिन इन सबसे बढ़कर पतंजलि को इस देश के महान योगियों में गिना जाता है। योग परंपरा में पतंजलि को शिव से कम नहीं समझा जाता है।

आदि शंकराचार्य (8वीं सदी)
शंकर आज के केरल राज्य में जन्मे थे। वह बचपन से ही प्रतिभाशाली और असाधारण विद्वान थे। उन्होंने योग तारावली की रचना की, जिसमें हठ योग के बारे में बताया गया है, और सौंदर्य लहरी की रचना की जिसमें कुंडलिनी योग को समझाया गया है। उन्होंने पतंजलि योग सूत्रों पर भी टीकाएं लिखी हैं।

तिरुमलाई कृष्णमचार्य
तिरुमलाई कृष्णमचार्य को ‘आधुनिक योग का पितामह’ कहा जाता है। उन्हें आयुर्वेद और योग दोनों का ज्ञान था। मैसूर के महराजा के राज में कृष्णमचार्य ने योग को बढ़ावा देने के लिए पूरे भारत का भ्रमण ‌किया। उन्हें अपनी सांसो की गति पर नियंत्रण रखना भी आता था। वह अपनी धड़कनों पर काबू कर सकते थे। उन्होंने हठ योग को पुनर्जीवित किया।


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