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मुक्ति दिवस को लेकर गृह मंत्री अमित शाह और केसीआर के बीच हुई जुबानी जंग

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हैदराबाद। तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद के भारत संघ में शामिल होने के जश्न को यहां ‘तेलंगाना जातीय समैक्यता दिनोत्सवम’ (तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस) के रूप में मनाया और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने इस मौके पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। वहीं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने हैदराबाद में ही परेड मैदान में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के अवसर पर झंडा फहराया। अपने संबोधन में शाह ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि तेलंगाना में ‘‘वोट बैंक की राजनीति’’ के कारण ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ अभी तक आधिकारिक तौर पर नहीं मनाया गया था, जबकि कुछ नेताओं ने ऐसा करने का वादा किया था।

शाह ने कहा, ‘‘… क्षेत्र के लोगों की मांग थी कि सरकार की भागीदारी से ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाया जाए, लेकिन यह दुर्भाग्य की बात है कि 75 साल बीत गए, मगर यहां सत्ता में बैठे वाले लोग वोट बैंक की राजनीति के कारण ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने का साहस नहीं जुटा पाए।’’ उन्होंने मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव का स्पष्ट रूप से जिक्र करते हुए कहा, ‘‘कई लोगों ने चुनावों और विरोध प्रदर्शनों के दौरान मुक्ति दिवस मनाने का वादा किया था, लेकिन जब वे सत्ता में आए, तो रजाकारों (निजाम शासन के सशस्त्र समर्थकों) के भय से अपने वादों से मुकर गए।’’

शाह ने ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ मनाने के फैसले के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि वह इस बात से हैरान नहीं, बल्कि खुश हैं कि जब प्रधानमंत्री मोदी ने यह दिन मनाने का फैसला किया, तो सभी ने इसका अनुसरण किया। गृह मंत्री ने ‘मुक्ति दिवस’ न मनाने वालों पर हमला करते हुए कहा, ‘‘वे जश्न मनाते हैं, लेकिन इसे ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’नहीं कहा जाता है, उन्हें अब भी डर है। मैं उनसे कहना चाहता हूं, अपने दिल से डर निकाल दो और रजाकार इस देश के लिए फैसले नहीं ले सकते क्योंकि इस देश को आजादी मिले हुए 75 साल हो चुके हैं।’’

शाह ने हैदराबाद की मुक्ति का श्रेय देश के पहले गृह मंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को दिया। उन्होंने कहा कि यदि सरदार पटेल नहीं होते, तो हैदराबाद को मुक्त कराने में कई और साल लग जाते। उन्होंने कहा कि पटेल जानते थे कि जब तक निजाम के रजाकारों को नहीं हराया जाता, तब तक अखंड भारत का सपना साकार नहीं होगा। हैदराबाद राज्य निजाम शासन के अधीन था और पुलिस ने भारत में इसका विलय कराने के लिए ‘ऑपरेशन पोलो’ नाम से अभियान चलाया था, जो 17 सितंबर, 1948 को पूरा हुआ था।

वहीं, तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि सांप्रदायिक ताकतें समाज को बांटने की कोशिश कर रही हैं। राव ने यहां ‘तेलंगाना जातीय समैक्याता दिनोत्सवम’ (तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस) पर राष्ट्र ध्वज फहराने के बाद एक जनसभा को संबोधित करते हुए कहा कि अगर धार्मिक कट्टरता बढ़ती है, तो यह राष्ट्र को नष्ट कर देगी और इसके परिणामस्वरूप मानवीय संबंधों में गिरावट आएगी। राव ने कहा कि धार्मिक कट्टरता चरम पर है। उन्होंने कहा ‘‘वे अपने संकीर्ण हितों के लिए सामाजिक संबंधों में कांटे बोते हैं।

वे अपनी जहरीली टिप्पणियों से लोगों में नफरत फैला रहे हैं।’’ राव ने यह टिप्पणी केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह द्वारा हैदराबाद के परेड मैदान में ‘हैदराबाद मुक्ति दिवस’ के अवसर पर ध्वजारोहण करने के कुछ ही देर बाद की। तेलंगाना सरकार ने 17 सितंबर को तेलंगाना राष्ट्रीय एकीकरण दिवस के रूप में मनाने के अपने फैसले की तीन सितंबर को घोषणा की थी। राव ने ‘विघटनकारी ताकतों’ पर अपने संकीर्ण और स्वार्थी राजनीतिक हितों को पूरा करने के लिए 17 सितंबर के अवसर को विकृत करने का आरोप लगाया।

उन्होंने दावा किया कि ये ताकतें जिनका 17 सितंबर की ऐतिहासिक घटनाओं से कोई संबंध नहीं है, तेलंगाना के उज्ज्वल इतिहास को तुच्छ राजनीति से विकृत और प्रदूषित करने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा, ‘‘तेलंगाना समाज सक्रिय रूप से सबसे बौद्धिक तरीके से प्रतिक्रिया करता है। वही सक्रियता और बुद्धि फिर से दिखानी चाहिए।’’ राव ने कहा, ‘‘देश के ताने-बाने को तोड़ने की कोशिश कर रही इन दुष्ट और भ्रष्ट ताकतों के कपटपूर्ण प्रयासों को विफल किया जाना चाहिए।

मैं आपको एक बार फिर से आगाह करता हूं कि समाज में पलक झपकते ही उथल-पुथल मचने का खतरा है।’’ तेलंगाना के सूचना प्रौद्योगिकी एवं उद्योग मंत्री के टी रामाराव ने शनिवार को यह कहते हुए केंद्रीय गृहमंत्री पर निशाना साधा कि पूर्व केंद्रीय मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने राज्य के लोगों का भारतीय संघ में एकीकरण एवं विलय किया, जबकि वर्तमान केंद्रीय गृह मंत्री ‘बांटने और धौंस जमाने’ की कोशिश कर रहे हैं।

रामाराव ने ट्वीट किया, ‘‘ 74 साल पहले एक केंद्रीय गृहमंत्री (सरदार वल्लभभाई पटेल) तेलंगाना के लोगों का भारतीय संघ में एकीकरण एवं विलय करने के लिए आये थे। आज एक केंद्रीय गृहमंत्री तेलंगाना के लोगों एवं उनकी सरकार को बांटने एवं उन पर धौंस जमाने के लिए आये हैं, इसलिए मैं कहता हूं कि भारत को विभाजनकारी राजनीति नहीं, बल्कि निर्णायक नीतियों की जरूरत है।

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