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थर-थर काँप रहा अमेरिका

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रिपोर्ट : राजकुमार उप्पल। चीन के वुहान शहर से निकले खतरनाक वायरस कोरोना यानी कोविड 19 ने विश्व के 200 से अधिक देशों में इस समय कोहराम मचा रखा है। आकड़ों पर गौर करें तो विश्व भर में अब तक 392,435  से अधिक मामले आ चुके हैं  कोरोना से अब तक 17,148  से अधिक मौतें हो चुकी हैं, विश्व महाशक्ति कहे जाने वाला देश अमेरिका भी कोरोना के कहर से थर्रा रहा है जो चीन और इटली के बाद कोरोना संक्रमण का अब तीसरा बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। अमेरिका में कुछ ही दिनों में विश्व व्यापी महामारी थर्ड स्टेज यानी सामुदायक स्तर तक फैल चुकी है और हालात लगातार काबू से बाहर  होते जा रहे हैं।

अमेरिका में कोरोना संक्रमण के अब तक 46,168 से अधिक मामले आ चुके हैं जिनमे से 582 से अधिक लोगों कि मौत हो चुकी है।  जिनमें से अभी तक 295  मरीज ठीक हो चुके हैं।

आपको बता दें कि अमेरिका का न्यूयॉर्क राज्य इस समय कोरोना संक्रमण का सबसे बड़ा केंद्र बनकर उभरा है। जहां अकेले अब तक लगभग 23,230 मामले सामने आए हैं जिनमें से अब तक 183 लोगों की मौत हो चुकी है।

अब हमारे लिए सोचने बाली बात है कि इस गंभीर महामारी की मार झेल रही अमेरिका जैसी सुपर पावर हताश है तो हम कहाँ स्टेण्ड करते हैं हम खुद जानते है। अमेरिका के संक्रमित मरीजों का विभिन्न अस्पतालों के आइसोलेशन वार्ड में इलाज चल रहा है लेकिन अमेरिका के लिए चिंता की बात यह है कि इतने मरीजों में पूरे देश के केवल 295 मरीज ही ठीक हो पाए हैं। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर अमेरिका के सबसे प्रभावित राज्य न्यूयॉर्क,  कैलिफोर्निया और वाशिंगटन में नए चिकित्सकिय केंद्र बनाने का काम तेजी से चल रहा है। राष्ट्रपति ट्रंप ने कोरोना को एक अदृश्य दुश्मन बताते हुए इसे हराने के लिए हर संभव कोशिश करने कि बात कही है। ट्रंप ने अमेरिका में रह रहे 1 करोड़ एक लाख ऐसे आवर्ज़को को जिनके पास दस्तावेज नहीं है उनकी कोरोना जांच केआदेश दिए हैं। जिनमें अधिकतर भारत और दक्षिण एशियाई देशों के लोग शामिल हैं।

अब सोचने वाली बात यह है कि चीन जहां से यह वायरस पूरी दुनिया में फैला उस देश ने कोरोना संक्रमण से बेकाबू हुए हालातों पर काबू पाना शुरू कर दिया है और वहां कोरोना संक्रमित मरीजों के मामले आए दिन कम होते जा रहे हैं पर आश्चर्य कि बात यह है कि अमेरिका जैसी महाशक्ति आखिर इस अवस्था तक कैसे जा पहुंची कि पूरा देश इसके आगे बेबस नजर आने लगा है।

दरअसल जब कोरोना वायरस चीन सहित यूरोपीय देशों में अपने पांव पसार रहा था तब ऐसे वक्त में अमेरिका ने इसे नज़र अंदाज़ करते हुए इसे गंभीरता से नहीं लिया जिसके परिणाम जल्द ही सामने आ गए। तब जाकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ऑंखें खुलीं और उन्होंने तत्परता दिखाते हुए आपातकाल की घोषणा कर डाली और प्रभावित क्षेत्रों को लॉक डाउन कर दिया जिससे अमेरिका की अर्थव्यवस्था भी बुरी तरह डगमगा गई।

आपको बता दें कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ट्रंप द्वारा लाये गए अरवों डॉलर के राहत पैकेज को सीनेट की मंजूरी नहीं मिल सकी जिसके चलते राष्ट्रपति ट्रम्प की मुश्किलें और बढ़ गईं हैं।

तेजी से बदले हालातों के चलते स्थिति इतनी बेकाबू हो चुकी है कि अमेरिका जैसा संपन्न देश भी उसे संभालने में नाक़ामयाव सावित हो रहा है और रोजाना कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या में बेतहाशा बढ़ोतरी हो रही है। अकेले सोमवार को ही अमेरिका में कोरोना के साढे पांच हजार नए मामले सामने आए जिसने अमेरिकी राष्ट्रपति को और सख्त कदम उठाने को मजबूर कर दिया है।

बहरहाल अमेरिका विश्व में कोरोना संक्रमण का तीसरा सबसे बड़ा केंद्र बन चुका है और दुनिया को आंखें दिखाने वाले विश्व की सबसे पावरफुल शख्सियत राष्ट्रपति डोनाल की आंखों मे चमक की जगह चिंता की लकीरे साफ़ नजर आ रही हैं जिससे फिलहाल पार पाना अमेरिका के लिए एक बड़ी चुनौती है।   

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