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पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने निकाला कोरोना का तोड़ना

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पुणे। चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस का तोड़ निकालने का काम वैश्विक स्तर पर जारी है। इस बीच पुणे की सीरम इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया ने कोरोना की रोकथाम के लिए एक वैक्सीन विकसित करने में सफलता पाई है। संस्थान को यह कामयाबी अपने साझीदार कंपनी अमेरिकन बायोटेक्नॉलजी फर्म कोडाजेनिक्स की मदद से हासिल हुई है। फिलहाल, यह वैक्सीन प्राथमिक क्लिनिकल टेस्ट के लिए तैयार है और 6 महीने बाद वैक्सीन का ह्यूमन ट्रायल किया जाएगा।

बताया गया कि कोरोना के इलाज के लिए एसआईआई-कोडाजेनिक्स द्वारा विकसित की गई संभावित वैक्सीन वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए एक सुरक्षाकवच बनाने में अपेक्षाकृत कम समय लेती है। एसआईआई के मालिक और सीईओ अदल पूनावाला ने बताया कि इस वैक्सीन-वायरस का स्ट्रेन मूल कोरोना वायरस के ही समान है और यह एक मजबूत इम्यून रिस्पॉन्स जनरेट करता है। उन्होंने कहा कि यह वैक्सीन 6 महीने में ह्यूमन ट्रायल के लिए तैयार हो जाएगी। इसके बाद यह भारत की ऐसी पहली वैक्सीन हो जाएगी, जिसे इतनी तेजी से इस चरण तक लाने में सफलता हासिल हुई है।

पूनावाला ने बताया कि ह्यूमन ट्रायल के बाद इसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से अप्रूवल की जरूरत होगी, जिसके बाद इसे कोरोना वायरस के तोड़ के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि मानव शरीर पर वैक्सीन की स्टडी में भी एक साल लगेंगे। उन्होंने साल 2022 की शुरुआत में वैक्सीन के पूरी तरह से तैयार हो जाने की उम्मीद जताई। पूनावाला ने कहा कि इस वैक्सीन का विकास समकालीन दुनिया में वैश्विक महामारी का जवाब देने की भारत की क्षमता को भी दर्शाता है।

बता दें कि चीन में घातक कोरोना वायरस से मृतकों की संख्या 1,868 हो गई। अभी तक इसके कुल 72,436 मामलों की पुष्टि हो चुकी है। राष्ट्रीय स्वास्थ्य आयोग (एनएचसी) ने बताया कि 1,097 मरीज काफी गंभीर है और 11,741 मरीजों की हालत नाजुक बनी है। अभी तक कुल 12,552 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। हॉन्ग कॉन्ग में सोमवार तक इसके 60 मामलों की पुष्टि हो गई थी, जहां इससे एक व्यक्ति की जान जा चुकी है।

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