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शुरू हुई चीता रिटर्न्स पर राजनीति , पीएम द्वारा किया गया तमाशा अनुचित है- जयराम रमेश

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नई दिल्ली। भारत में एक बार फिर से चीतों को पुनर्स्थापित करने की कोशिश की जा रही है। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए 8 सीटों को मध्यप्रदेश के श्योपुर के कूनो उद्यान में छोड़ा। हालांकि, कांग्रेस की ओर से भी क्रेडिट लेने की होड़ मच गई है। पूर्व पर्यावरण मंत्री और कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री शायद ही कभी शासन में निरंतरता को स्वीकार करते हैं। 25.04.2010 को केपटाउन की मेरी यात्रा चीता परियोजना का ताजा उदाहरण है। आज प्रधान मंत्री द्वारा आयोजित तमाशा अनुचित है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत जोड़ो यात्रा और अन्य मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश है।

जयराम रमेश ने कहा कि 2009-11 के दौरान जब बाघों को पहली बार पन्ना और सरिस्का में स्थानांतरित किया गया था, तब भी कई लोगों ने नकारात्मक भविष्यवाणी की थी। लेकिन वे गलत साबित हुए थे। उन्होंने कहा कि चीता परियोजना पर भी इसी तरह की भविष्यवाणियां की जा रही हैं। इसमें शामिल पेशेवर प्रथम श्रेणी के हैं और मैं इस परियोजना के लिए शुभकामनाएं देता हूं! इससे पहले कांग्रेस की ओर से एक ट्वीट किया गया था। कांग्रेस ने कहा था कि प्रोजेक्ट चीता का प्रस्ताव 2008-09 में तैयार हुआ। मनमोहन सिंह जी की सरकार ने इसे स्वीकृति दी। अप्रैल 2010 में तत्कालीन वन एवं पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश जी अफ्रीका के चीता आउट रीच सेंटर गए। इसके साथ ही कांग्रेस ने लिखा कि 2013 में उच्चतम न्यायालय ने प्रोजेक्ट पर रोक लगाई, 2020 में रोक हटी। अब चीते आएंगे।

कुल मिलाकर देखे तो कांग्रेस का साफ तौर पर दावा है कि ‘प्रोजेक्ट चीता’ के प्रस्ताव को मनमोहन सिंह सरकार ने स्वीकृति दी थी। भारत सरकार ने 1952 में देश में चीतों को विलुप्त करार दे दिया था। छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के साल वन में 1948 में आखिरी बार चीता देखा गया था। वहीं, आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं हमारे मित्र देश नामीबिया और वहाँ की सरकार का भी धन्यवाद करता हूँ जिनके सहयोग से दशकों बाद चीते भारत की धरती पर वापस लौटे हैं। मुझे विश्वास है कि ये चीतें ना केवल प्रकृति के प्रति हमारी जिम्मेदारियों का बोध कराएंगे बल्कि हमारे मानवीय मूल्यों और परंपराओं से भी अवगत कराएंगे।

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