आगरा। सो कोन रह्य रोड़ा ते कोई बेपरवाह जापे। दुनिया दा वाली है कोई शहंशाह जापे का कविता का गायन करते हुए देहरादून से पधारे भाई कुलदीप सिंह ने बताया कि जब गुरु गोविंद सिंह जी देश, कौम व मानवीय अधिकारों की रक्षा करते हुए अपने चार साहिब जा दो को कुर्बान करने के बाद जब माछी बाडे के जंगल में धरती पर आराम फरमा रहे थे। तब कवि ने कल्पना करते हुए चल रही हवा से सवाल किया ये कौन है जो अपना सब कुछ कुरवान करने के पश्चात बेपरवाह होकर बिना किसी मलाल और शिकवा के सो रहे हैं। इस प्रकार गुरु के उपकार को याद किया। उक्त कविता का गायन गुरुद्वारा दमदमा साहिब में आयोजित मीरी पीरी दिवस पर कीर्तन दरबार में किया गया।
इससे पूर्व सुबह कीर्तन दरबार की आरम्भ ता बाहर सजे पंडाल में गुरु के ताल के हजूरी रागी भाई कुलदीप सिंह कोमल ने बसंत राग से की।नानक तिन्हा बसंत है जिन घर वसेया कंत का गायन किया।
उसके पश्चात गुरुद्वारा बंगला साहिब दिल्ली के ग्रंथी ज्ञानी अंग्रेज सिंह ने संगत को इतिहास से रूबरू करवाया कि आज के दिन श्री हर गोविंद साहिब जी आगरा की धरती पर पहली बार आए थे और इसी जगह पर गुरु महाराज की एक धाई ने एक तका महाराज को भेंट किया गुरु जी 3 मार्च को ही आगरा आए और 6 मार्च को धौलपुर पहुंचे उसके बाद महाराज ग्वालियर के किले में गए।
भाई सुखविंदर सिंह अनमोल पंजाब फगवाड़ा ढादी जत्था ने कहा कि गुरु हरगोविंद जी महाराज के जीवन के बारे में बताया कि ढाडीयो को जन्म गुरु जी ने दिया था । मीरी पिरी दिवस पर प्रकाश डालते हुए बताया कि मीरी – पीरी एक राजा की निशानी है जो गरीब मलजुम की तरह रक्षा के लिए है शक्ति और भक्ति का एक साथ मिलाप है। अंत में गुरुद्वारा गुरु के ताल के मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह जी के अनुरोध पर जत्थे ने शहीदों को नमन करने के लिए एक शहीदी बार का गायन किया। इस मौके पर जोड़ो की सेवा कलगीधर सिक्ख सेवक जत्थे द्वारा की गई।
कार्यक्रम में संत बाबा प्रीतम सिंह,जत्थेदार मोहिंदर सिंह, मास्टर गुरनाम सिंह, बंटी ग्रोवर, ग्रंथी बलजीत सिंह, पाल सिंह, अमरीक सिंह,अमर सिंह,महंत हरपाल सिंह, हरबंस सिंह, जसबीर सिंह, मंजीत सिंह, वीरेंद्र सिंह, बंटी ओव रॉय, नरेंद्र सिंह, खनूजा, रोहित बंसल, बाबा ईश्वर सिंह, रानी सिंह, राजेन्द्र सिंह कुक्कू, सुरेन्द्र सिंह आदि की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।