इंटरनेशनल डेस्क। माउंट एवरेस्ट के बालकनी एरिया में नेशनल जियोग्राफिक सोसाइटी (एनजीएस) द्वारा विश्व की सबसे ऊंची चोटी पर मौसम स्टेशन स्थापित किया गया है। समुद्र तल से 27,658 फीट की ऊंचाई पर स्थापित यह स्टेशन पूरी तरह से ऑटोमेटेड है। इस मौसम स्टेशन का उद्देश्य पर्वतारोहियों, आम जनता और शोध करनेवालों को मौसम की सटीक जानकारी और वहां की परिस्थितियों के बारे में बताना है।
करीबन 1 बिलियन लोगों को फायदा
इसके साथ ही टीम ने 4 और मौसम स्टेशन भी बनाए जा रहे हैं। साउथ कोल (7,945 m), फोरतसी (3,810 m), एवरेस्ट बेस कैंप (5,315 m) और कैंप II (6,464 m) पर भी मौसम स्टेशन बनाए हैं। सभी मौसम स्टेशन अपने क्षेत्र के तापमान, आद्रता, हवा का दबाव, हवा की गति, और हवा की दिशा आदि की जानकारी साझा करेंगे। मौसम स्टेशनों की स्थापना और मौसम परिस्थितियों को लेकर हर अपडेट साझा की जा सकेगी। क्षेत्र में कठिन परिस्थितियों के कारण हर साल कई मौतें होती हैं और लोगों के रोजगार पर भी संकट बना रहता है। मौसम स्टेशनों की स्थापना माउंट एवरेस्ट की परिस्थितियों से प्रभावित होनेवाले करीबन 1 बिलियन लोगों को फायदा होगा।
मौसम परिस्थितियों को सूक्ष्मता से देखा जा सकेगा
एनजीएस की तरफ से जारी बयान में कहा गया, ‘बालकनी मौसम स्टेशन अपनी तरह का पहला ऐसा स्टेशन है जिसे 8,000 मीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया गया। इसके साथ ही यह पहला मौसम स्टेशन होगा जो प्रकृति में होनेवाले शुरुआती परिवर्तनों को भी महसूस कर सकने में सक्षम होगा और वक्त के साथ मौसम परिस्थितियों के बदलावों को सूक्ष्मता से देखा जा सकेगा।’
मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि जैसे-जैसे ऊंचाई बढ़ती जाती है तो मौसम वैज्ञानिकों के लिए भी वहां की परिस्थितियों को समझ पाना मुश्किल है। ऊंचाई पर मौसम स्टेशनों के नहीं होने के कारण मौसम परिस्थितियों पर नजर रखना और उसके अनुसार पूर्वानुमान जारी करने में भी काफी मुश्किल होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि हाल के दिनों में माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई में कई पर्वतारोहियों की मौत हुई है। ऊंचाई पर स्थापित मौसम स्टेशनों की ओर से पूर्वानुमान जारी होते तो ऐसे हादसों से बचा जा सकता था।