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मनोज मुकुंद नरवणे ने संभाली थलसेना की कमान

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नई दिल्ली। भारतीय थलसेना को नया मुखिया मिल गया है। मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे ने थलसेना की कमान संभाली। नरवणे ने जनरल बिपिन रावत का स्थान लिया है, जो तीन साल तक सेना प्रमुख रहने के बाद देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) नियुक्त किए गए हैं।

नई दिल्ली के सेना भवन में रावत ने परंपरा के तहत बैटन सौंपकर नरवणे को चार्ज सौंपा। महाराष्ट्र से ताल्लुक रखनेवाले नरवणे को मुश्किल मोर्चे पर सफलता और बेहतरीन नेतृत्व क्षमता के लिए जाना जाता है। इसके साथ ही नए आर्मी चीफ अपने सहकर्मियों और स्टाफ के बीच साफ छवि और अच्छे व्यवहार के कारण काफी लोकप्रिय हैं। चीन के साथ जुड़े सुरक्षा मामलों पर भी जनरल नरवणे की मजबूत पकड़ है।

अभी तक सेना उप-प्रमुख थे नरवणे
नरवणे अभी तक सेना उप-प्रमुख थे। सेना के वरिष्ठ अधिकारियों के बीच नरवणे हमेशा सतर्क रहने वाले अधिकारी के रूप में जाने जाते हैं। कहा जाता है वह जवानों को भी ऐसा ही रहने को कहते थे, भले ही एलएसी पर शांति क्यों न हो। उनके लिए हमेशा यह अहम होता है कि किसी तरह से उनके जवान को कोई नुकसान न पहुंचे। अपने लंबे करियर में जनरल नरवणे को कई सम्मान हासिल हुए। उन्हें सेना मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा जा चुका है।

चीन सीमा पर काम करने का अच्छा अनुभव
नरवणे को चीन सीमा पर काम करने का अच्छा अनुभव है। वह सितंबर में सेना उप-प्रमुख बनने से पहले सेना के ईस्टर्न कमान के प्रमुख थे, जो चीन के साथ लगती करीब चार हजार किलोमीटर लंबी सीमा की देखभाल करती है।

कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे तैनात
अपने 37 वर्षों के सेवाकाल में नरवणे जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उन्होंने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन की कमान संभाली और पूर्वी मोर्चे पर इन्फैन्ट्री ब्रिगेड का नेतृत्व किया। वह श्रीलंका में भारतीय शांति रक्षक बल का हिस्सा थे और तीन वर्षों तक म्यामांर स्थित भारतीय दूतावास में रक्षा अताशे रहे।

ईस्टर्न आर्मी कमांड के मुखिया भी रह चुके नरवणे
नरवणे के साथ काम कर चुके अधिकारी उन्हें बेहतरीन शख्स बताते हैं। सितंबर में उप सेनाध्यक्ष बनने से पहले वह कोलकाता स्थित ईस्टर्न आर्मी कमांड के मुखिया थे। अधिकारी ने बताया कि वह बिना किसी लाग-लपेट के अपनी बातें रखते हैं। नए आर्मी चीफ को करीब से जाननेवाले लोगों का कहना है कि अनुशासन और पाबंदी के कारण उन्हें हार्ड टास्क मास्टर के तौर पर जाना जाता है।

दोस्तों साथ मिलकर देश की सेनाओं के शीर्ष पर
लेफ्टिनेंट जनरल मनोज मुकुंद नरवणे आज 31 दिसंबर को आर्मी चीफ के तौर पर जनरल बिपिन रावत की जगह ली। इसके साथ ही वह एनडीए के अपने कोर्समेट- ऐडमिरल करमबीर सिंह और एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया के साथ मिलकर देश की सेनाओं के शीर्ष पर हैं। ऐडमिरल सिंह 31 मई को देश के 24वें नेवी चीफ बने थे और उनके वाइट यूनिफॉर्म पर हेलिकॉप्टर पायलट का विंग शोभा बढ़ाता है। एयर चीफ मार्शल भदौरिया 30 सितंबर को एयर फोर्स के चीफ बने थे और उनके भी ब्लू यूनिफॉर्म पर फाइटर पायलट का विंग शान से दिखता है।

एनडीए के छात्र भी रहे
नरवणे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी और भारतीय सैन्य अकादमी के छात्र रहे हैं। वह जून 1980 में सिख लाइट इन्फैंट्री रेजिमेंट की सातवीं बटालियन में कमीशन प्राप्त हुए।

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