नई दिल्ली। प्रतिवर्ष पराली जलने से देश की कई हिस्सों में प्रदूषण बढ़ जाता है। बावजूद इसके इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। दिल्ली में मंगलवार की सुबह हवा, गुणवत्ता के पैमाने पर ‘बहुत खराब’ श्रेणी में चली गई। ऐसा इस सीजन में पहली बार हुआ। इसका मुख्य कारण हवा की मद्धम गति और तापमान में गिरावट रहा है। दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण का और गंभीर खतरा पैदा होने की आशंका पैदा हो गई है। पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर एक अधिकारी ने पराली जलाए जाने को लेकर जो आंकड़े पेश किए हैं, वो किसी को भी होश उड़ाने के लिए काफी है। पीआरएससी के मुताबिक, इस साल 21 सितंबर से 12 अक्टूबर तक के दरम्यान पराली जलानी की घटना पिछले साल की इसी अवधि के मुकाबले करीब चार गुना दर्ज की गई है। खासकर तब जब यह पता नहीं हो कि कोविड-19 महामारी कब तक नियंत्रण में आ पाएगी।
करीब चार गुना ज्यादा मामले
पिछले साल 21 सितंबर से 12 अक्टूबर तक पंजाब में पराली जलाने की 755 जबकि उससे एक साल पहले 2018 में यह आंकड़ा 510 का था जो इस साल बढ़कर 2,873 हो गया। पराली जलाने के बढ़ते मामलों का असर भी सामने आ चुका है। दिल्ली-एनसीआर में सोमवार को सीजन का सबसे ज्यादा प्रदूषण पाया गया। यही हालत रहे तो आने वाले दिनों में इसके और ज्यादा घातक परिणाम सामने आ सकते हैं।