Home Interview मोबाइल का अधिक इस्तेमाल छीन सकता है आखों की रोशनी: डॉ. सुमित

मोबाइल का अधिक इस्तेमाल छीन सकता है आखों की रोशनी: डॉ. सुमित

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इस खूबसूरत दुनियां को देखने के लिए ईश्वर ने आपको आखें दी है अगर आप चाहते हैं कि आप स्वस्थ रहकर इस दुनियां की खूबसूरती को स्पष्ट देखते रहें तो एलर्ट हो जाइए क्योंकि मोबाइल, कम्प्यूटर का लिमिट से अधिक इस्तेमाल आपकी आखों की रोशनी छीन रहा है, आखों के नामचीन डॉक्टर्स में शुमार आगरा के डॉ. सुमित सरन सेठ से टीबीआई 9 ने बात की तो उनसे बातचीत में आखों की प्रॉब्लम से जुड़े काफी तथ्य निकल कर सामने आये…

अमूमन पहले ढलती उम्र में आंखों की समस्या होती थी लेकिन आज बच्चे और युवा भी पीडि़त हैं क्यों?

आउटडोर एक्टिविटी से हटकर टीवी और जरूरत से अधिक मोबाइल का स्तेमाल कम उम्र में आखों की प्रॉब्लम की मुख्य वजह है, इसका प्रभाव आखों पर बहुत बुरा पड़ता है, इसमें सबसे पहले एलर्जिक और फिर ड्राई आई की प्रोब्लम होती हैं इसके बाद ये समस्या आखों की बड़ी समस्या का रूप ले लेती है। इसमें आखों की रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है। 

आजकल ऑप्टीकल्स वालों के यहां भी जांच की सुविधा दी जाती है। यह कहां तक सही है?

देखिये, हमारे यहां पब्लिक अवेयरनेस की कमी है लोग इस बात के महत्व को नहीं समझते कि डॉक्टर से चेकअप के बाद ही चश्मा लगाना क्यों जरुरी है, आखों से समान्य रूप से जब कुछ धुंधला दिखने लगता है तब लोग सीधे चश्मे वाले की दुकान पर जाकर चश्मा लगाकर देखते हैं जिससे उनको साफ दिखाई देना महसूस होता है वे उसी को ले लेते हैं जबकि यह पूरी तरह से गलत है आपको आखों के डॉक्टर से प्रॉपर चेकअप के बाद ही चश्मा लगाना चाहिए।

गर्मी  के मौसम में आंखों में अधिक समस्या क्यों होती है?

देखिये, हमारी आखों में नार्मल रूप में आंशू बनते है नार्मल रूप से ड्रेन हो जाते हैं जोकि हमारी आखों में शीतलता बनाये रखते हैं लेकिन जब गर्मियों में ये आंशू सूखने लगते हैं तो हमारी आखों की प्रोटक्टिव लेयर खत्म हो जाती है इससे आखों में चुभन, लालपन, आखों में दर्द और आखों को रगडऩे की समस्या सामान्यतौर पर शुरू हो जाती है जिसे हम ड्राई आई सिंड्रोम बोलते हैं जिसकी मुख्य तीन वजह हैं घर से बाहर निकलने पर धूल, धूप और धुआं का आखों पर प्रभाव है घर में अगर हम एसी में रहते हैं तो हमारी आखों में शीतलता आती है जिससे ये प्रोब्लम नहीं होती लेकिन पंखा और कम्प्यूटर आखों को प्रभावित करते हैं इससे हमारी आखों को ब्लिंकिंग करने की नेचुरल हैबिट भी खत्म होने लगती है और हम स्टिल होकर देखने लगते हैं।

गर्मी  के मौसम में आंखों को प्रॉब्लम से बचाने के लिए में किस प्रकार से एतिहात बरतना चाहिए ?

देखिये, एतिहात के तौर पर मैं बताना चाहूँगा कि सबसे पहली बात हमें बहुत अधिक दवाइयों पर निर्भर नहीं रहना चाहिए हमको दिन में नियमित रूप से अपनी आखों को पानी से धोते रहना चाहिए कुछ देर आप गीला तौलिया लेकर आखों पर रख सकते हैं तो बहुत अच्छी बात है अच्छी क्वालिटी के धूप के चश्मे का प्रयोग करें। मैं तो कहूँगा कि सन ग्लासेज आज हर आदमी को स्तेमाल करने चाहिए। आज मार्किट में बहुत अच्छी लुब्रीकेंट्स मेडिसिन आती हैं डॉक्टर की सलाह से उनका स्तेमाल करना चाहिए।

आई फ्लू क्या है। इसके बारे में विस्तार से बताएं?

यह एक प्रकार का आखों का वायरल इन्फेक्शन होता है जोकि ड्राई व्हेदर में तो कम होता है लेकिन बारिश के मौसम में यह वैक्टीरिया वायरस अधिक फैलता है जैसे बॉडी में वायरल फीवर फैलता है उसी प्रकार आखों में। एक से दूसरे की आखों में इसे हम वायरल कन्जेस्टीवाईटिस बोलते हैं इसके लिए प्रभावित व्यक्ति को लगातार अपने हाथ धोते रहना चाहिए किसी अन्य को उसको टच और उसके स्तेमाल की हुई चीजों को टच नहीं करना चाहिए यही इससे बचाव का एक तरीका है।

आंखों में काले पानी की समस्या का मूल कारण क्या है?

इसे हम मेडिकल भाषा में ग्लूकोमा बोलते हैं जिसकी बजह हमारी आखं की आईबॉल जो प्राकृतिक रूप से ईश्वर ने बनाई है उसके अन्दर एक प्रेशर मेंटेन रहता है जिससे वो एक बॉल के रूप में रहे वो पिचक न जाए लेकिन जब ये प्रेशर आखों में बढ़ जाता है तो यह काला पानी कहलाता है प्रेशर बढऩे से हमारी आखों में एक नस होती है जिसे हम ऑप्टिकनर्म बोलते हैं जो हमारी आखों को रोशनी देती है जोकि दवाब से सूखने लगती है जिससे हमारी आखों की रोशनी धीरे-धीरे खत्म हो जाती है। बेसिकली यह एक साइलेंट डिसीज है जो धीरे-धीरे आखों को प्रभावित करती है।     

दूर और निकट दृष्टि दोष से कैसे बचा जा सकता है?

दूर और निकट दृष्टि दोष को हम मेडिकल भाषा में मायोपिया और हाइपर बोलते हैं मायोपिया में आदमी को दूर की चीज धुंधली नजर आने लगती है वहीं मायोपिया में इसके विपरीत निकट की चीज धुंधली दिखती है इसके लिए हम पेसेट्स को चश्मे का नम्बर दे देते हैं जिसका स्तेमाल करना चाहिए आजकल यह प्रॉब्लम छोटे बच्चों में भी हो रही है इसमें अधिकतर यह प्रॉब्लम आनुवांशिक भी होती है।

आज ज्यादातर युवा स्मॉर्टफोन पर बिजी रहता है। ऐसे में आंखों पर क्या प्रभाव पड़ सकते हैं?

जैसा कि मैंने बताया इससे आखों में ड्राईआई सिंड्रोम हो जाता है इसलिए इन चीजों का स्तेमाल लगातार न करें। ये आपकी आखों के लिए बेहद खतरनाक हैं। अभी हाल ही में डब्ल्यु एच ओ की तरफ से एक स्टडी सामने आई है कि मोबाइल को सोते समय स्वयं से 10 फुट दूर रखना चाहिए क्यों कि उसकी रेडिएशन आपकी बॉडी पर दुष्प्रभाव डालती हैं इससे आपको ब्रेनट्यूमर भी हो सकता है।

कंप्यूटर पर ज्यादा समय तक काम करने वाले लोगों को आप क्या सलाह देना चाहेंगे?

कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम एक नई बीमारी निकल कर सामने आई है जोकि कम्प्यूटर के अधिक इस्तेमाल से होता है। कम्प्यूटर पर काम करने वाले लोगों को कई बातें हैं जो खासतौर से ध्यान रखनी चाहिए, जिसमें सबसे पहली चीज उनकी चेयर प्रोपर होनी चाहिए। उसकी हाईट प्रोपर होनी चाहिए, कम्प्यूटर पर काम करते समय आपका स्क्रीन को देखने का एंगिल प्रॉपर होना चाहिए। जिसमें आपकी गर्दन ऊपर से नीचे की और झुकी न रहे सीधे आपका विजन कम्प्यूटर स्क्रीन पर होना चाहिए। काम करते समय आप चश्मे का प्रयोग कर सकते हैं या फिर कम्प्यूटर पर एक  स्क्रीन एंटी क्लियर ग्लास भी लगा सकते है, उसके बाद कमरे में प्रॉपर लाइट होनी चाहिए, अंधेरे या कम रोशनी में कम्प्यूटर स्तेमाल नहीं करना चाहिए। सबसे बड़ी बात आपको लगातार कम्प्यूटर पर काम नहीं करना चाहिए। कुछ समय बाद हमको डिस्टेंस देखना चाहिए जिससे आपकी आखों की मसल्स को रिलेक्स मिलता है। आप चाहे तो अपनी आखों को हल्का सा अपनी हथेली से प्रेस भी कर सकते हैं और जो लोग लगातार 12 घंटे का कम्प्यूटर जॉब करते हैं वे आपको बीच में उठकर अपनी आँख पानी से जरुर धोते रहे नहीं तो ड्राई आई की प्रॉब्लम आपको जरुर हो सकती है। हमारे पास कम्प्यूटर पर काम करने वाले ड्राई आई के पेशेंट्स की संख्या काफी है जिनकी आखें लगातार कम्प्यूटर पर काम करने से प्रभावित हुई हैं।

कई लोगों की आंखों में धब्बे हो जाते हैं। इन विकारों के रोकथाम के क्या उपाय हैं?

देखिये आखों से जुड़ी किसी भी प्रॉब्लम की रोकथाम के लिए स्क्रीनिंग बहुत जरूरी है जिसका मतलब है आपको साल या छह महीने में डॉक्टर से चेकअप जरुर कराना चाहिए ताकि समय रहते किसी भी प्रॉब्लम को डाइग्नोस करके उसका समाधान किया जा सके इसमें ग्लूकोमा के अलावा डाईबिटीज, बीपी पेसेट्स ही नहीं जिनकी किसी भी बीमारी की लम्बे समय से मेडिसन चल रही हैं उनको साल छह महीने में आखों के डॉक्टर से जरुर चेकअप कराना चाहिए क्योंकि कई तरह की अन्य बीमारियाँ आदमी की आखों से जुड़ी नसों पर असर करती हैं।

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